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    जाति गणना पर तेजस्वी यादव का मास्टर स्ट्रोक, लालू यादव के राजद ने बनाया नया फार्मूला

    राजद ने सरकारी ठेके से लेकर निजी क्षेत्र की नौकरियों और लोकसभा-विधानसभा में पिछड़ा-अति पिछड़ा वर्ग के लिए आरक्षण की पैरोकारी की है। तेजस्वी यादव ने प्रधानमंत्री को पत्र लिख शिकायत की कि जाति जनगणना की मांग को विभाजनकारी और अनावश्यक बताकर एनडीए अड़ंगा लगाता रहा है। इसके लिए उन्होंने एक्स का इस्तेमाल किया।

    By Vikash Chandra Pandey Edited By: Akshay Pandey Updated: Sat, 03 May 2025 07:41 PM (IST)
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    जाति जनगणना के मुकाबले के लिए राजद ने बनाया नया फार्मूला।

    राज्य ब्यूरो, पटना। केंद्र सरकार ने जाति गणना का निर्णय कर विपक्ष से यह मुद्दा छीन लिया है। इस कारण महागठबंधन की बेचैनी बढ़ गई है। फिलहाल राजद ने बचाव का रास्ता अख्तियार करते हुए आरक्षण का नया फार्मूला पेश किया है। अब वह सरकारी ठेके से लेकर निजी क्षेत्र की नौकरियों और लोकसभा-विधानसभा में पिछड़ा-अति पिछड़ा वर्ग (ओबीसी-ईबीसी) के लिए आरक्षण की पैरोकारी करने लगा है।

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    पत्र लिख जाति जनगणना हेतु धन्यवाद

    राजद नेता तेजस्वी यादव ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को पत्र लिख जाति जनगणना हेतु धन्यवाद दिया है और परिकल्पना की है कि समानता की यात्रा में यह परिवर्तनकारी क्षण होगा। लिखा है कि इसके लिए संघर्ष करने वाले हमारे पुरखे और लाखों लोग मात्र आंकड़ों की नहीं, बल्कि सम्मान और सशक्तीकरण की प्रतीक्षा कर रहे हैं।

    मास्टर-स्ट्रोक के पहलू 

    जनसंख्या के अनुपात में आरक्षण की अपेक्षा 

    ओबीसी-ईबीसी के लिए आरक्षित निर्वाचन क्षेत्र 

    निजी क्षेत्र, ठेकेदारी, न्यायपालिका में आरक्षण 

    मंडल कमीशन की शेष अनुशंसाएं प्रभावी हों 

    बिहार के लिए विशेष राज्य और विशेष पैकेज

    एक्स पर पोस्ट कर दिखाई झांकी

    बिहार में मंडल आयोग की अनुशंसाओं का सबसे अधिक लाभ एक समय राजद के पूर्ववर्ती जनता दल को मिला था। तेजस्वी को संभवत: उसकी पुनरावृत्ति की आशा है। शायद इसीलिए वे अपना मास्टर-स्ट्रोक चल रहे। शुक्रवार को एक्स पर पोस्ट कर उन्होंने विभिन्न क्षेत्रों में ओबीसी-ईबीसी का प्रतिनिधित्व बढ़ाने के लिए एक रोड-मैप की झांकी दिखाई थी। उसके अगले दिन प्रधानमंत्री को पत्र लिख शिकायत की कि जाति जनगणना की मांग को विभाजनकारी और अनावश्यक बताकर एनडीए अड़ंगा लगाता रहा है।

    हाशिये की जनसंख्या की उम्मीद बंधी

    अब देर से ही इसका निर्णय हुआ है तो हाशिये की जनसंख्या की उम्मीद बंधी है। बिहार में ओबीसी-ईबीसी की हिस्सेदारी लगभग 63 प्रतिशत है, लेकिन हर क्षेत्र में प्रतिनिधित्व कम है। संभव है कि देश में भी कुछ ऐसा ही पैटर्न हो। जाति जनगणना के आंकड़ों के आधार पर सामाजिक सुरक्षा और आरक्षण की सीमा में वृद्धि होनी चाहिए। संसाधनों के न्यायसंगत वितरण से आर्थिक असमानता दूर होगी। निजी उद्योग क्षेत्र से सामाजिक संरचना को प्रतिबिंबित करने की अपेक्षा है।

    भाषा राजनीतिक मर्यादा का उल्लंघन भी

    संभवत: तेजस्वी की मंशा विधानसभा चुनाव से पहले सामाजिक न्याय के विमर्श को नया रूप देने की है। सामाजिक न्याय का श्रेय वे राजद और लालू प्रसाद को दे रहे। हालांकि, विरोधियों पर आक्षेप के क्रम में उनकी भाषा राजनीतिक मर्यादा का उल्लंघन भी कर जाती है।

    जाति गणना की पहल समाजवादी दबाव से प्रेरित

    तेजस्वी का कहना है कि जाति गणना बिहार की राजनीति को फिर से परिभाषित करेगी और सामाजिक न्याय के लिए दशकों से चले आ रहे संघर्ष को आगे बढ़ाएगी। भाजपा और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ पर आक्षेप लगाते हुए उनका कहना है कि आज हमें गाली देने वाले ये संघी और भाजपा नेता अंतत: हमारे एजेंडे को अपना मास्टर-स्ट्रोक बना चुके हैं। कितने खोखले लोग हैं ये! कहा कि केंद्र की जाति गणना की पहल भाजपा की मंशा के बजाय निरंतर समाजवादी दबाव से प्रेरित थी।