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नाबालिग चोर की दास्तां सुनकर जज की भर आईं आंखें, पुलिस से कहा- बख्श दो इस बच्चे को...

चोरी की सजा पाए एक किशोर को पुलिस ने कोर्ट में पेश किया। किशोर ने जो अपनी दास्तां सुनाई उसे सुनकर जज को दया आ गयी और उन्होंने पुलिस से कहा-इसके लिए सारी सुविधाएं मुहैया कराएं।

By Kajal KumariEdited By: Published: Sat, 18 Apr 2020 02:54 PM (IST)Updated: Sun, 19 Apr 2020 03:05 PM (IST)
नाबालिग चोर की दास्तां सुनकर जज की भर आईं आंखें, पुलिस से कहा- बख्श दो इस बच्चे को...

पटना, जेएनएन। कोरोना को लेकर पूरे देश में लॉकडाउन चल रहा है। लेकिन इस लॉकडाउन में भूख और गरीबों की समस्या की कुछ तस्वीरें जो सामने आई हैं वो सोचने को मजबूर कर देती हैं कि भूख से बढ़कर कुछ नहीं होता। पेट भरा हो तभी इन्सान कुछ अच्छा सोच सकता है। कहानी एक एेसे बच्चे की है जिसकी दास्तां सुन एक जज का दिल पसीज गया और उन्होंने उसे सजा की बजाय इनाम दिया है। 

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ऐसा ही एक मामला शुक्रवार को नालंदा जिले के बिहारशरीफ में प्रकाश में आया। एक नाबालिग बच्चे को चोरी के आरोप में पुलिस ने जज के सामने पेश किया। जज को जब पता चला कि किशोर ने भूख से तड़प रही अपनी मां के लिए खाना जुटाने के लिए चोरी की तो उन्होंने उसे सजा देने की बजाय शाबाशी दी और उसके परिवार के लिए राशन और कपड़ा दिया।

जिले के इस्लामपुर में रहने वाले नाबालिग को पुलिस ने किशोर न्याय परिषद के प्रधान न्यायिक दंडाधिकारी मानवेंद्र मिश्र की कोर्ट में पेश किया था, बच्चे पर आरोप था कि उसने चोरी की है। जज ने पूरी बात सुनी और चोरी का कारण सुन उन्होंने किशोर को मुक्त कर दिया। साथ ही पदाधिकारियों को उसे हर संभव मदद करने और कल्याणकारी योजनाओं का लाभ देने का आदेश दिया।

इसके साथ ही उन्होंने किशोर को खाने के लिए राशन और उसकी विक्षिप्त मां के लिए कपड़े भी दिलाए। अपने आदेश में मिश्र ने इस्लामपुर के थानाध्यक्ष को किशोर को सुरक्षित उसके घर तक पहुंचाने और उसके संरक्षण व परीक्षण पर नजर रखने का निर्देश दिया है और साथ ही प्रत्येक चार माह पर किशोर से संबंधित प्रगति रिपोर्ट जेजेबी (किशोर न्याय परिषद) को सौपने को कहा।

बच्चे ने बताया कि उसके पिता की मौत कुछ साल पहले हो चुकी है। पिता की मौत के बाद उसकी मां विक्षिप्त हो गई और उसकी मां की स्थिति ऐसी है कि दैनिक क्रिया-कर्म के लिए भी वह अपने बेटे पर ही निर्भर है। उसका एक छोटा भाई भी है। परिवार के भरण-पोषण की जिम्मेदारी किशोर पर ही है। घर के नाम पर कच्ची मिट्टी की एक टूटी-फूटी झोपड़ी है। सोने के लिए एक खाट तक नहीं है। मां-बेटा जमीन पर ही किसी तरह सोते हैं। खाने-पीने की घोर समस्या है।

यह सुनकर जज ने इस्लामपुर बीडीओ को पत्र लिखकर किशोर को सरकारी योजनाओं का लाभ देने के निर्देश दिया है।


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