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पटना के छात्र बचा रहे रक्षा मंत्रालय का बजट, आस्‍ट्र‍िया से पांच गुना कीमत पर मंगाने पड़ते कई उपकरण

वर्तमान में इनका चयन राज्यस्तर पर किया गया है। इनका चयन टर्निंग कौशल के लिए किया गया है। इसके पहले इन छात्रों को दो चरणों में आयोजित प्रतियोगिताओं से गुजरना पड़़ा है। उसके बाद राज्य स्तर पर क्षेत्रीय प्रतियोगिता में शामिल होने का मौका मिला है।

By Shubh Narayan PathakEdited By: Published: Wed, 20 Oct 2021 12:05 PM (IST)Updated: Wed, 20 Oct 2021 12:13 PM (IST)
पटना के छात्र बचा रहे रक्षा मंत्रालय का बजट, आस्‍ट्र‍िया से पांच गुना कीमत पर मंगाने पड़ते कई उपकरण
पटना में आयोजित होगी राष्‍ट्रीय कौशल विकास प्रतियोगिता। प्रतीकात्‍मक तस्‍वीर

पटना, जागरण संवाददाता। राष्ट्रीय कौशल विकास निगम (National Skill Development Corporation) की ओर से बिहार की राजधानी पटना में आयोजित होने वाली आठ राज्यों की प्रतियोगिता में पटना टूल रूम का प्रतिनिधित्व राजगीर आयुध फैक्ट्री (Rajgir Ordinance Factory) के लिए उपकरण बनाने वाले छात्र करेंगे। इसके लिए टूलरूम के दो छात्रों का चयन किया है। इनमें गोविंद राज और उन्नत कुमार हैं। दोनों सोमवार से राजधानी के ज्ञान भवन में आयोजित होने वाली चार दिवसीय प्रतियोगिता में भाग लेकर प्रतिभा का प्रदर्शन करेंगे। इनकी उल‍ब्‍ध‍ियां वाकई गौरवान्‍व‍ित करने वाली हैं। पटना में तैयार होने वाले उपकरण आस्ट्रिया की तुलना में पांच गुना सस्ते हैं।

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दो चरणों की प्रतियोगिता के बाद हुआ है चयन

वर्तमान में इनका चयन राज्यस्तर पर किया गया है। इनका चयन टर्निंग कौशल के लिए किया गया है। इसके पहले इन छात्रों को दो चरणों में आयोजित प्रतियोगिताओं से गुजरना पड़़ा है। उसके बाद राज्य स्तर पर क्षेत्रीय प्रतियोगिता में शामिल होने का मौका मिला है। इस प्रतियोगिता में बिहार के अलावा झारखंड, ओडिशा, पश्चिम बंगाल, अंडमान निकोबार, मिजोरम, असम एवं त्रिपुरा के छात्र शामिल हो रहे हैं।

  • आयुध फैक्ट्री के लिए उपकरण बना छात्रों ने दिखाया कौशल
  • राज्यस्तर पर दो छात्रों का चयन, क्षेत्रीय प्रतियोगिता में मिलेगा प्रदर्शन का मौका
  • पटना के ज्ञान भवन में चार दिवसीय प्रतियोगिता का होगा आयोजन

पटना का उपकरण आस्ट्रिया से पांच गुना सस्ते

टूल रूम के सलाहकार डीके सिंह का कहना है कि वर्तमान में यहां पर राजगीर आयुध फैक्ट्री के लिए बुश, फरनेसेस, सहित कई उपकरण बनाए जा रहे हैं। इसके पहले आयुध फैक्ट्री द्वारा बुश का आयात आस्ट्रिया से किया जा रहा था। इस तरह के बुश का वहां से लाने पर फैक्ट्री की लागत लगभग ढाई लाख पड़ रही थी, जबकि संस्थान की ओर से तैयार की जाने वाले बुश की लागत महज 50 हजार के आसपास पड़ रहा है। टूल रूम के शिक्षकों को उम्मीद है कि संस्थान के छात्र क्षेत्रीय एवं राष्ट्रीय स्तर पर भी अपनी पहचान बनाएंगे।


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