Bihar News: सुप्रीम कोर्ट ने B.Ed पास अभ्यर्थियों को राहत देने से किया इनकार, बिहार सरकार ने उठाया ये बड़ा कदम
Bihar B.Ed News सुप्रीम कोर्ट ने बिहार के बीएड पास अभ्यर्थियों को राहत देने से इनकार कर दिया है। देश की सबसे बड़ी अदालत ने बिहार सरकार की एसएलपी को खारिज कर दिया है। शुक्रवार को फ्रेश रिट पर सुनवाई होगी। इसके साथ ही मामले को दूसरी बेंच में ट्रांसफर कर दिया गया है। बिहार सरकार अब बदलाव के साथ दूसरी याचिका दायर करेगी।
राज्य ब्यूरो, पटना। बिहार के बीएड पास अभ्यर्थियों (Bihar Teacher B.Ed News) को लेकर सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) में सोमवार को सुनवाई हुई। बिहार सरकार (Bihar Government) द्वारा दायर एसएलपी (SLP) को खारिज करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने बीएड कैंडिडेट्स (B.Ed Candidate) को फिलहाल राहत देने से इनकार कर दिया है।
सुप्रीम कोर्ट के इस निर्णय के बाद बिहार सरकार ने इस संबंध में दाखिल याचिका को वापस ले लिया है। बिहार सरकार द्वारा सुप्रीम कोर्ट में एसएलपी दायर मांग की गई थी कि बीएड डिग्रीधारियों को प्राथमिक शिक्षकों के पद पर नियुक्ति का अवसर मिलना चाहिए। सोमवार को सुप्रीम कोर्ट में इसकी सुनवाई की गई। कोर्ट ने मामले को दूसरी बेंच को ट्रांसफर कर दिया, जिसके बाद बिहार सरकार ने अपने आवेदन को वापस ले लिया।
बता दें कि कक्षा एक से पांच तक के शिक्षकों की नियुक्ति में बीएड अभ्यर्थियों को शामिल किए जाने को लेकर सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में एसएलपी दायर की थी। बीपीएससी ने सिर्फ डीएलएड पास उम्मीदवारों का रिजल्ट जारी करने का निर्णय लिया है। इस मामले में जस्टिस एएस बोपन्ना और जस्टिस एमएम सुंदरेश की बेंच में सुनवाई हुई। बिहार में एक लाख 70 हजार 461 शिक्षकों की नियुक्ति होनी है, जिसमें से लगभग 80 हजार प्राथमिक विद्यालयों में सेवा देंगे।
उल्लेखनीय है कि सुप्रीम कोर्ट ने अपने पूर्व के फैसले से बीएड डिग्री मात्र को प्राथमिक शिक्षक के लिए पात्र नहीं माना था। सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले से बड़ी संख्या में बीएड डिग्रीधारी बिहार में प्राथमिक शिक्षक भर्ती के लिए अयोग्य हो गए। सुप्रीम कोर्ट ने राजस्थान में शिक्षक नियुक्ति से जुड़े मामले की सुनवाई की थी और इसी क्रम में बिहार में भी डीएलएड या बीटीसी डिग्रीधारियों को ही प्राथमिक शिक्षक के पद के लिए योग्य माना था। इस कारण कई अभ्यर्थियों के परिणाम पर रोक लगा दिया गया। शुक्रवार को नई याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में इसकी सुनवाई होगी।
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