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    Sunil Singh: 'मुझे 12 तारीख को जबरन बुलाया गया था', सदस्यता रद्द होने के बाद सुनील सिंह ने निकाली भड़ास

    Updated: Fri, 26 Jul 2024 10:10 PM (IST)

    Bihar Political News बिहार विधान परिषद से सदस्यता खोने के बाद आरजेडी नेता सुनील सिंह ने राज्य सरकार के खिलाफ जमकर भड़ास निकाली। उन्होंने कहा कि मुझे बोलने का मौका ही नहीं दिया गया क्योंकि पटकथा पहले ही लिखी जा चुकी थी। उन्होंने कहा कि मिमिक्री करने से किसी की सदस्यता नहीं जा सकती है। मेरे खिलाफ साजिश रची गई।

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    सदस्यता जाने पर बुरी तरह भड़के सुनील सिंह ( फाइल फोटो)

    राज्य ब्यूरो, पटना। Sunil Singh MLC Membership: विधानपरिषद की सदस्यता समाप्त होने के बाद पत्रकारों से बातचीत में सुनिल कुमार सिंह ने कहा कि हमें पक्ष रखने का मौका नहीं मिला। मेरी बर्खास्ती की पटकथा अप्रैल में ही मुख्यमंत्री आवास पर लिखी जा चुकी थी। दो व्यक्तियों को यह कार्य सौंपा गया था।

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    जिसमें एक व्यक्ति को लोकसभा के टिकट और दूसरे व्यक्ति को उप सभापति का प्रलोभन दिया गया। विधान परिषद के नियमावली में किसी सदस्य की सदस्यता खत्म करने का कोई प्रावधान नहीं है। मिमिक्री करने से किसी सदस्य की सदस्यता नहीं जा सकती है।

     मुझे 12 तारीख को जबरन बुलाया गया था: सुनील सिंह

    सुनील सिंह (Sunil Singh) ने कहा कि आचार समिति की नोटिस के दौरान लोकसभा का चुनाव था और मैं सारण का प्रभारी बनाया गया था। लेकिन मुझे 12 मई को जबरन बुलाया गया। मैं समय पर पहुंचा, लेकिन मेरी बात नहीं सुनी गई।

    नीतीश कुमार के खिलाफ भी कार्रवाई हो: सुनील सिंह

    उन्होंने महिलाओं के खिलाफ बयान के मामले में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर भी कार्रवाई की मांग की। उन्होंने कहा कि नीतीश कुमार ने सम्राट चौधरी को भी नहीं छोड़ा। मुरेठा तो चरण पर रखवाया ही, मुंडन भी करवा दिया।

    अहंकार में है सरकार, हम छोड़ेंगे नहीं : राबड़ी

    वहीं पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ी देवी ने सुनील सिंह की सदस्यता रद्द करने के बाद पत्रकारों से बातचीत करते हुए कहा कि सरकार अहंकार में है। सरकार नीतीश कुमार नहीं, कोई और चला रहा है। इस तरह के मामले में माफी दे देनी चाहिए। उन्होंने कहा कि हम डरने वाले नहीं हैं।

    जब तीन सदस्य थे तो नहीं डरे, अब तो 13 है। हम छोड़ेंगे नहीं। वहीं मंत्री अशोक चौधरी ने इस मामले में प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि ये अचार समिति का निर्णय है। इसमें सरकार की कोई भूमिका नहीं है। रामबली सिंह की सदस्यता किन कारणों से गई थी, यह भी विपक्ष से पूछा जाना चाहिए।

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