Sports news: अंतरराष्ट्रीय और राष्ट्रीय मंच पर प्रतिभा का प्रदर्शन करेंगे प्रदेश के एथलीट
बिहार के एथलीट देश का नाम फलक पर पहुंचाने को परिश्रम में लगे हैं। प्रदेश के होनहार की उड़ान परिश्रम के बूते फर्राटा भर रही है। तंगहाली को नजरअंदाज करने वाले इन खिलाड़ियों की प्रतिभा की धमक अब देश में गूंज रही है।ओपन एथलेटिक मीट में प्रदर्शन के आधार पर ये प्रतिभाशाली अब बड़े मंच का सफर तय करेंगे।

अक्षय पांडेय, पटना। लक्ष्य के पहले डिगना नहीं। ध्येय पूर्ण होने तक अभाव से जूझने में झिझक नहीं। इस सूत्र को साथ रख बिहार के एथलीट देश का नाम फलक पर पहुंचाने को परिश्रम में लगे हैं। प्रदेश के होनहार की उड़ान परिश्रम के बूते फर्राटा भर रही है। तंगहाली को नजरअंदाज करने वाले इन खिलाड़ियों की प्रतिभा की धमक अब देश में गूंज रही है। ओपन एथलेटिक मीट में प्रदर्शन के आधार पर ये प्रतिभाशाली अब बड़े मंच का सफर तय करेंगे।
अंतरराष्ट्रीय मंच पर पहुंचे पीयूष
रोहतास के पीयूष के जीवन की यात्रा हौसला देती है। 18 वर्षीय खिलाड़ी के पिता नहीं हैं। उनके जीवन वह भी समय आया, जब अभ्यास के लिए पाटलिपुत्र खेल परिसर की मेस में खाना खिला उन्होंने जीवन यापन किया। दो वर्ष पहले पटना में संपन्न निडजैम में फटी स्पाइक पहन दौड़ स्वर्ण जीतने वाले खिलाड़ी की मां को मिलने वाली वृद्धा पेंशन और चैंपियनशिप से मिली इनामी राशि से उनका घर चलता है। हैदराबाद की गोपीचंद अकादमी में बिहार राज्य खेल प्राधिकर के सहयोग से अभ्यास कर रहे पीयूष बताते हैं कि हाल में संपन्न हुई स्टेट मीट में उनको रजत पदक मिला था। वह बुखार होने के बावजूद दौड़े थे। इसके बाद लोग तरह-तरह की प्रतिक्रिया देने लगे। इसी के बाद खुद को साबित करने के लिए उन्होंने ओपन एथलेटिक मीट में भाग लेने के लिए रजिस्ट्रेशन कराया। इसमें वह दूसरे स्थान पर रहे। वे हांगकांग में जूनियर एशिया और यूएसए में जूनियर वर्ल्ड चैंपियनशिप के लिए क्वालिफाई कर गए हैं।
शताक्षी ने ओलिंपियन को छोड़ा पीछे
पढ़ने-लिखने वाले भी खेल में अव्वल हो सकते हैं। पटना के जगदेव पथ की रहने वाली शताक्षी राय भुवनेश्वर से एमटेक कर रही हैं। इंडियन ओपन एथलेटिक मीट में ओलिंपियन श्रावणी से कम समय में 100 मीटर स्प्रिंट लगा चर्चा में आई हैं। बड़ी बात यह है कि 23 वर्षीय माइनस 2.6 पर सेकेंड हवा की गति के दौरान सताक्षी ने 12.04 सेकेंड में दौड़ पूरी कर ली। इसी वर्ष मई में त्रिवेंद्रम में वह 11.91 सेकेंड में 100 मीटर स्प्रिंट पूरी कर स्वर्ण जीत चुकी हैं। भुवनेश्वर के कलिंगा स्टेडियम में अभ्यास करने वालीं शताक्षी के पिता रोड कंस्ट्रक्शन विभाग में इंजीनियर तो भाई डाक्टर हैं। वह कहती हैं कि घर में पढ़ाई-लिखाई का माहौल है। मैंने शुरू में खेल पर ध्यान केंद्रित करने के लिए बोला तो विरोध हुआ। बाद में स्वजनों का समर्थन मिला। ओपन एथलेटिक के लिए क्वालिफाई कर चुकीं शताक्षी का लक्ष्य कामनवेल्थ और एशियन गेम्स में स्थान बना कीर्तिमान गढ़ने का है।
कूदने में माहिर सनी की चाहत है बड़ी
