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कभी देखा है एेसा... पूजा पंडाल में दुर्गा सप्तशती पाठ के साथ अता होती है नमाज

जाति और धर्म को लेकर फैली वैमनस्यता की खबरों के बीच नवरात्रि में सांप्रदायिक सौहार्द्र का मिसाल पेश करने वाली खबर आपके दिल को सुकून दे सकती है। पढ़ें ये खबर....

By Kajal KumariEdited By: Published: Tue, 16 Oct 2018 03:27 PM (IST)Updated: Tue, 16 Oct 2018 09:01 PM (IST)
कभी देखा है एेसा... पूजा पंडाल में दुर्गा सप्तशती पाठ के साथ अता होती है नमाज
कभी देखा है एेसा... पूजा पंडाल में दुर्गा सप्तशती पाठ के साथ अता होती है नमाज

पश्चिमी चंपारण [सुनील आनंद]। देश में जाति और धर्म को लेकर लगातार वैमनस्यता की फैल रही घटनाओं के बीच आपसी भाईचारे और सद्भाव का सुंदर दृश्य पश्चिम चंपारण के बगहा में नवरात्रि की पूजा के दौरान देखने को मिल रहा है। यहां के पूजा पंडालों में मुस्लिम भाई जहां दुर्गा पूजा कराते हैं और पूजा पंडाल में ही नमाज भी अता की जाती है और सभी हिंदुओं के साथ मां दुर्गा की आरती भी करते हैं।

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राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की कर्मभूमि से सर्वधर्म सद्भाव का अनूठा संदेश धर्म के ठेकेदारों को समरसता का पाठ पढ़ा रहा। पवित्र नवरात्र में भक्तिमय माहौल में एक ऐसा शख्स भी है जिसे अल्लाह भी प्यारा है और उन्हें भगवान में भी उतनी ही श्रद्धा है। 

ये हैं बगहा निवासी अरमानी खां। नव दुर्गा पूजा समिति मवेशी अस्पताल बगहा के अध्यक्ष अरमानी खान नवरात्र में नौ दिनों तक उपवास कर समाज के कल्याण की कामना करते हैं। वे पांचों वक्त के नमाजी हैं। पूजा की तैयारी के बीच वे नमाज के लिए समय निकालते हैं और मां के दरबार से ही अल्लाह के समक्ष अपनी हाजिरी लगाते हैं।

एक ओर देवी दुर्गा की प्रतिमा तो दूसरी ओर वहीं जमीन पर नमाज अता करते नमाजी। एेसा शायद ही देखने को मिलता है। धर्म के नाम पर समाज में खाई पैदा करने की कोशिश करने वाले लोगों को ये करारा जवाब है। यहां समाज को एक सूत्र में पिरोने का काम कर रहे हैं अरमानी खान।

देवी दुर्गा के पंडाल में अरमानी खान पांचों पहर की नमाज अता करते हैं। वे आजकल नवरात्रि को लेकर मां दु्र्गा की आराधना में जुटे हैं। फलाहार कर नवरात्र का व्रत रखने वाले इस मुसलमान के दिल में हिन्दुओं के पर्व के प्रति भी उतनी ही आस्था और श्रद्धा है जितनी अपने धर्म के प्रति।

आजकल अपना घर छोड़कर माता का मंडप ही इनका आशियाना है। यहीं पर मां की आराधना भी करते हैं और यहीं पर नमाज भी अता करते हैं। अरमानी खान की भक्ति के कारण बगहा के नवदुर्गा पूजा समिति ने इन्हें अध्यक्ष की जिम्मेवारी सौंपी है।

इस जिम्मेदारी से अभिभूत अरमानी खान कहते हैं, "मैं तीन वर्षों से नवरात्रि का व्रत रख रहा हूं। राम-रहीम के देश की यही तो खूबसूरती है। हिंदू भाइयों से इतना प्यार और सहयोग मिला है कि पूछिए मत। कोई सोच सकता है किसी मुसलमान को पूजा समिति का अध्यक्ष बना दिया जाए।"

अरमानी कहते हैं कि धर्म समाज को जोड़ने का माध्यम हैं। बीते करीब एक महीने से वे पूजनोत्सव की तैयारी में समिति सदस्यों के साथ जुटे हैं। अल्लाह की इबादत के बाद संध्या पहर माता की आरती में शरीक होते हैं और मां के जयकारे लगाते हैं। बगहा जैसे कस्बाई इलाके से निकलकर सर्वधर्म सद्भाव का यह संदेश बड़े शहरों तक पहुंच रहा है।

बकौल अरमानी धर्म और जात पात की लड़ाई से उपर उठकर हमें इंसानियत को ही सबसे ऊपर मानना चाहिए। मैं जिस समाज में रहता हूं, वहां कई धर्म को मानने वाले लोग हैं। मुझे अपने धर्म के प्रति आस्था है, अन्य धर्मो को भी मैं उतना ही सम्मान देता हूं। धर्म समाज को जोड़ता है, तोड़ता नहीं।

 

पंडाल और मां दुर्गा की मूर्ति बनाने वैशाली से आए कारीगर और मूर्तिकार रामलखन पंडित कहते हैं कि वैशाली के कारीगर देश भर में जाकर दुर्गा मूर्ति बनाते हैं पर जो बात यहां के पंडाल में दिखाई दे रही है, वो विरले ही कहीं दिखती है।

अरमानी खान के सहयोग से बने पंडाल में पूजा कराने वाले पंडित आचार्य रोहित द्विवेदी कहते हैं, यहां न कोई हिंदू है और न ही मुसलमान। सब अभी दुर्गा भक्त हिंदुस्तानी हैं। यहां मां दुर्गा की आराधना करने वाले अरमानी खान अकेले मुसलमान नहीं है।

यहां के हर मुसलमान के दिल में मां के लिए ऐसी ही भक्ति है। बगहा की इसी धरती ने पिछले वर्ष मोहर्रम और दशहरा की तारीख टकराने के बाद आपस में बैठकर मोहर्रम की तारीख आगे बढ़ा दी थी। दशहरे के बाद मोहर्रम के दिन हिंदू समाज के लोग मुसलमानों की आवभगत में लगे थे।

तीन साल पहले जुड़ा नाता  

बीते कई वर्षो से पूजा समिति के सदस्य अरमानी खां को करीब तीन साल पहले सर्वसम्मति से समिति का अध्यक्ष चुना गया। वे पूरी निष्ठा के साथ अपने दायित्वों का निर्वहन करते हैं। समिति के सचिव नरेंद्र नाथ चौधरी, गुड्डू जायसवाल, झिनकू सिंह, पिंटू यादव, अशोक बैठा आदि बताते हैं कि व अपने धुन के पक्के हैं।

नवरात्र में माता के प्रति उनकी श्रद्धा और भक्ति देखते ही बनती है। हालांकि वे नमाज को लेकर भी उतने ही संजीदा हैं। समय समय पर नमाज अदा करते हैं। जीवन के 50 वसंत देख चुके अरमानी निश्चित ही समाज को समरसता का पाठ पढ़ा रहे हैं।

कहा-एसडीएम ने 

निश्चित रुप से सामाजिक सौहार्द स्थापित करने के लिए यह सराहनीय पहल है।इससे सामाज के अन्य लोगों को प्रेरणा लेनी चाहिए।

घनश्याम मीना, एसडीएम, बगहा।


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