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    बेगूसराय के पुरानी दुर्गा माता का मंदिर का बड़ा महत्‍व, मां का खोइछा भरने से पूरी हो जाती हर मन्‍नत

    By Prashant KumarEdited By:
    Updated: Mon, 04 Oct 2021 07:16 PM (IST)

    ख्याति प्राप्त पुरानी दुर्गा माता का मंदिर विष्णुपुर नौलखा रोड में स्थित है। जिला सहित आसपास के क्षेत्रों में चर्चित इस मंदिर में सच्चे मन से मांगी गई मन्नतें अवश्य पूरी होती हैं। यहां प्रतिवर्ष खोइछा भरने वालों की संख्या बढ़ती ही जा रही है।

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    बेगूसराय के विष्‍णुपुर स्थित पुरानी दुर्गा माता मंदिर। जागरण।

    जागरण संवाददाता, बेगूसराय। संपूर्ण नगर क्षेत्र एवं आसपास के जिलों में ख्याति प्राप्त पुरानी दुर्गा माता का मंदिर विष्णुपुर नौलखा रोड में स्थित है। जिला सहित आसपास के क्षेत्रों में चर्चित इस मंदिर में सच्चे मन से मांगी गई मन्नतें अवश्य पूरी होती हैं। यहां प्रतिवर्ष खोइछा भरने वालों की संख्या बढ़ती ही जा रही है। पुरानी दुर्गा माता के दर्शन के लिए प्रतिवर्ष प्रदेश में रहने वाले लोग भी नवरात्र पर सपरिवार यहां अवश्य आते हैं। यहां माता के स्थायी रूप की ही प्रतिवर्ष प्रतिमा बनाई जाती है।

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    वर्ष 1902 में ही यहां की गई थी प्रतिमा की स्थापना

    कई बुजुर्गों ने बताया कि वर्ष 1900 के आसपास अकाल के साथ-साथ हैजा व प्लेग जैसी बीमारियों का प्रकोप हुआ था। इसमें काफी जान-माल की हानि हुई थी। उसी समय विष्णुपुर मठ के महंत को किसी साधु ने बताया था कि इस क्षेत्र में माता दुर्गा की प्रतिमा स्थापित कर पूजा अर्चना करें तो इस गांव एवं आसपास का इलाका मां दुर्गा की कृपा से सुरक्षित रहेगा। 1902 में एक खपरैल भवन बनाकर मां की प्रतिमा स्थापित कर पूजा अर्चना शुरू हुई। पुरानी माता की महिमा है कि यहां सच्चे मन से मांगी गई मन्नतें अवश्य पूरी होती है।

    यहां हर वर्ष दशहरा में 25 हजार से अधिक महिलाएं भरती हैं खोइछा

    श्रीश्री 108 पुरानी दुर्गापूजा समिति के अध्यक्ष विश्वनाथ दास, सचिव विजय कुमार मंडल  ने बताया कि यहां माता का दर्शन करने के लिए आसपास के कई जिलों से लोग आते हैं। आसपास के इलाके के जो लोग सूबे से बाहर अन्य प्रदेशों में रहते हैं वे भी दशहरा पर माता के दर्शन को सपरिवार अवश्य यहां पहुंचते हैं। यहां नवरात्र में खोइछा भरकर मन्नतें मांगने एवं मन्नतें पूरी पर खोइछा भरने के लिए प्रतिवर्ष चार-पांच दिनों तक महिलाओं की भीड़ लगी रहती है। प्रतिवर्ष 25 हजार से अधिक महिलाएं पुरानी माता को खोइछा समर्पित करती हैं। इसके लिए दर्जन भर कार्यकर्ताओं को अलग से मंडप में लगाया जाता है। ताकि महिला श्रद्धालुओं को परेशानी नहीं हो।

    यहां माता की स्थायी रूप की होती है पूजा

    यहां प्रतिवर्ष एक ही रूप में मां की प्रतिमा का निर्माण मुंगेर के मूर्तिकार करते हैं। माता का वस्त्र एवं शस्त्र बंगाल के जड़ीदार गोल्डेन या सिल्वर कलर के कार्डबोर्ड होता है। मंडप में मां दुर्गा के अलावा मां सरस्वती, मां लक्ष्मी, कार्तिक एवं गणेश अपने अपने वाहन के साथ विराजमान दिखते हैं। यहां की प्रतिमा शुंभ नामक दैत्य के साथ युद्ध का दृश्य प्रस्तुत करता है। मूर्ति लगभग 10 फीट ऊंची बनाई जाती है।

    व्यवस्था के लिए बनी है कमेटी

    इस बाबत सचिव विजय कुमार मंडल ने बताया कि प्रतिवर्ष पूजा के दो- तीन माह पूर्व ही नई कमेटी का गठन किया जाता है। इस वर्ष अध्यक्ष विश्वनाथ दास, सचिव विजय कुमार मंडल, कोषाध्यक्ष राहुल कुमार को बनाया गया है। इसके अलावा 15 सदस्यीय कार्यकारिणी में उक्त अधिकारियों के साथ नन्हें दास, नारायण यादव, सुरेंद्र साह, दिलीप कुमार, नवीन महतो आदि हैं।

    इस वर्ष सादगीपूर्ण ढ़ंग से होगी पूजा

    कोविड प्रोटोकाल के तहत प्रशासनिक आदेश का अनुपालन करते हुए नवरात्र में पूजा अर्चना की जाएगी। पंडाल के निर्माण पर रोक है, इसलिए सिर्फ रोलेक्स एवं झालर आदि से ही सजावट की जाएगी। तोरण द्वार की जगह एलईडी युक्त प्रवेश द्वार बनाया जाएगा। श्रद्धालुओं को पूजा अर्चना एवं माता के दर्शन में कोई परेशानी नहीं हो, इसके लिए प्रकाश की पूरी व्यवस्था रहेगी।

    श्रद्धालुओं के लिए रहेगी विशेष व्यवस्था

    पूजा समिति के पदाधिकारियों ने बताया कि श्रद्धालुओं की सुविधा का पूर्ण ख्याल   रखा जाएगा। मंदिर परिक्षेत्र में कई जगहों पर निश्शुल्क पेयजल, फस्र्ट एड, भीड़ को नियंत्रित करने के लिए 125 से अधिक स्वयं सेवक, मेला में खोने वाले लोगों के स्वजनों को मदद पहुंचाने के लिए कार्यालय आदि का चार दिनों तक संचालन किया जाएगा,  ताकि मेले में आने वाले लोगों को कोई कठिनाई नहीं हो पाए।