Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    Bihar Election: विवादों के चक्रव्यूह में घिरते जा रहे तेजस्वी यादव, एनडीए की रणनीति बनेगी चुनौती

    Updated: Mon, 22 Sep 2025 02:30 AM (IST)

    तेजस्वी यादव की युवा अपील और सामाजिक न्याय की राजनीति उन्हें एनडीए के विरुद्ध विकल्प बनाती है लेकिन महागठबंधन की अस्थिरता और कानूनी पचड़े उनकी छवि को विवादास्पद बनाते हैं। महुआ में प्रधानमंत्री के खिलाफ टिप्पणी और पहले के विवादों ने उनकी मुश्किलें बढ़ाई हैं। सर्वेक्षणों में लोकप्रियता के बावजूद एनडीए की रणनीति और कानूनी मामले उनके लिए चुनौती हैं।

    Hero Image
    विवादों के चक्रव्यूह में घिरते जा रहे तेजस्वी। फाइल फोटो

    विकाश चन्द्र पाण्डेय, पटना। तेजस्वी यादव की युवा अपील और सामाजिक न्याय की राजनीति उन्हें एनडीए के विरुद्ध मजबूत विकल्प बनाती है, लेकिन महागठबंधन की अस्थिरता, पारिवारिक कलह, कानूनी पचड़े और राजनीतिक विवाद उनकी छवि को विवादास्पद वारिस में बदल रहे।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    एक विवाद का अंत हुआ नहीं कि तेजस्वी दूसरे प्रपंच में उलझ जाते हैं। ताजा प्रकरण महुआ में उनकी जनसभा के दौरान प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को दी गई गाली है।

    इससे पहले सलाहकार संजय यादव की कथित दखलअंदाजी को लेकर बहन रोहिणी आचार्य की नाराजगी और बड़े भाई तेजप्रताप यादव के पार्टी-परिवार से निष्कासन पर भी लांछन लग चुका है।

    एसआइआर पर निर्वाचन आयोग के विरुद्ध मुखर हुए तो दोहरे ईपिक के आरोपों की जद में आ गए। इंटरनेट मीडिया पर प्रधानमंत्री के आपत्तिजनक कार्टून पोस्ट करने पर उत्तर प्रदेश और महाराष्ट्र में प्राथमिकी तक दर्ज हो चुकी है।

    राहुल गांधी की वोटर अधिकार यात्रा के दौरान भी दरभंगा में एक मंच से प्रधानमंत्री और उनकी दिवंगत मां को अपशब्द कहे गए। तब राजद ने यह कहते हुए पल्ला झाड़ लिया था कि मंच पर तेजस्वी नहीं थे। इस बार मंच पर तेजस्वी थे और नीचे गाली दी जा रही थी।

    हालांकि, राजद इसे मार्फ्ड आडियो-वीडियो बता रहा, लेकिन भाजपा ने मोर्चा खोल दिया है। यह मामला अभी और तूल पकड़ेगा। बिहार अधिकार यात्रा के दौरान खगड़िया में तेजस्वी ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के स्वास्थ्य और उनकी शासन-पद्धति को लेकर अप्रिय टिप्पणियां कीं। भाजपा ने उसे नीचता बताया।

    लोकप्रियता में भी आगे

    2023 में भी ऐसे ही एक बयान (केवल गुजराती ही गुंडे) के लिए उनकी सर्वत्र आलोचना हुई थी। तेजस्वी के लिए ये दाग अच्छे हैं या बुरे, नि:संदेह इसका निर्धारण चुनाव परिणाम से होगा, लेकिन एनडीए की मजबूत रणनीति और जंगलराज की छाया उनके लिए चुनौती हैं।

    एक्स पर समर्थक उनकी यात्रा की प्रशंसा करते हैं, जबकि आलोचक संस्कारहीनता का आरोप लगा रहे।  विरोधाभास के बावजूद, यादवों और मुसलमानों के साथ युवाओं में तेजस्वी ने अपनी लोकप्रिय छवि बनाई है। सी-वोटर सर्वे के अनुसार, वे मुख्यमंत्री पद के सर्वाधिक पसंदीदा चेहरे हैं।

    अप्रैल में उन्होंने स्वयं को मुख्यमंत्री चेहरा भी बताया, लेकिन कांग्रेस ने दावेदारी को औपचारिक रूप से स्वीकार नहीं किया। अंतत: 19 सितंबर को उन्होंने कहा कि महागठबंधन मुख्यमंत्री चेहरा के बगैर मैदान में नहीं जाएगा।

    इस बीच ध्रुवीकरण की आशंका जताते हुए उन्होंने एआइएमआइएम को महागठबंधन में साझेदार बनाने से इन्कार कर दिया। राजद का आंतरिक सर्वे एनडीए को आगे बता रहा और अब सीमांचल में मुस्लिम मतों में बिखराव की आशंका प्रबल हो गई है।

    हालांकि, झारखंड की जीत से प्रेरित तेजस्वी का दावा है कि महागठबंधन एकजुट रहा, तो 150 से अधिक सीटें संभव हैं। 243 सदस्यीय विधानसभा में बहुमत के लिए 123 का संख्या बल चाहिए।

    कानूनी पचड़े

    2020 के शपथ-पत्र में तेजस्वी ने 11 आपराधिक मामलों (लैंड-फार-जाब, मनी लांड्रिंग, आइआरसीटीसी घोटाले आदि) का उल्लेख किया है। सीबीआइ और ईडी की जांच जारी है। 2020 में शक्ति मलिक हत्या मामले में भी तेजस्वी और तेजप्रताप पर आरोप लगे।