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    सोनपुर मेले में AK-56 घोड़े का जलवा, ऐसा है इसका शाही अंदाज और रॉयल डाइट?

    Updated: Mon, 17 Nov 2025 08:48 AM (IST)

    एशिया के सबसे बड़े सोनपुर पशु मेले में इस बार AK-56 नाम का घोड़ा आकर्षण का केंद्र बना हुआ है। 66 इंच ऊंचे इस घोड़े की शानदार कद-काठी और तेज रफ्तार लोगों को खूब भा रही है। AK-56 की डाइट में बाजरा, चना और सूखे मेवे शामिल हैं, साथ ही यह रोजाना 5 लीटर दूध भी पीता है। इसकी देखभाल एक परिवार के सदस्य की तरह की जाती है।

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    AK 56 घोड़ा (फोटो-फेसबुक)

    डिजिटल डेस्क, पटना। एशिया का सबसे बड़ा और विश्वप्रसिद्ध सोनपुर पशु मेला हर बार अपने अनोखेपन के लिए सुर्खियां बटोरता है, लेकिन इस बार मेले की चर्चा का केंद्र कोई विशाल हाथी, दुलर्भ नस्ल का ऊंट या भारी-भरकम सांड नहीं, बल्कि एक ऐसा घोड़ा है जिसने कदम रखते ही पूरे मैदान की नज़रें अपनी ओर खींच लीं। यह है 66 इंच ऊंचा, रौबदार कद-काठी वाला सिंध नस्ल का घोड़ा—AK-56। नाम ही ऐसा कि सुनते ही लोग रुक जाते हैं और घोड़े को देखते ही कैमरे ऑन हो जाते हैं।

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    पटना सिटी के रूदल यादव अपने चार शानदार घोड़ों AK-56, थार, बाबर और एक नवयुवा घोड़े के साथ मेले में पहुंचे हैं। पर भीड़ का सारा उत्साह AK-56 के नाम है।

    इसकी चाल, चमकदार काया, मांसपेशियों की बनावट और फिटनेस देखकर दर्शक यही कहते नजर आते हैं "ऐसा घोड़ा पहले कभी नहीं देखा!"

    रूदल यादव बताते हैं कि AK-56 न सिर्फ दिखने में रॉयल है, बल्कि यह एक चैंपियन रनर भी है। वैशाली, मुजफ्फरपुर और समस्तीपुर में आयोजित दौड़ प्रतियोगिताओं में यह कुल 5 बार विजेता रह चुका है।

    इसकी औसत रफ्तार करीब 42 किलोमीटर प्रति घंटा बताई जाती है, जो इसे प्रतियोगी घोड़ों की टॉप कैटेगरी में खड़ा करती है। मेले में आने वाले बच्चे इसे सुपरहीरो की तरह देखते हैं, जबकि बड़े इसे ‘मेले की शान’ बताते हैं।

    लेकिन AK-56 की चर्चा केवल रफ्तार और कद-काठी तक सीमित नहीं। असली चौंकाने वाली बात है इसकी रॉयल डाइट।

    सामान्य घोड़े जहां परंपरागत चारा-भूसा खाते हैं, वहीं यह घोड़ा रोजाना बाजरा, जौ, चना और चना-भूसा के साथ बादाम व अखरोट खाता है। इतना ही नहीं AK-56 प्रतिदिन 5 लीटर शुद्ध गाय का दूध पीता है।

    इसके लिए मालिक रूदल यादव ने घर पर ही साहीवाल और गिर नस्ल की गायें पाल रखी हैं, ताकि घोड़े को उच्च गुणवत्ता का दूध मिल सके और उसकी ऊर्जा बरकरार रहे।

    रूदल कहते हैं कि ये घोड़े उनके लिए शौक नहीं, बल्कि पहचान और जुनून हैं। “इनकी देखभाल घर के सदस्य की तरह होती है।

    सुबह की ट्रेनिंग से लेकर रात की मसाज तक हर दिन का शेड्यूल तय है,” वे बताते हैं।

    मेले में दर्शक AK-56 की एक झलक पाने के लिए उमड़ रहे हैं। उसकी चमकदार त्वचा, लंबा कद और तगड़ी डाइट ने उसे इस बार का ‘सोनपुर मेला स्टार’ बना दिया है। कहा जा रहा है कि चाहे जितने घोड़े आएं, इस सीज़न में AK-56 जैसा आकर्षण शायद ही कोई बन पाए।