पटना में बढ़ रहा है पालतू जानवरों के शौकीनों का क्रेज, कुत्तों के साथ बिल्ली भी बनी पसंद
गलियों या पार्कों में कोई प्यारे से कुत्ते या बिल्ली को घूमते देखते हैं तो नजरें खुद उन पर ठहर जाती हैं। शहर में आजकल पेट पालने का क्रेज तेजी से बढ़ा है। अकेलेपन में उनका साथ तनाव में सुकून और बच्चों-बुज़ुर्गों के लिए प्यारे खेल साथी के रूप में पेट की डिमांड बढ़ रही है।

सोनाली दुबे, जागरण पटना । शहर में जब भी गलियों या पार्कों में कोई प्यारे से कुत्ते या बिल्ली को घूमते देखते हैं, तो नजरें खुद उन पर ठहर जाती हैं। शहर में आजकल पेट पालने का क्रेज तेजी से बढ़ा है। खासकर कुत्ते और बिल्लियों को परिवार का हिस्सा मानते हैं।
अकेलेपन में उनका साथ, तनाव में सुकून और बच्चों-बुज़ुर्गों के लिए प्यारे खेल साथी के रूप में पेट की डिमांड बढ़ रही है। जगह-जगह पेट क्लीनिक, ग्रूमिंग सेंटर और दुकानें खुल गए हैं, जहां स्पा, मसाज, बबल बाथ जैसी शान शौकत वाली सेवा भी मिलने लगी है।
सबसे ज्यादा लोग कुत्ते पालना पसंद कर रहे हैं। लैब्राडोर, जर्मन शेफर्ड, गोल्डन रिट्रीवर, साइबेरियन हस्की, स्पिट्ज जैसी ब्रेड्स खूब पाली जा रही हैं। वहीं बिल्लियों में परशियन कैट सबसे ज्यादा पसंद की जा रही है।
पेट की कीमत और डिमांड
एम्स स्थित पेट शाप के मालिक विकास बताते हैं कि उनके यहां चार हजार से लेकर 40,000 रुपए तक कुत्ते व बिल्ली उपलब्ध हैं। डोबरमैन की कीमत लगभग 25,000 है। साइबेरियन हस्की सबसे महंगी डाग नस्ल में शामिल है, जिसकी कीमत 40,000 से 50,000 रुपए तक जाती है। इसकी खासियत उसकी रुई जैसी फर और नीली आंखें हैं, जो इसे आकर्षक और महंगा बनाती हैं। वहीं परशियन कैट की कीमत 10,000 से 20,000 रुपए तक है।
पालतु जानवरों की भी होती है ग्रूमिंग, वो भी बिना बेहोशी के
पालतू जानवरों की खूबसूरती और सेहत को बनाए रखने के लिए उनकी ग्रूमिंग बहुत जरूरी है। पाटलिपुत्र में ग्रूमिंग सेंटर के संचालक करुण और आकाश बताते हैं कि यहां कुत्तों, बिल्लियों और खरगोशों की ग्रूमिंग की जाती है। इसमें बुनियादी स्वच्छता, बबल बाथ, मेडिकेटेड शैम्पू, स्पा सेशन, नाखून ट्रिमिंग, बाल कटिंग आदि शामिल हैं। उन्होंने कहा, हम बिना एनेस्थीसिया के पालतू जानवरों की देखभाल करते हैं ताकि जानवर को कोई नुकसान न पहुंचे। ग्रूमिंग का शुरुआती पैकेज 590 रुपए से शुरू होता है, वहीं प्रीमियम पैकेज 3000 रुपए तक है।
पारिवारिक सदस्य से कम नहीं
मैंने सड़क से दो बिल्लियां गोद लीं। वे अब मेरे परिवार का हिस्सा हैं।
लवीबा फातिमा
मेरे पास साइबेरियन हस्की है,इसका रखरखाव करना महत्वपूर्ण है क्योंकि अगर इसके फर और स्वास्थ्य का ध्यान नहीं रखा गया तो यह समस्या पैदा कर सकता है।
सताक्षी
मेरे पास स्पिट्ज है, ये हमारे साथ कई सालों से है, हमारा रिश्ता एक परिवार जैसा हो गया है। हम कभी भी उनकी स्वास्थ्य जांच और टीकाकरण नहीं भूलते।
शांभवी
मेरा चिहुआहुआ स्ट्रेस बस्टर है। जब भी थकान या उदासी महसूस होती है, उसके साथ खेलकर सुकून मिलता है। पालतू जानवरों से अधिक वफादार और प्यार करने वाला कोई नहीं है, हमें उन्हें भी वैसा ही प्यार देना चाहिए।पहले उन्हें कुत्तों से कोई खास लगाव नहीं था, लेकिन जब एनी उनके जीवन में आई तो धीरे-धीरे वह उन्हें अपने बच्चों की तरह प्यार करने लगीं। हर महीने वह 2000 रुपए तक खर्च कर देती हैं, जिससे वह कुत्ते के लिए जरूरी चीजें खरीदती हैं।
अक्षिता कुमारी
मेरे पास जो कुत्ता है, मेरा सबसे अच्छा दोस्त है। घर की भी सुरक्षा करता है।। कोई अनजान व्यक्ति अगर घर में घुसने की कोशिश करे, तो वो तुरंत सतर्क हो जाता है।
डा. स्वीटी ठाकुर
पेट पालने से पहले जिम्मेदारी समझें
पेट पालना एक बड़ी जिम्मेदारी है। जानवर को घर लाने से पहले ये समझना बेहद जरूरी है कि उसकी सही देखभाल, पोषण, समय पर वैक्सीनेशन और स्वास्थ्य की जिम्मेदारी आपकी है। जानवर बोल नहीं सकते, लेकिन उनकी हर जरूरत को समझना जरूरी है
वेटरनरी डाक्टर विकास शर्मा कहते हैं, पेट पालना अच्छी बात है लेकिन इसके लिए खुद को तैयार करना जरूरी है। खासकर, कुत्तों को समय पर एंटी-रेबीज, केनेल कफ, पपी डीबी आदि टीके लगवाना बहुत जरूरी है, जो उन्हें नौ गंभीर बीमारियों से बचाते हैं। अपने घर की जगह, समय और खर्च का आकलन करना जरूरी है। सालाना टीकाकरण और कृमि मुक्ति पर करीब 5000 रुपये का खर्च आता है, इसे नजरअंदाज नहीं करना चाहिए।
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