बेगूसराय के 24 वर्षीय सनी कुमार ने इंडियन ओपन एथलेटिक मीट की लंबी कूद स्पर्धा में 7.4 मीटर के साथ छठे स्थान पर थे। वे ओपन एथलेटिक के लिए क्वालिफाई कर गए हैं। आरा के वीरकुंवर सिंह विश्वविद्यालय से स्नातक सनी केरल के तिरुवनंतपुरम में बिहार राज्य खेल प्राधिकरण के सहयोग से दो वर्ष से अभ्यास कर रहे हैं। इसी वर्ष मार्च में बेंगलुरु की अंजू बाबी जार्ज अकादमी में आयोजित ओपन जंप प्रतियोगिता में 7.80 मीटर लंबा कूद उन्होंने स्वर्ण जीता था। बेंगलुरु के कांतीरवा स्टेडियम में ओपन नेशनल मीट में 7.90 मीटर के साथ दूसरा स्थान प्राप्त किया था। सफलता के लिए कोच मुकेश, भूपेंद्र सिंह और बिहार राज्य खेल प्राधिकरण के महानिदेशक रवींद्रण शंकरण को श्रेय देने वाले सनी की मां गृहिणी तो पिता की गांव में मेडिकल दुकान है। स्कूल की प्रतियोगिताओं में बेहतर प्रदर्शन कर खुद को प्रोफेशनल एथलीट बनाने का सपना देखने वाले सनी की अभी इंडिया में चौथी रैंक है। उनकी चाहत 2026 के एशियन और कामनवेल्थ के लिए क्वालिफाई करने की है।
100 मीटर में बिहार के सबसे तेज धावक हैं विभास्कर
सोनपुर के 21 वर्षीय विभास्कर 100 मीटर में बिहार के सबसे तेज धावक हैं। इसी महीने पाटलिपुत्र खेल परिसर में संपन्न बिहार सीनियर स्टेट चैंपियनशिप में उन्होंने 10.57 सेकेंड में दौड़ पूरी की थी। नागपुर से बीपीएड कर रहे एथलीट अभी बेंगलुरु के कांतीरवा स्टेडियम में चार महीने से अभ्यास कर रहे हैं। इसी स्टेडियम में जून में आयोजित ओपन नेशनल मीट में विभास्कर ने 100 मीटर में तीसरा स्थान प्राप्त किया था। अब वह अगस्त में चेन्नई में आयोजित इंटर स्टेट के लिए क्वालिफाई कर गए हैं। रेलवे के चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी विभास्कर के पिता कुश्ती दांव-पेच आजमाते रहे। उन्होंने ही बेटे को मैदान पसीना बहाने के लिए प्रेरित किया। वर्ष 2019 में स्कूल नेशनल में घायल होकर खेल छोड़ने का मन बनाया तो पिता ने ही हौसला दिया। एथलीट अब भारत के लिए पदक जीतने का लक्ष्य रखता है।
बास्केटबाल, लंबी कूद के बाद 400 मीटर में अव्वल सेतु
मोतिहारी के 20 वर्षीय स्नातक अंतिम वर्ष के छात्र सेतु मिश्रा का पाटलिपुत्र खेल परिसर में संपन्न ओपन एथलेटिक मीट की 400 मीटर स्पर्धा में ओवरआल तीसरा स्थान था। सेतु की मां सीआरपीएफ में पदाधिकारी हैं। वह बताते हैं कि घर में खेल का माहौल नहीं था। सीआरपीएफ कैंप में जवानों को खेलते देखा तो मैंने भी मैदान पर उतरने का मन बनाया। शुरू में बास्केटबाल खेला, फिर दो वर्ष तक लंबी कूद में भाग लिया। मैं तेज दौड़ता था तो 400 मीटर में भाग लेने लगा। सेतु भुवनेश्वर में 2024 में जूनियर नेशनल में कांस्य, इस वर्ष मार्च में ओपन एथलीट में कांस्य और श्रीलंका में संपन्न इंटरनेशनल रीले में कांस्य जीत चुके हैं। केरल के त्रिवेंद्रपुरम में अभ्यास कर रहे एथलीट का लक्ष्य अक्टूबर में तेलंगाना में आयोजित अंडर-23 नेशनल और अगले वर्ष एशियन गेम्स और कामनवेल्थ में पदक जीतने का है।
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