बिहार: मिलना और बिछुड़ना रही राजद-कांग्रेस की नियति, जब बीजेपी को हराने आए साथ तो बची इज्जत

सच यह है कि 2000 के विधानसभा चुनाव के बाद से दोनों पार्टियां एक दूसरे की पूरक रही हैं। साझे में लड़े तो इज्जत बची। अलग-अलग लड़ने पर खास सफलता नहीं मिली। वर्षों में राजग विरोधी वोटरों की गोलबंदी मुख्य तौर पर इन्हीं दोनों दलों के बीच होती रही है।