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    Bihar News: बिहार में स्टार्टअप नीति से युवाओं के सपने हो रहे साकार, 1500 से अधिक कंपनियां हुईं रजिस्टर्ड

    Updated: Sun, 17 Aug 2025 07:03 PM (IST)

    बिहार स्टार्टअप योजना के कारण बिहार उद्यमिता का केंद्र बन रहा है। यह योजना युवाओं को प्रोत्साहित कर नवाचार-आधारित विकास के अवसर प्रदान कर रही है। सरकार युवाओं को 10 लाख तक का ब्याज मुक्त ऋण दे रही है जिसके तहत 1522 कंपनियां पंजीकृत हैं। 46 स्टार्टअप सेल और 22 इंक्यूबेशन सेंटर भी स्थापित किए गए हैं। सिडबी के साथ 150 करोड़ फंड का समझौता हुआ है।

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    स्टार्टअप बिहार बिहार में उद्यमिता का नया दौर

    डिजिटल डेस्क, पटना। राज्य सरकार की महत्वाकांक्षी पहल ‘स्टार्टअप बिहार’ की बदौलत बिहार उद्यमिता का गढ़ बनता जा रहा है। इस परिवर्तन से एक सशक्त उम्मीद बनी है। युवाओं में उद्यमशीलता की भावना को प्रोत्साहित करते हुए यह योजना नवाचार आधारित विकास के लिए नए अवसर उत्पन्न कर रही है।

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    इसका उद्देश्य राज्य के युवाओं की प्रतिभा का उपयोग करते हुए स्टार्टअप के लिए एक अनुकूल पारिस्थितिकी तंत्र का निर्माण कर बिहार को स्टार्टअप, निवेशकों और अन्य हितधारकों के लिए एक प्रमुख गंतव्य के रूप में स्थापित करना है। बिहार स्टार्टअप नीति के तहत सरकार युवाओं को 10 लाख तक का ब्याज मुक्त ऋण प्रदान कर रही है।

    इस नीति के तहत अब तक कुल 1522 कंपनियां पंजीकृत हो चुकी हैं। इसके साथ 46 स्टार्टअप सेल और 22 इंक्यूबेशन सेंटर स्थापित किए जा चुके हैं। पिछले वर्ष 2261 एमएसएमई को स्थानीय उद्योगों से जोड़ा गया। उद्योग को बढ़ावा देने के लिए 1903 जागरूकता शिविर लगाए गए और आउटरीच प्रोग्राम आयोजित किए गए जिसमें 8099 छात्र प्रशिक्षित किए गए और 91 छात्रों को इंटर्नशिप मिली।

    सिडबी के साथ 150 करोड़ फंड के समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर भी किया गया। अब बिहार के युवा राज्य में ही रोजगार पा रहे हैं और हमारा बिहार सच में बदल रहा है। बिहार स्टार्टअप योजना के अंतर्गत उद्यमियों को 10 वर्षों के लिए 10 लाख तक का इंटरेस्ट फ्री सीड फंड प्रदान किया जा रहा है।

    बिहार स्टार्टअप नीति की शुरुआत वर्ष 2017 में हुई थी, जिसका उद्देश्य राज्य में नवाचार और स्टार्टअप गतिविधियों को बढ़ावा देना था। स्टार्टअप बिहार के तहत एक समग्र तंत्र विकसित किया गया है। युवाओं, महिलाओं और पारंपरिक रूप से उपेक्षित समुदायों की भागीदारी में हुई वृद्धि के साथ ही राज्य की सामाजिक-आर्थिक परिदृश्य में परिवर्तन का संकेत देता है।