सिद्धू मूसेवाला के हत्यारों के एनकाउंटर ने याद दिलाई बिहार की ये घटना, बक्सर में हुई थी मुठभेड़
पंजाबी गायक सिद्धू मूसेवाला के हत्यारों के एनकाउंटर की तरह शाहाबाद के राजपुर एवं मड़नपुर मुठभेड़ कांड मेंं पुलिसकर्मियों ने दिखाया था पराक्रम। 2010 में सुरेश राजभर समेत उसके साथी मारे गए थे। 2001 में पीडब्लूजी के चार नक्सली हुए थे ढेर।
दीपक कुमार, आरा। पंजाब के अटारी बार्डर पर बुधवार की दोपहर पंजाब के चर्चित गायक सिद्धू मूसेवाला की हत्या (Sidhu Moose wala Murder) में वांछित अपराधियों के साथ पुलिस की मुठभेड़ ने करीब 12 साल पहले शाहाबाद के भोजपुर और बक्सर जिले में हुए एनकाउंटर की यादें ताजा कर दी हैं। राजपुर में कुख्यात सुरेश राजभर और भोजपुर जिले के नारायणपुर थाना के मड़नपुर में नक्सलियों से पुलिस की मुठभेड़ हुई थी।
कुख्यात सुरेश राजभर और उसके साथियों का हुआ था एनकाउंटर
अटारी बार्डर एनकाउंटर की तरह तब राजपुर में भी सुरेश राजभर और उसके साथी चारों ओर से खुले मैदान और खेत के बीच में बने मकान में थे। पुलिस को भनक लगी तो मकान को घेर लिया। ये अपराधी पुलिस पर लगातार फायरिंग कर रहे थे। ऐसी ही विषम परिस्थितियों में बिहार पुलिस ने शौर्य दिखाते हुए एक लाख के इनामी गैंगस्टर और उसके छह साथियों को ढेर कर दिया था। संयोग से तब मुठभेड़ को अंजाम देने वाली एसटीएफ टीम को तत्कालीन डीएसपी संजय सिंह लीड कर रहे थे, वे अभी भोजपुर के एसपी हैं। राजभर गैंग के एनकाउंटर के लिए उन्हें 2018 में वीरता मेडल से भी सम्मानित किया गया था।
24 जून 2010 की है घटना
लक्ष्मणपुर डेरा गांव में 24 जून 2010 की दोपहर पुलिस को कुख्यात सुरेश के आधा दर्जन साथियों समेत छिपे होने की जानकारी मिली। तत्कालीन थाना प्रभारी रघुनाथ सिंह के नेतृत्व में पुलिस वहां पहुंची। पुलिस को देखते ही सुरेश व उसके साथियों ने एक मकान से फायरिंग शुरू कर दी। इसमें सैप के जवान अवधेश साह बलिदानी हो गए। मुठभेड़ स्थल की भौगोलिक स्थिति पुलिस के विपरीत थी। चारों ओर से दूर-दूर तक खुले स्थान के बीच में मकान से अपराधी लगातार फायरिंग कर रहे थे। उसी दिन देर शाम आपरेशन का नेतृत्व कर रहे आरक्षी अधीक्षक उपेन्द्र कुमार सिन्हा ने राज्य पुलिस मुख्यालय को स्थिति की गंभीरता से वाकिफ कराया।
संजय सिंह के नेतृत्व में पुलिस ने संभाली कमान
उसके बाद रात 12 बजे संजय सिंह के नेतृत्व में स्पेशल टास्क फोर्स ने मोर्चा संभाला। अगले दिन सुबह एसटीएफ ने ताबड़तोड़ हथगोले फेंक पुलिस ने आपरेशन को आगे बढ़ाया। सुरेश व उसके छह साथियों को टीम ने मार गिराया। संजय सिंह के साथ शाहाबाद के तत्कालीन डीआइजी सुशील मान सिंह खोपड़े (वर्तमान एडीजी एसटीएफ) , बक्सर के तत्कालीन एसडीपीओ अरविंद कुमार गुप्ता व थानाध्यक्ष रघुनाथ सिंह को भी वीरता मेडल से सम्मानित किया गया था।
जिले में तब हुआ था मैराथन मुठभेड, मारे गए थे चार नक्सली
नक्सलियों ने भोजपुर जिला में वर्ष 2001 में भी अपनी गतिविधियों को विस्तार देने के लिए योजना बनाई थी। जिसे भोजपुर पुलिस ने नाकाम कर दिया था। नक्सलियों के साथ नारायणपुर थाना क्षेत्र के मड़नपुर गांव में पीडब्लूजी के चार नक्सलियों को भोजपुर पुलिस मुठभेड़ के दौरान मार गिराया था। साथ ही उनके पास से पुलिस ने कई केन बम भी बरामद किए थे। चूंकि, घटना के दिन नक्सली एक मकान में छिपे हुए थे। करीब चौबीस घंटे चली मुठभेड़ के दौरान पुलिस को गोली से लेकर हैंड ग्रनेड एवं लांचर जैसे हथियार का इस्तेमाल करना पड़ा था। तब भोजपुर एसपी अशोक वर्मा थे। जोनल आइजी के रूप में आशीष रंजन सिन्हा थे।
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