कब्ज, मल संग खून आने जैसे लक्षणों को पाइल्स समझ हल्के में लेना घातक, हो सकते हैं कैंसर के शुरुआती संकेत
दैनिक जागरण के लोकप्रिय कार्यक्रम हेलो जागरण में आइजीआइएमएस में जनरल सर्जरी के विभागाध्यक्ष प्राे. डा. पवन कुमार झा ने सुधि पाठकों के सवालों के जवाब दिए। डॉक्टर ने कहा कि कब्ज मल संग खून आना जैसे लक्षणों को बवासीर (पाइल्स) समझकर हल्के में लेना घातक हो सकता है। ये कैंसर के शुरुआती संकेत हो सकते हैं।

जागरण संवाददाता, पटना। कब्ज, मल संग खून आना जैसे लक्षणों को बवासीर (पाइल्स) समझकर हल्के में लेना घातक हो सकता है। ये रेक्टल या कोलोरेक्टल कैंसर के शुरुआती संकेत हो सकते हैं। देश व प्रदेश में कोलोरेक्टल कैंसर के मामले तेजी से बढ़े हैं।
इनमें से अधिसंख्य एडवांस स्टेज में अस्पताल पहुंचते हैं। पाइल्स व रेक्टल कैंसर के प्रारंभिक लक्षणों में समानता के कारण मरीज अक्सर स्वयं या घरेलू उपचार में कीमती समय गवां देते हैं। देर से अस्पताल पहुंचने का एक कारण यह धारणा भी है कि पाइल्स या हार्निया की सर्जरी कराने पर दोबारा हो जाता है।
पुरानी तकनीक से इतर बिना टांके-चीरा वाली नई लेजर सर्जरी, लैप्रोस्कोपिक, रोबोटिक या स्टेपलर हेमोरायडेक्टामी तकनीक से हार्निया या पाइल्स दोबारा होने की आशंका न के बराबर रहती है। इसमें ऊतक हटाने के बजाय पाइल्स को ऊपर खींचा जाता है।
नई सर्जरी तकनीक लैप्रोस्कोपी, एंडोस्कोपी व रोबोटिक सर्जरी से अपेंडिक्स या अपेंडिसाइटिस, फिशर, फिस्टुला, पाइल्स, कोलोरेक्टल संबंधी समस्याएं, स्तन में गांठ या कैंसर, थाइरायड गांठ, हाइड्रोसिल, अंडकोष संबंधी रोग, ट्यूमर, सिस्ट या विभिन्न प्रकार की गांठें हटाने की प्रक्रिया अधिक सटीक, कम दर्दनाक व जल्दी स्वस्थ करने वाली हो गई हैं। ये बातें दैनिक जागरण के लोकप्रिय कार्यक्रम हेलो जागरण में रविवार को आइजीआइएमएस में जनरल सर्जरी के विभागाध्यक्ष प्राे. डा. पवन कुमार झा ने सुधि पाठकों के सवालों के जवाब में कहीं।
- पाइल्स की सर्जरी के बाद दोबारा होने की कितनी आशंका, स्थायी इलाज क्या है?
शशिभूषण मखनिया कुआं, कुंदन कुमार गोलारोड, रवि कुमार बोरिंग रोड
पाइल्स की सर्जरी के बाद भी लंबे समय तक कब्ज व तनाव, कम फाइबर वाला भोजन, कम पानी पीने, व्यायाम नहीं करने, अत्यधिक वजन उठाने या गर्भधारण, गलत या अपूर्ण सर्जरी जिसमें पाइल्स को ठीक से न हटाया जाए या पाइल्स की जन्मजात प्रवृत्ति वालों में यह दोबारा हो सकती है। परंपरागत सर्जरी में 10 से 30 प्रतिशत तो आधुनिक लेजर, स्टेपलर या रोबोटिक सर्जरी में दो से पांच प्रतिशत में दोबारा होने की आशंका रहती है। पाइल्स-फिशर सर्जरी के बाद हरी सब्जियां, फल, साबुत अनाज, आठ से 10 गिलास पानी, कब्ज से बचाव, मलत्याग में अधिक जोर न लगाएं न देरी करें, नियमित व्यायाम करें व भारी वजन न उठाएं तो यह आशंका न के बराबर होती है।
- शौच के समय मांस बाहर आता है, खुद से अंदर नहीं जाता?
ओमप्रकाश पटनासिटी, केशव राय गर्दनीबाग
यह रेक्टल प्रोलैप्स है जो शुरुआत में सिर्फ मलत्याग के समय दिखता है पर कई बार स्थायी हो सकता है। पाइल्स या साधारण कब्ज समझकर इसकी अनदेखी नुकसानदेह है। शुरुआत में कब्ज से राहत देने वाली दवाओं, पेल्विक फ्लोर व्यायाम, मलत्याग आदतों में सुधार से आराम हो सकता है लेकिन इसका स्थायी निदान सर्जरी ही है। लैप्रोस्कोपिक व रोबोटिक सर्जरी तकनीक ने इसे ज्यादा सुरक्षित, कम दर्दनाक व अधिक समय तक प्रभावी बना दिया है।
- ढाई वर्ष पहले हार्निया की सर्जरी पर अब भी दर्द?
अमरजीत कुमार पटना
यदि वजन उठाने या अधिक चलने पर दर्द होता है व सूजन नहीं है तो चिंता की बात नहीं है। हार्निया सर्जरी में मेस लगाया जाता है, उसके सिकुड़ने या स्थान बदलने से भी दर्द हो सकता है। अपने सर्जन से मिलकर बताएं, ठीक हो जाएंगे।
इन्होंने भी पूछे सवाल
अरविंद कुमार सिंह कुम्हरार, अनोज कुमार खुशरूपुर, आशुतोष कुमार सिंह अलावलपुर, अरविंद कुमार पटना सिटी, चंद्रशेखर प्रताप पटना सदर, सुरेंद्र सिंह आरा, जयप्रकाश फुलवारीशरीफ, मो. अशरद पटनासिटी आदि।
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