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    आय से अधिक संपत्ति मामले में श्वेता मिश्रा की FIR बहाल कराने सुप्रीम कोर्ट जाएगी एसवीयू

    By kumar rajatEdited By: Radha Krishna
    Updated: Thu, 11 Dec 2025 09:32 AM (IST)

    बिहार प्रशासनिक सेवा की पदाधिकारी श्वेता मिश्रा के खिलाफ आय से अधिक संपत्ति मामले में एसवीयू सुप्रीम कोर्ट जाएगी। पटना उच्च न्यायालय द्वारा प्राथमिकी ...और पढ़ें

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    आरा में भी उजागर हुए थे श्वेता मिश्रा के काले कारनामे

    राज्य ब्यूरो, पटना। बिहार प्रशासनिक सेवा की पदाधिकारी श्वेता मिश्रा के खिलाफ दर्ज आय से अधिक संपत्ति मामले में अब विशेष निगरानी इकाई (एसवीयू) सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाएगी। एसवीयू ने यह फैसला पटना उच्च न्यायालय द्वारा इस मामले की प्राथमिकी को रद्द किए जाने के बाद लिया है। इकाई का दावा है कि श्वेता मिश्रा के खिलाफ पर्याप्त साक्ष्य मौजूद हैं, जिनके आधार पर जांच आगे बढ़नी चाहिए।

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    एसवीयू सूत्रों के अनुसार, 2011 बैच की इस पदाधिकारी पर आय से दो से तीन गुना अधिक संपत्ति अर्जित करने के गंभीर आरोप हैं। जांच में एसवीयू को उनके पास 80 लाख 11 हजार 659 रुपये की अवैध संपत्ति होने के संकेत मिले थे।

    इन्हीं आरोपों के आधार पर कटिहार के मनिहारी में लोक शिकायत निवारण पदाधिकारी के रूप में उनकी तैनाती के दौरान विशेष निगरानी इकाई ने प्राथमिकी दर्ज की थी।

    FIR दर्ज होने के बाद 5 जून को एसवीयू ने बड़ी कार्रवाई करते हुए श्वेता मिश्रा के कटिहार, पटना और प्रयागराज स्थित चार ठिकानों पर एक साथ छापेमारी की थी।

    इस दौरान कई दस्तावेज, संपत्ति से जुड़े कागजात और महत्वपूर्ण साक्ष्य मिलने का दावा किया गया था। छापेमारी के बाद यह मामला और अधिक गंभीर हो गया, लेकिन उच्च न्यायालय द्वारा प्राथमिकी रद्द किए जाने से एसवीयू की कार्रवाई पर रोक लग गई थी।

    अब एसवीयू इस फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देगा। इकाई का कहना है कि उनके पास उपलब्ध दस्तावेज़ और जांच रिपोर्ट साफ बताते हैं कि पदाधिकारी द्वारा अर्जित संपत्ति उनकी ज्ञात आय से काफी अधिक है। ऐसे में FIR का निरस्त होना जांच प्रक्रिया पर प्रतिकूल प्रभाव डाल सकता है।

    इस मामले को लेकर प्रशासनिक स्तर पर भी काफी चर्चा है, क्योंकि बिहार में भ्रष्टाचार निरोधक अभियान के तहत हाल के वर्षों में कई बड़े अधिकारियों पर कार्रवाई की गई है।

    श्वेता मिश्रा का मामला भी इन्हीं में से एक अहम केस माना जा रहा है। अब आगे सुप्रीम कोर्ट में क्या रुख अपनाया जाता है, इस पर राज्य की निगाहें टिकी रहेंगी।