पटना में वाहनों पर अनधिकृत पोस्टर-स्टीकर लगाने पर होगी सख्त कार्रवाई, जेब होगी ढीली
राजनीतिक पोस्टर स्टीकर या झंडे लगाना वाहन मालिकों के लिए महंगा साबित हो सकता है। जैसे-जैसे चुनाव नजदीक आ रहे हैं विभिन्न राजनीतिक दलों के समर्थक अपने निजी और लग्जरी वाहनों पर पार्टी के प्रतीक चिह्न नेताओं की तस्वीरें और प्रचार सामग्री युक्त स्टीकर लगा रहे हैं।कुछ दल अपने कार्यकर्ताओं को इसके लिए अच्छी रकम भी दे रहे हैं।

विद्या सागर, पटना। बिहार में विधानसभा चुनाव की तैयारियों के बीच वाहनों पर राजनीतिक पोस्टर, स्टीकर या झंडे लगाना वाहन मालिकों के लिए महंगा साबित हो सकता है। जैसे-जैसे चुनाव नजदीक आ रहे हैं, विभिन्न राजनीतिक दलों के समर्थक अपने निजी और लग्जरी वाहनों पर पार्टी के प्रतीक चिह्न, नेताओं की तस्वीरें और प्रचार सामग्री युक्त स्टीकर लगा रहे हैं।
जन सुराज, राजद, जदयू, भाजपा व कांग्रेस सहित कई दलों के कार्यकर्ता वाहनों के आगे-पीछे के शीशों, नंबर प्लेट और यहां तक कि पूरी गाड़ी को स्टीकर से सजा रहे हैं। कुछ दल अपने कार्यकर्ताओं को इसके लिए अच्छी रकम भी दे रहे हैं।
हालांकि, परिवहन विभाग और यातायात पुलिस ने ऐसे अनधिकृत प्रचार सामग्री के खिलाफ सख्त कार्रवाई की चेतावनी दी है। मोटर वाहन अधिनियम, 1988 के तहत बिना अनुमति के स्टीकर या पोस्टर लगाने पर 2500 से 5000 रुपये तक का जुर्माना और वाहन जब्ती की कार्रवाई हो सकती है।
बाइक व बड़े वाहनों पर स्टीकर चस्पाकर हो रहा प्रचार
चुनाव नजदीक आते ही कई दलों ने प्रचार के नए-नए तरीके अपनाए हैं। बाइक और बड़े वाहनों पर प्रचार के लिए विशेष एजेंसियों को नियुक्त किया गया है। ये एजेंसियां बाइक और चार पहिया वाहन चालकों से संपर्क कर उन्हें प्रचार सामग्री, जैसे पोस्टर और स्टीकर, लगाने के लिए एक निश्चित राशि दे रही हैं। इस कार्य के लिए चालकों को पूरे दिन वाहन चलाने के निर्देश दिए जाते हैं।
राजधानी में इसका सबसे अधिक लाभ कैब और आनलाइन प्लेटफार्म के माध्यम से बुक होने वाले वाहन चालक उठा रहे हैं। एजेंसियां बाइक चालकों को प्रतिदिन 500 से 1,000 रुपये और चार पहिया वाहन चालकों को 1,000 से 2,000 रुपये तक की राशि दे रही हैं।
ये हैं नियम
मोटर वाहन अधिनियम, 1988 और बिहार परिवहन विभाग के दिशा-निर्देशों के अनुसार, निजी वाहनों पर अनधिकृत पोस्टर, स्टीकर या नेमप्लेट लगाना यातायात नियमों का उल्लंघन माना जाता है। यह नियम विशेष रूप से तब लागू होता है, जब स्टीकर या पोस्टर नंबर प्लेट को ढंकते हों, चालक का दृष्टिकोण बाधित करते हों या वाहन की पहचान अस्पष्ट करते हों। प्रचार सामग्री लगाने के लिए जिला प्रशासन या परिवहन विभाग से पूर्व अनुमति लेना अनिवार्य है। बिना अनुमति के प्रचार सामग्री लगाना गैरकानूनी है और इससे सड़क सुरक्षा को भी खतरा हो सकता है।
जुर्माना और कार्रवाई
परिवहन विभाग के अनुसार, अनधिकृत स्टीकर या पोस्टर लगाने पर मोटर वाहन अधिनियम की धारा 177 के तहत 2500 रुपये तक का जुर्माना लगाया जा सकता है। यदि स्टीकर नंबर प्लेट को ढंकते हैं या वाहन में अवैध संशोधन किया गया है, तो 5000 रुपये तक की पेनल्टी हो सकती है। गंभीर मामलों में, जैसे कि असामाजिक गतिविधियों में संलिप्तता, वाहन को जब्त भी किया जा सकता है। पिछले साल पटना में यातायात पुलिस ने ऐसे अभियान चलाकर कई वाहनों को जब्त किया था और जुर्माना वसूला था।
अधिकारियों का सख्त रुख
पटना के जिला परिवहन पदाधिकारी उपेंद्र कुमार पाल ने स्पष्ट किया कि अभी तक किसी भी व्यक्ति या राजनीतिक दल ने वाहनों पर पोस्टर या स्टीकर लगाने के लिए प्रशासनिक अनुमति नहीं ली है। उन्होंने कहा, "चुनावी माहौल में नियमों का सख्ती से पालन कराया जाएगा। चाहे वाहन किसी बड़े नेता का हो या सामान्य कार्यकर्ता का, कोई भी बख्शा नहीं जाएगा।" यातायात पुलिस को ऐसे वाहनों पर नजर रखने और त्वरित कार्रवाई करने के निर्देश दिए गए हैं।
चुनावी माहौल में सतर्कता जरूरी
चुनाव के दौरान प्रचार के लिए उत्साह स्वाभाविक है, लेकिन नियमों का उल्लंघन गंभीर परिणाम भुगतना पड़ सकता है। परिवहन विभाग ने लोगों से अपील की है कि वे बिना अनुमति के वाहनों पर प्रचार सामग्री न लगाएं और सड़क सुरक्षा नियमों का पालन करें। विशेष रूप से नंबर प्लेट और शीशों को साफ रखने पर जोर दिया गया है, ताकि वाहन की पहचान और चालक का दृष्टिकोण प्रभावित न हो।
कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।