बिहार के प्राइवेट स्कूलों में अब तक महज आठ हजार गरीब बच्चों का हुआ नामांकन, विभाग सख्त
बिहार के शिक्षा विभाग ने सभी 25 हजार आरक्षित सीटों पर गरीब बच्चों के नामांकन का दिया निर्देश। इस मामले की निगरानी जिलाधिकारी करेंगे। पिछले दो वर्षों में महज 16 हजार गरीब बच्चों का नामांकन इन स्कूलों में लिया गया।

राज्य ब्यूरो, पटना। शिक्षा का अधिकार (Right To Education) कानून के तहत राज्य के प्राइवेट विद्यालयों में गरीब बच्चों को आरक्षित सीटों पर पहली कक्षा में नामांकन लेना अनिवार्य है। लेकिन, ऐसे विद्यालयों के संचालकों ने 25 हजार आरक्षित सीटों के विरुद्ध सिर्फ आठ हजार गरीब बच्चों का नामांकन लिया है। इसे गंभीरता से लेते हुए शिक्षा विभाग ने सभी आरक्षित सीटों पर निर्धन बच्चों का नामांकन लेने का आदेश सभी प्राइवेट विद्यालयों को दिया है। इस आदेश का अनुपालन सुनिश्चित कराने का निर्देश सभी जिला शिक्षा अधिकारियों को दिया गया है।
पिछले दो साल में महज 16 हजार गरीब बच्चों का नामांकन
मिली जानकारी के मुताबिक पिछले दो साल में प्राइवेट स्कूलों में महज 16 हजार गरीब बच्चों का पहली कक्षा में नामांकन लिया है। इस प्रकार राज्य के प्राइवेट स्कूलों में 34 हजार गरीब बच्चे नामांकन से वंचित रह गए। पिछले दाे साल में प्राइवेट स्कूलों में पटना जिले में सर्वाधिक 2,654 गरीब बच्चों का नामांकन लिया गया। ऐसे स्कूलों की मनमानी पर रोक लगाने के लिए शिक्षा विभाग ने सभी स्कूलों का आनलाइन निबंधन अनिवार्य कर दिया है। इसके अलावा किस स्कूल ने कितना नामांकन लिया, इसे भी विभाग स्तर पर अपडेट किया जाएगा।
प्रति छात्र के हिसाब से भुगतान करती है सरकार
गौरतलब है कि शिक्षा के अधिकार अधिनियम 2009 के तहत प्राइवेट स्कूलों में इंट्री लेवल पर 25 प्रतिशत सीटें सामाजिक व आर्थिक रूप से कमजोर बच्चों के लिए आरक्षित होती है। इसके लिए सरकार स्कूलों को भुगतान भी करती है। प्रति छात्र सात से आठ हजार रुपये का भुगतान प्रति वर्ष किया जाता है। चालू वित्तीय वर्ष में सरकार ने इस मद में 67 करोड़ रुपये जारी किए हैं। बावजूद इस मामले में प्राइवेट स्कूलों में उदासीनता बरती जा रही है। लेकिन अब शिक्षा विभाग ने मामले को गंभीरता से लिया है। अब देखना है कि सरकार की सख्ती का असर क्या होता है।
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