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    मनवा बसेला गंगा तोहरी लहरिया, जियरा में उठेला हिलोर हो..

    पारंपरिक लोकगीतों का आनंद उठाने के लिए भारतीय नृत्य कला मंदिर के सभागार में जुटे कलाप्रेमी

    By JagranEdited By: Updated: Sun, 29 Dec 2019 01:10 AM (IST)
    मनवा बसेला गंगा तोहरी लहरिया, जियरा में उठेला हिलोर हो..

    पटना। पारंपरिक लोकगीतों का आनंद उठाने के लिए भारतीय नृत्य कला मंदिर के सभागार में कलाप्रेमियों की महफिल सजी थी। जैसे-जैसे समय व्यतीत होते जा रहा था संगीत प्रेमियों का सब्र टूट रहा था। लोक गीतों को सुनने को लेकर लोग काफी बेताब थे। कुछ ऐसा ही दृश्य शनिवार को भारतीय नृत्य कला मंदिर के बहुद्देशीय परिसर में देखने को मिला। कार्यक्रम के दौरान वरिष्ठ लोक गायक और लेखक भरत सिंह 'भारती' ने मां गंगा को याद करते हुए 'मनवा बसेला गंगा तोहरी लहरिया, जियरा उठेला हिलोर हो, माई तोर जगमग पनिया, हियरा में उठेला हिलोर हो..' गीतों को पेश कर उत्सव को यादगार बना दिया।

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    सांस्कृतिक संस्था 'नवगीतिका' लोक रसधार तथा यूथ हॉस्टल एसोसिएशन, बिहार चैप्टर के तत्वावधान में भोजपुरी लोक गायक भरत सिंह 'भारती' रचित पुस्तक 'सप्त-सरोवर' पुस्तक के विमोचन एवं शरद उत्सव के आयोजन का। कार्यक्रम का उद्घाटन एवं पुस्तक का विमोचन पर्यटन मंत्री कृष्ण कुमार ऋषि, जहानाबाद के सांसद चंद्रदेव प्रसाद चंद्रवंशी, पूर्व मध्य रेलवे के महाप्रबंधक ललित चंद्र त्रिवेदी और भोजपुरी अकादमी के पूर्व अध्यक्ष चंद्रभूषण राय ने किया। पुस्तक विमोचन के मौके पर मंत्री ने कहा कि भरत सिंह 'भारती' जैसे वरिष्ठ कलाकारों की सक्रियता और समर्पण से बिहार की लोक परंपरा को मजबूती मिली है। भारती की लिखी पुस्तक न केवल लोक गीतों के संरक्षण में अपनी भूमिका अदा करेगी, बल्कि नवोदित कलाकारों को पुस्तक से बहुत कुछ सीखने को मिलेगा। मंत्री ने कहा कि विभिन्न महोत्सवों के जरिए लोक कलाकारों को काफी बढ़ावा मिल रहा है। सांसद चंद्रदेव प्रसाद चंद्रवंशी ने कहा कि भरत सिंह भारती के लोकगीत धरोहर के रूप में हैं। उनकी पुस्तक युवा पीढ़ी को काफी प्रभावित करेगी। आज के दौर में ऐसे कलाकार समाज में अपनी भूमिका अदा कर लोकगीतों का संरक्षण करने में लगे हैं, जो बड़ी बात है। पुस्तक के लेखक भरत सिंह ने कहा कि पुस्तक पढ़ने और लिखने की प्रवृति बचपन से रही। गायक भरत सिंह ने कहा कि उनके पिता भी कला प्रेमी थे। गीतों के प्रति उनका प्रेम हमें आकर्षित करता रहा। 10 वर्षो तक कठिन साधना करने के बाद थोड़ा-बहुत कुछ सीख पाया, जिसे शब्दों में उतारने का प्रयास करता रहा। उन्होंने कहा कि जीवन में पहली पुस्तक 'नयका बिहार' प्रकाशित हुई, जो काफी लोकप्रिय रही। इस पुस्तक के तीन संस्करण छापने पड़े। लेखक व गायक भरत सिंह ने कहा कि 'सप्त सरोवर' उनकी दूसरी पुस्तक है। इसमें 100 से अधिक लोकगीत हैं, जो पाठकों को पसंद आएंगे। गायिका डॉ. नीतू कुमारी नवगीत ने कहा कि भरत सिंह भारती उनके गुरु होने के साथ पथ प्रदर्शक भी रहे। उनकी पुस्तक 'सप्त-सरोवर' में लोक भजन, पूर्वी, चैती, सोहर, संस्कार, कजरी और विकास के गीतों को शामिल किया गया है। यह पुस्तक युवा गायकों के लिए काफी लाभप्रद होगी। अलग-अलग क्षेत्रों से सम्मानित हुए लोग

    समारोह के दौरान कला, साहित्य, रंगमंच, समाजसेवा आदि विभिन्न क्षेत्रों में काम करने वाले लोगों को सम्मानित किया गया। समारोह के दौरान साहित्य-संस्कृति लेखन के क्षेत्र में वरिष्ठ साहित्यकार पद्मश्री उषा किरण खान को नवगीतिका शिखर सम्मान से सम्मानित किया गया। वही नृत्य के लिए अर्चना आर्यन, समाज सेवा के लिए मधु मंजरी, सरकारी सेवा के लिए अलका प्रियदर्शी, नाट्य-निर्देशन के लिए अभय सिन्हा, लोग गायन के लिए सत्येंद्र संगीत, रंगकर्म के लिए रवि मिश्रा, गीतों के लिए दीप श्रेष्ठ, लेखन के क्षेत्र में डॉ. धु्रव, फोटो के लिए सीपी मिश्रा, एंकर के लिए शैलेश कुमार को सम्मानित किया गया।

    लोकगीतों से सराबोर हुआ परिसर -

    शरद उत्सव को यादगार बनाने के लिए लिए कलाकारों ने एक से बढ़कर एक गीतों की प्रस्तुति दी। कार्यक्रम का शुभारंभ गायिका नीतू कुमारी नवगीत ने गंगा मइया को स्मरण करते हुए 'चलेली गंगोत्री मैया जग के करे उद्धार..' को पेश कर सभी का ध्यान आकर्षित किया। वही नीतू ने भगवान कृष्ण को याद करते हुए 'रूसल कन्हैया के मैया मनावे खाए ना माखन चोर..' 'कौन देसे गइले बलमुआ कथिया लईहे ना..' गीतों पर सभी को झूमाया। वही गायिका चंदन तिवारी ने 'अंगुरी में डंसले बिया नगीनिया..' पेश कर तालियां बटोरीं।