बिहार विधानसभा चुनाव: एनडीए में चिराग पासवान की भूमिका पर सस्पेंस, सीट बंटवारे को लेकर क्या है रणनीति?
बिहार में एनडीए गठबंधन के भीतर चिराग पासवान की भूमिका को लेकर अनिश्चितता बनी हुई है। चिराग खुद को मुख्यमंत्री पद के दावेदार के रूप में पेश कर रहे हैं जबकि एनडीए नीतीश कुमार को आगे कर रहा है। सीटों के बंटवारे को लेकर भी खींचतान है लोजपा (रा) 43 सीटों की मांग कर रही है।

राज्य ब्यूरो, पटना। राज्य के सभी राजनीतिक दल चुनाव के रास्ते पर चल पड़े हैं। साथ चलने वाले दलों की भी पहचान हो चुकी है। लेकिन, एनडीए के घटक दलों के बीच अब भी लोजपा (रा) के अध्यक्ष और केंद्रीय मंत्री चिराग पासवान की भूमिका को लेकर अंधेरा छाया हुआ है।
चिराग स्वयं कह रहे हैं कि विधानसभा चुनाव के बाद नीतीश कुमार ही मुख्यमंत्री होंगे। उधर उनके सम्मेलन में नारा लगता है- मुख्यमंत्री कैसा हो? चिराग पासवान जैसा हो।
अभी तक यह नहीं हुआ है कि गठबंधन में उन्हें कितनी सीटें दी जाएंगी। यह भी कि मन लायक सीटें नहीं मिलने पर चिराग क्या करेंगे।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मां को अपशब्द कहे जाने के विरोध में चार सितंबर को एनडीए से जुड़ी महिलाओं ने बिहार बंद का आह्वान किया था। चिराग उस दिन मुजफ्फरपुर में पार्टी की नव संकल्प महासभा को संबोधित कर रहे थे। पार्टी की सांसद शांभवी चौधरी गर्व से बता रही थीं कि बिहार बंद के बावजूद बड़ी संख्या में लोग सभा में आए हैं।
पार्टी के एक अन्य सांसद अरुण भारती के अनुसार-संकल्प महासभा में लाखों का जन सैलाब उमड़ गया था। चिराग बदलाव के लिए लड़ रहे हैं। उन्होंने कहा कि मुजफ्फरपुर और वैशाली की जनता अब तक केंद्र में मंत्री बना कर भेजती रही है। अब अपने नेता को प्रदेश का नेतृत्व सौंपेंगी। बदलाव के प्रति चिराग की पार्टी का यह रूख एनडीए के दो प्रमुख घटक-भाजपा और जदयू के एक बार फिर एनडीए सरकार के नारा के प्रतिकूल है।
चिराग की इस भूमिका पर एनडीए के घटक दलों के नेता सीधी टिप्पणी से बचते हैं। भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष डॉ. दिलीप जायसवाल कहते हैं कि सभाओं में दलों के कार्यकर्ता उत्साह में नारा (नेता कैसा हो, ऐसा हो) का नारा लगा ही देते हैं। केंद्रीय मंत्री जीतनराम मांझी के अनुसार-चिराग को विधानसभा की ठीक ठाक सीट सीट देकर संतुष्ट किया जाएगा।
चिराग की बेरूखी सीटों को लेकर ही है। अरुण भारती ने इंटरनेट मीडिया के माध्यम से बता दिया था कि लोजपा (रा) को विधानसभा की न्यूनतम 43 सीटें चाहिए। इसबीच जन सुराज के संस्थापक प्रशांत किशोर भी इसमें कूद पड़े हैं। पीके ने कहा कि अगर लोकसभा की 12 सीटों के आधार पर भाजपा-जदयू को सौ-सौ सीटें मिल रही हैं तो पांच सांसदों वाली लोजपा (रा) को 40 सीटें तो मिलनी ही चाहिए।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मां के अपमान के विरूद्ध जब पूरे राज्य में बंद का आयोजन किया गया था, उसी दिन एनडीए के एक घटक दल की ओर से रैली या सभा के आयोजन का औचित्स समझ से परे है।
नीरज कुमार, मुख्य प्रवक्ता, जदयू।
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