दानापुर मंडल में 200 KM में होगी डब्ल्यू-शेप्ड स्टील फेंसिंग, 147.82 करोड़ रुपये की परियोजना मंजूर
पूर्व मध्य रेलवे ने रेलवे ट्रैक को सुरक्षित बनाने के लिए 'डब्ल्यू'-आकार की स्टील फेंसिंग लगाने की पहल की है। दानापुर मंडल के लगभग 200 किलोमीटर रेलखंड पर फेंसिंग का कार्य होगा, जिसके लिए 147.82 करोड़ रुपये स्वीकृत किए गए हैं। इस वित्तीय वर्ष के भीतर फेंसिंग निर्माण पूरा करने का लक्ष्य है। पटना-डीडीयू, पटना-झाझा, पटना-किउल और पटना-गया रेलखंडों में चरणबद्ध तरीके से स्टील फेंसिंग बनाई जाएगी।
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जागरण संवाददाता, पटना। रेलवे ट्रैक पर आए दिन पशुओं और लोगों के कटने की घटनाओं पर अब प्रभावी रोक लगने की उम्मीद है। पूर्व मध्य रेलवे ने ट्रैक को सुरक्षित बनाने के लिए ‘डब्ल्यू’-आकार की स्टील फेंसिंग लगाने की पहल शुरू कर दी है। यह फेंसिंग ट्रैक के किनारों पर मजबूत अवरोध का काम करेगी, जिससे न तो इंसान और न ही जानवर पटरियों पर पहुंच पाएंगे।
रेलवे बोर्ड इस परियोजना को पहले ही मंजूरी दे चुका है और दानापुर मंडल के सभी प्रमुख सेक्शन में काम की प्रक्रिया शुरू हो गई है। दानापुर मंडल के लगभग 200 किलोमीटर रेलखंड पर फेंसिंग का कार्य कराया जाना है। रेलवे सूत्रों के अनुसार परियोजना के लिए करीब 147.82 करोड़ रुपये की स्वीकृति मिल चुकी है। बजट उपलब्ध होने के साथ ही काम को तेज गति से आगे बढ़ाया जा रहा है।
रेल अधिकारियों का कहना है कि इस वित्तीय वर्ष के भीतर फेंसिंग निर्माण पूरा करने का लक्ष्य रखा गया है। नई व्यवस्था लागू होने पर ट्रैक सुरक्षा में बड़ा सुधार होगा, साथ ही इस तरह की दुर्घटनाओं पर पूरी तरह रोक लगाने की उम्मीद है।
इस योजना के तहत पटना–डीडीयू, पटना–झाझा, पटना–किउल और पटना–गया रेलखंडों में चरणबद्ध तरीके से स्टील फेंसिंग बनाई जाएगी। जहां जनसंख्या अधिक है, वहां पूरी तरह कंक्रीट बाउंड्री लगाने की तैयारी है। रेलवे के अनुसार फेंसिंग होने से ट्रेनों की रफ्तार और समयबद्धता पर भी सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा।
पशु कटने की घटनाओं पर लगाम की बड़ी पहल
ट्रैक पर पशुओं के कटने की घटनाएं अक्सर विवाद की स्थिति पैदा कर देती हैं। पिछले सप्ताह किउल स्टेशन के पास इसी तरह की घटना के बाद यात्रियों ने पटना–दुमका एक्सप्रेस पर पथराव कर दिया था, जिसमें कई कोचों के शीशे टूट गए थे। ऐ
सी घटनाओं को रोकने के लिए छोटे-छोटे स्टील पिलर लगाकर निरंतर बाड़बंदी की जा रही है। इससे आम लोगों के ट्रैक पर आने पर भी नियंत्रण में मदद मिलेगी।

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