Bihar By Election: क्या टल जाएगा बिहार का उपचुनाव? आ गया सुप्रीम कोर्ट का फैसला; PK की पार्टी ने दाखिल की थी याचिका
Supreme Court on Jan Suraaj सुप्रीम कोर्ट ने जनसुराज पार्टी की उस याचिका को खारिज कर दिया जिसमें बिहार में उपचुनाव की तारीख को छठ पूजा के कारण 20 नवंबर तक बढ़ाने की मांग की गई थी। शीर्ष अदालत ने कहा कि निर्धारित उपचुनावों में हस्तक्षेप करने के लिए आपलोग बहुत देरी से आए हैं और यह नीतिगत मुद्दा है।

पीटीआई, दिल्ली/पटना। Bihar Upchunav 2024: सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को प्रशांत किशोर की पार्टी जनसुराज को बड़ा झटका देते हुए उपचुनाव को टालने वाली याचिका को खारिज कर दिया। बता दें कि बिहार में 13 नवंबर को चार सीटें रामगढ़, इमामगंज, बेलागंज और तरारी सीट पर उपचुनाव होने जा रहा है।
क्या थी जनसुराज पार्टी की मांग
जन सुराज पार्टी की ओर से दाखिल की गई याचिका में बिहार में छठ पूजा का हवाला देते हुए बिहार में भी उपचुनाव की तारीख को 13 से बढ़कर 20 नवंबर किए जाने की मांग की थी। जन सुराज पार्टी ने चुनाव आयोग द्वारा बिहार में उपचुनावों की तारीख आगे नहीं बढ़ाए जाने के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट मे याचिका दाखिल की थी।
याचिका पर जजों और वकीलों के बीच हुई बहस
न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति उज्ज्वल भुइयां की पीठ ने कहा कि निर्धारित उपचुनावों में हस्तक्षेप करने के लिए बहुत देरी हो चुकी है। शीर्ष अदालत ने इसे नीतिगत मुद्दा बताते हुए कहा कि अदालतों को ऐसे मामलों में हस्तक्षेप नहीं करना चाहिए और कहा कि बिहार उपचुनाव के लिए सभी व्यवस्थाएं की गई हैं।
पीठ ने टिप्पणी करते हुए कहा कि अन्य राजनीतिक दलों को कोई समस्या नहीं है। केवल आपको समस्या है। आप एक नए राजनीतिक दल हैं, आपको इन जिग-जैग को जानने की जरूरत है। याचिकाकर्ता की ओर से पेश वरिष्ठ वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि बिहार में छठ पूजा जितना महत्वपूर्ण कोई अन्य त्योहार नहीं है।
पार्टी ने कहा कि उत्तर प्रदेश, पंजाब और केरल में चुनाव की तारीखें धार्मिक आयोजनों के आधार पर चुनाव आयोग द्वारा आगे बढ़ा दी गईं, जबकि बिहार चुनावों में छठ पूजा त्योहार के बावजूद इसी तरह का व्यवहार नहीं देखा गया।
आज शाम इन सीटों पर थम जाएगा चुनाव प्रचार
बिहार विधानसभा की चार सीटों तरारी, रामगढ़, इमामगंज एवं बेलागंज में उपचुनाव प्रचार का शोर आज यानी सोमवार की शाम थम जाएगा। इससे पहले विभिन्न दलों के दिग्गजों ने अंतिम चरण के चुनाव प्रचार में ताकत झोंक दी है। नेता हर तरह से समीकरण बनाने में जुट गए हैं। गौर हो कि लगभग एक वर्ष बाद संभावित विधानसभा चुनाव से पहले इन चार सीटों पर उपचुनाव की नौबत विधायकों के सांसद चुन लिए जाने के कारण बनी है। इस बार इन सीटों पर मुकाबला दिलचस्प होने वाला है।
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