बिहार में मशरूम उत्पादकों को राहत, अब सब्सिडी पर मिलेगी बिजली
उपमुख्यमंत्री विजय कुमार सिन्हा ने कहा कि मशरूम उत्पादन इकाइयों को अब सब्सिडी पर बिजली मिलेगी जिससे किसानों को लाभ होगा। पहले वाणिज्यिक दरों पर बिजली मिलती थी। सरकार टोपोलैंड वाले किसानों के लिए अस्थायी सेटलमेंट की प्रक्रिया अपनाएगी जिससे दियारा क्षेत्र के किसानों को भूमि का उपयोग करने का अधिकार मिलेगा। यह कदम किसानों की आय बढ़ाने में सहायक होगा।

राज्य ब्यूरो, पटना। उप मुख्यमंत्री-सह-कृषि मंत्री विजय कुमार सिन्हा ने शुक्रवार को बताया कि मशरूम उत्पादन, कंपोस्ट उत्पादन तथा स्पान उत्पादन इकाइयों को सरकार विशेष प्रोत्साहन दे रही है। बहरहाल मशरूम उत्पादन इकाइयों को सब्सिडी पर बिजली देने का निर्णय लिया गया है।
अभी तक इन इकाइयों को वाणिज्यिक बिजली कनेक्शन के अंतर्गत रखा गया था। इस कारण किसानों को लागत अधिक और लाभ कम प्राप्त हो रहा था। अंतत: निर्णय लिया गया कि अब मशरूम उत्पादन से जुड़ी इकाइयों को कृषि बिजली कनेक्शन का लाभ मिलेगा।
बिजली दरों में आएगी कमी
इससे बिजली दरों में कमी आएगी, उत्पादन लागत घटेगी और किसानों को अधिक लाभ होगा। सिन्हा ने बताया कि मशरूम उत्पादन मुख्यतः जैविक कृषि-आधारित है और यह जलवायु-नियंत्रित प्रक्रिया है, जो वाणिज्यिक उद्योग के बजाय बागवानी गतिविधि से निकटता से जुड़ी है।
किसानों ने सरकार के समक्ष बिजली पर वाणिज्यिक दरों के बोझ को कम करने और इसे कृषि श्रेणी में लाने की मांग की थी।
वह मांग पूरी कर दी गई है।बिहार विद्युत नियामक आयोग भी इस प्रक्रिया में सहयोग करेगा और मशरूम उत्पादक इकाइयों को कृषि श्रेणी की बिजली सुविधा उपलब्ध कराने में सहायक बनेगा। राज्य सरकार की इस प्रतिबद्धता से किसानों की आय बढ़ेगी।
टोपोलैंड वाले किसानों का हित
सिन्हा ने बताया कि बिहार में बड़ी संख्या में ऐसे किसान हैं, जो तीन प्रकार की टोपोलैंड श्रेणियों में खेती करते हैं। सामान्य टोपोलैंड, असर्वेक्षित टोपोलैंड एवं नदी के दियारा क्षेत्र।
विशेषकर दियारा क्षेत्रों की भूमि समय-समय पर नदी में समाहित हो जाती है, जिससे स्थायी सेटलमेंट संभव नहीं हो पाता। ऐसी परिस्थितियों में अस्थायी सेटलमेंट की प्रक्रिया अपनाई जाएगी, ताकि किसानों को अस्थायी रूप से भूमि का उपयोग करने का अधिकार प्राप्त हो सके।
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