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    Shardiya Navratri 2023 : मूर्ति विसर्जन से पहले पढ़ लें ये नियम, इन कामों पर रहेगी रोक; प्रशासन रखेगा कड़ी नजर

    By Yogesh SahuEdited By: Yogesh Sahu
    Updated: Mon, 23 Oct 2023 06:25 PM (IST)

    Shardiya Navratri 2023 बिहार में शारदीय नवरात्र की धूम है। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार राजद सुप्रीमो लालू यादव से लेकर आमजन तक सभी माता दुर्गा की भक्ति कर रहे हैं। परंतु विजयदशमी से माता की प्रतिमाओं के विसर्जन का क्रम शुरू हो जाएगा। ऐसे में जरूरी है कि इससे जुड़े नियमों को जान लिया जाए। बिहार सरकार ने इस संबंध में अधिसूचना भी जारी की है।

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    Shardiya Navratri 2023 : मूर्ति विसर्जन से पहले पढ़े लें ये नियम, इन कामों पर रहेगी रोक

    डिजिटल डेस्क, पटना। Shardiya Navratri 2023 murti visarjan rules : बिहार सरकार ने शारदीय नवरात्र 2023 के मौके पर मूर्ति विसर्जन को लेकर नियमावली जारी की है। राज्य सरकार ने राष्ट्रीय हरित अधिकरण पूर्वी क्षेत्र पीठ कोलकाता की ओर से पारित आदेश के आलोक में इस संबंध में स्थानीय प्रशासन और पूजा समितियों को निर्देश दिए हैं।

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    जानकारी के अनुसार, बिहार सरकार ने जल (प्रदूषण निवारण एवं नियंत्रण) अधिनियम, 1974 ( 1974 का 6) में मिली प्रदत्त शक्तियों के तहत मूर्ति विसर्जन के संबंध में अधिसूचना जारी की है।

    इसमें बिहार (पूजा के बाद मूर्ति विसर्जन प्रक्रिया) नियमावली 2021 के तहत मूर्ति विसर्जन के लिए जारी निर्देशों का अनुपालन वैद्यानिक रूप बाध्यकारी किया गया है।

    बिहार में क्या हैं मूर्ति विसर्जन के नियम

    • प्रत्येक पूजा समिति सुनिश्चित करेगी कि पूजन सामग्री जैसे फूल और कागज और प्लास्टिक से बनी अन्य सजावटी सामग्री को मूर्त्तियों के विसर्जन से पहले हटा लिया गया है और ठोस अपशिष्ट प्रबंधन नियमावली, 2016 के अनुसार निपटान के लिए जैव-विघटनीय सामग्रियां अलग कर ली गई है।
    • प्रत्येक पूजा समिति सुनिश्चित करेगी कि सुरक्षित और पर्यावरण के अनुकूल मूर्ति विसर्जन की व्यवस्था की गई है।
    • प्रत्येक पूजा समिति सुनिश्चित करेगी कि मूर्ति विसर्जन के संबंध में केन्द्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड, दिल्ली द्वारा मूर्त्ति निर्माण एवं इसके विसर्जन के लिए 12 मई, 2020 को जारी संशोधित मार्गदर्शिका का कड़ाई से पालन किया गया है।

    स्थानीय निकाय और जिला प्रशासन के दायित्व

    • मूर्ति विसर्जन कृत्रिम तालाबों में होंगे। किसी भी प्रवाह में मूर्ति विसर्जन पर पूर्ण प्रतिबंध रहेगा।
    • मूर्तियों के विसर्जन के लिए कृत्रिम तालाबों को इतनी बड़ी संख्या में बनाना जो भीड़-भाड़ से बचने और प्रदूषण के भार को कम करने के लिए पर्याप्त हो।
    • पूजा समिति के साथ कृत्रिम तालाबों/विसर्जन स्थल को टैग/चिह्नित करना।
    • कृत्रिम तालाबों/विसर्जन स्थलों को अधिसूचित कर इसके बारे में सभी पूजा समितियों/जनता को सूचित करना।
    • मूर्तियों का विसर्जन पुलिस प्राधिकार या जिला प्राधिकार द्वारा निर्धारित समय-सारणी के अनुसार किया जाएगा।
    • विसर्जन स्थल पर जनित ठोस कचरा यथा-फूल, कपड़ा, सजावट सामग्री आदि के जलाने पर रोक लगाना।
    • यह सुनिश्चित करना कि मूर्तियों के विसर्जन के 48 घंटे के भीतर मूर्तियों का अवशेष, संचित मलबा, पुआल या जूट की रस्सी आदि और मूर्तियों के विसर्जन से संबंधित अन्य सभी अपशिष्ट पदार्थों को हटा दिया जाएगा।
    • ठोस कचरा संग्रह स्थल पर पहुंचाया जाएगा, यदि इसे मूर्ति निर्माताओं या अन्य लोगों द्वारा पुनः उपयोग के लिए एकत्र नहीं किया जाता है।
    • यह सुनिश्चित करना कि विसर्जन से पहले जैव विघटनीय सामग्री को हटा लिया गया है और संबंधित स्थानीय निकाय इन सामग्रियों का उपयोग खाद और अन्य उपयोगी उद्देश्यों के लिए कर सके।
    • पूजा समिति/संगठन द्वारा इन नियमों के किसी भी उल्लंघन का प्रतिवेदन बिहार राज्य प्रदूषण नियंत्रण पर्षद को देना।
    • बिहार (पूजा के उपरांत मूर्ति विसर्जन प्रक्रिया) नियमावली 2021 में इन नियमों को और विस्तार से पढ़ सकते हैं। इसके लिए सरकार की इस वेबसाइट पर जा सकते हैं।

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