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    बिहार के इस जिले को सुरसर नदी से मिलेगा शुद्ध पेयजल, 3 अरब रुपये होंगे खर्च; 63 गांवों को होगा फायदा

    Updated: Sun, 10 Aug 2025 09:07 PM (IST)

    सुपौल जिले के छातापुर प्रखंड में भूजल में लौह की मात्रा अधिक होने के कारण सरकार सुरसर नदी के जल को शुद्ध करके पेयजल के रूप में उपलब्ध कराएगी। लोक स्वास्थ्य अभियंत्रण विभाग द्वारा 3 अरब 20 करोड़ रुपये की लागत से बहुग्रामीण जलापूर्ति योजना स्थापित की जाएगी। इससे 63 गांवों के 318 वार्डों को शुद्ध पेयजल मिलेगा। परियोजना में वाटर ट्रीटमेंट प्लांट और पाइपलाइन आदि का निर्माण शामिल है।

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    प्रस्तुति के लिए इस्तेमाल की गई तस्वीर। (जागरण)

    राज्य ब्यूरो, पटना। सुपौल जिला अंतर्गत छातापुर प्रखंड के भूजल में लौह की मात्रा अनुमान्य सीमा से अधिक है। ऐसे में सरकार ने सुरसर नदी के जल को शुद्ध कर पेयजल के रूप में आपूर्ति करने का निर्णय लिया है।

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    इसके लिए लोक स्वास्थ्य अभियंत्रण विभाग (पीएचईडी) द्वारा बहुग्रामीण जलापूर्ति योजना की स्थापना होनी है। इस पर 3 अरब 20 करोड़ 10 लाख 1 हजार रुपये खर्च होंगे। इस परियोजना से 63 गांवों के लोगों को शुद्ध पेयजल उपलब्ध होगा।

    कुल 23 पंचायतों के अंतर्गत आने वाले इन गांवों में 318 वार्ड हैं। पेयजल में लौह की मात्रा प्रति लीटर अधिकतम 0.3 मिलीग्राम तक अनुमान्य है। भूजल में लौह की अधिकता के कारण उपरोक्त 63 गांवों में अधिष्ठापित नलकूप का डिस्चार्ज निकट भविष्य में कम होने की आशंका है।

    पानी को संशोधित कर बनाया जाएगा पेयजल योग्य

    ऐसे में शुद्ध पेयजल की निरंतर आपूर्ति के लिए वैकल्पिक व्यवस्था बनाई जा रही। इसी उद्देश्य से सुरसर नदी के पानी को संशोधित कर पेयजल योग्य बनाया जाएगा। दो चरण वाली इस परियोजना की कुल क्षमता 31 मेगा लीटर प्रतिदिन (एमएलडी) की होगी।

    पहले चरण में 27 एमएलडी और दूसरे चरण में चार एमएलडी की जलापूर्ति योजना का निर्माण होगा। परियोजना के अंतर्गत वाटर ट्रीटमेंट प्लांट, मास्टर/ जोनल एलिवेटेड सर्विस रिजर्वायर, क्लीयर वाटर अंडरग्राउंड रिजर्वायर, पंपिंग सेट, पाइप-लाइन बिछाने, बिजली कनेक्शन, ट्रांसफार्मर लगाने और अप्रोच रोड के निर्माण आदि का काम होगा।

    योजना के पूरी होने के बाद तीन माह की ट्रायल अवधि रहेगी। उसके अगले पांच वर्षों तक क्रियान्वयन एजेंसी द्वारा ही इसकी देखरेख की जानी है। उस पर होने वाला खर्च भी परियोजना लागत में समाहित है।