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    बिहार में खुला था PFI के फुलवारीशरीफ टेरर माड्यूल के 'मिशन 2047' का राज, निशाने पर थे PM मोदी

    By Vyas ChandraEdited By:
    Updated: Wed, 28 Sep 2022 05:36 PM (IST)

    पीएम मोदी के पटना दौरे के ठीक पहले पीएफआइ की साजिश सामने आने के बाद देशभर में सनसनी फैल गई थी। बिहार के कई जिलों में युवाओं को दिग्‍भ्रमित कर हथियार चलाने की ट्रेनिंग दी जा रही थी। इनके मिशन 2047 से देशविरोधी गतिविधियां उजागर हुईं थीं।

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    पटना में गिरफ्तार किए गए थे जलालुद्दीन और अतहर। फाइल फोटो

    पटना, आनलाइन डेस्‍क। बिहार के फुलवारीशरीफ टेरर मॉड्यूल के सामने आने के बाद पीएफआइ (Popular Front of India) और एसडीपीआइ (Social Democratic Party of India) के नाम चर्चा में आए। भारत को साल 2047 तक इस्‍लामिक राष्‍ट्र बनाने के 'मिशन 2047' का राज खुला। पता चला कि 12 जुलाई को पटना में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के कार्यक्रम के दौरान हमले की साजिश रची गई थी। इसके बाद जब एनआइए और एटीएस ने कार्रवाई शुरू की तो बिहार के कई जिलों में इसका फैलाव मिला। फिर गिरफ्तारियों का सिलसिला चला। ईडी की जांच में टेरर फंडिंग की बात भी सामने आई। संगठन के तार पूरे देश में फैले मिले। अब भारत सरकार ने पीएफआइ पर प्रतिबंध लगा दिया है तो एक बार फिर यह नाम सुर्खियों में आ गया है।   

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    प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी थे निशाने पर 

    जांच एजेंसियों के मुताबिक पटना में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) के 12 जुलाई के कार्यक्रम के दौरान हमले की तैयारी थी। इससे एक दिन पहले 11 जुलाई की शाम आइबी की इनपुट के आधार पर पटना पुलिस ने फुलवारीशरीफ में छापेमारी कर मो जलालुद्दीन और अतहर परवेज को पकड़ा। इनसे पूछताछ के बाद अरमान मलिक को गिरफ्तार किया गया। इनसे पूछताछ में पता चला कि प्रधानमंत्री पर हमला के लिए 15 दिनों से ट्रेनिंग दी जा रही थी।   

    मिशन 2047 के मिले थे दस्‍तावेज 

    जांच के दौरान चौंकानेवाली बातें सामने आई। पकड़े गए आतंकियों के पास से इंडिया 2047 नामक सात पृष्‍ठ का कागजात मिला। इसमें भारत को 2047 तक इस्‍लामिक राष्‍ट्र बनाने की साजिश थी। इसी को लेकर बिहार के बेरोजगार मुस्लिम युवाओं को दिग्‍भ्रमित कर उन्‍हें तैयार किया जा रहा था। हथियार चलाने की ट्रेनिंग दी जा रही थी। जांच में पता चला कि अब तक 15 हजार से ज्‍यादा युवकों को हथियार चलाने का ट्रेनिंग ये लेाग दे चुके थे। इसके लिए बकायदा 15 जिलों में कैंप आफिस खोले गए थे। इनका मुख्‍यालय पूर्णिया को बनाया गया था।  

    दिया हथियार चलाने का प्रशिक्षण 

    जांच में पता चला कि पटना, दरभंगा, नालंदा, पूर्वी चंपारण, मधुबनी, कटिहार, अररिया, वैशाली, मुजफ्फरपुर और सारण के बेरोजगार युवकों को पीएफआइ निशाना बनाते थे। आर्थिक रूप से कमजोर युवाओं को मदद देकर ये उनका ब्रेनवाश करते थे। इसके बाद धर्म के नाम पर भड़काकर उन्‍हें संगठन से जोड़कर हथियार चलाने समेत अन्‍य ट्रेनिंग देते थे। एनआइए, एटीएस और ईडी की जांच के बाद बिहार में ताबड़तोड़ छापेमारी हुई। दर्जनों लोग गिरफ्तार किए गए। इसके बाद देशभर में कई जगहों पर जांच एजेंसियों ने रेड किया। टेरर फंडिंग की बात भी सामने आई।