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    Bihar News: ब्रह्मलीन स्‍वामी रंग रामानुजाचार्य को भगवान की तरह मानते थे भक्‍त, अंतिम दर्शन के लिए लगा तांता

    By Shubh Narayan PathakEdited By:
    Updated: Fri, 06 May 2022 09:55 AM (IST)

    Bihar News स्‍वामी रंग रामानुजाचार्य के देह त्‍याग करने से हर तरफ शोक त्रेता और द्वापर की गुरु शिष्य की परंपरा को कलयुग में किया था जीवित वास्तु शास्त्र से लेकर मानव जीवन के हर एक मूल्य के थे महान ज्ञाता

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    Bihar News: ब्रह्मलीन स्‍वामी रंग रामानुजाचार्य। फाइल फोटो

    जागरण संवाददाता, जहानाबाद। त्रेता और द्वापर युग की भक्ति और आस्था की मिसाल आज तक दी जाती है लेकिन कलयुग में भी मगध की भूमि पर एक ऐसे महान संत जन्म लिए जिन्हें लोग भगवान से जुडऩे का सीधा माध्यम मानते रहे। हुलासगंज मठ के बड़े स्वामी श्रीरंगरामानुजाचार्य जी महाराज इस वर्तमान युग में धार्मिक आस्था के साथ-साथ गुरु शिष्य की ऐसी परंपरा विकसित कर चुके थे जिसे कभी भुलाया नहीं जा सकता है। मगध के कोने-कोने तक मौजूद इनके शिष्यों की बड़ी संख्या हर एक दुख सुख में इनका स्नेह जरूर हासिल करते थे। उनके निधन पर भक्‍तों का मठ में पहुंचना लगातार जारी है। उनके अंतिम दर्शन के लिए पूर्व सांसद जगदीश शर्मा और घोषी के पूर्व विधायक राहुल कुमार भी पहुंचे।

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    गुरु वाक्य कभी मिथ्या नहीं जाता इसका अनुपम उदाहरण स्वामी जी कई बार पेश करते रहे। विभिन्न वेदनाओं से त्रस्त मानवता इनकी शरण में आते हैं अलौकिक सुख को प्राप्त करता था। धर्म से विमुख हो चुके कई लोग स्वामी जी के प्रवचन मात्र सुनने से ही आस्था के समंदर में उतरते चले गए। आज के समय में जब भौतिक सुख सुविधा हर चीजों पर हावी हो रहा है ऐसे में श्री श्री रंग रामानुजाचार्य जी महाराज द्वारा किए गए पथ प्रदर्शन आस्था से जोडऩे का एक बड़ा माध्यम रहा। 

    सिर झुका कर गुरुजी की हर एक बातों पर लोग करते थे भरोसा

    कौन कहता है कि त्रेता और सतयुग में ही गुरु शिष्य की परंपरा थी, यदि योग्य गुरु हों तो हर एक युग में यह जीवंत रहेगा। स्वामी जी श्री रंग रामानुजाचार्य जी महाराज भी एक ऐसे योग्य गुरु थे जिनकी बातों पर लोग भगवान की वाणी की तरह भरोसा करते थे। यही कारण था कि गुरुजी के आगमन होने के बाद कई घरों के दरवाजे और खिड़कियों के स्थान बदल गए।

    दुख का निवारण भक्त जानना चाहते थे ऐसे में बाधक बन रहे सभी बातों की जानकारी देते हुए उसका निवारण भी स्वामी जी कर देते थे। गुरु जी के इस निवारण का सीधा लाभ लोगों को मिलता रहा। हर एक शुभ कार्य से पहले गुरुजी का आशीर्वाद ग्रहण करना लेना लोग जरूरी समझते थे। स्वामी जी की दिव्य शक्ति ऐसी थी कि इनकी कृपा मात्र से कई अशुभ कार्य शुभ में तब्दील होते रहे हैं।

    राजा हो या रंक सभी के लिए खुले थे स्वामी जी के दरबार

    स्वामीजी श्री रंगरामानुजाचार्य जी महाराज के सामने जो कोई पूरे समर्पण व आस्था के साथ आते थे उनके दुख का निवारण में वे जुट जाते थे। यही कारण था कि आम से लेकर खास तक लोग हमेशा उनके दर्शन के लिए पहुंचे रहते थे। भेदभाव से पूरी तरह मुक्त महान आत्मा ने जिनकी भक्ति पर प्रसन्नता जाहिर की उनका जीवन संवरता चला गया। जिले में असंख्य ऐसे भक्त हैं जो आज यह स्वीकार करते हैं कि उनकी प्रगति में गुरु स्वामी जी की असीम कृपा का अहम योगदान रहा है।