शाहदरा ठाकुरबाड़ी के महंत को हाईकोर्ट से राहत, मामले की अगली सुनवाई छह सप्ताह बाद
न्यायाधीश डॉ. अंशुमान की एकलपीठ ने महंत की रिट याचिका पर सुनवाई करते हुए उक्त आदेश दिया। वरीय अधिवक्ता अमित श्रीवास्तव ने कोर्ट को बताया कि ठाकुरबाड़ी निजी है और उनके मुवक्किल के पूर्वजों ने सौ वर्ष पूर्व भगवान राधाकृष्ण और बलवीर की मूर्तियां स्थापित की थीं। 1913 के खतियान में भी यह ठाकुरबाड़ी उनके पूर्वजों के कब्जे में दर्ज है।

विधि संवाददाता,पटना। पटना हाईकोर्ट ने मालसलामी थाना क्षेत्र स्थित शाहदरा ठाकुरबाड़ी के महंत रामाकांत दास को बड़ी राहत देते हुए स्थानीय पुलिस को निर्देश दिया है कि महंत को ठाकुरबाड़ी में प्रतिदिन पूजा-पाठ और भोग-राग करने के लिए सुरक्षा दी जाए। साथ ही यह सुनिश्चित किया जाए कि कोई भी व्यक्ति या समिति उन्हें धार्मिक कार्यों से न रोके।
न्यायाधीश डॉ. अंशुमान की एकलपीठ ने महंत की रिट याचिका पर सुनवाई करते हुए उक्त आदेश दिया। वरीय अधिवक्ता अमित श्रीवास्तव ने कोर्ट को बताया कि ठाकुरबाड़ी निजी है और उनके मुवक्किल के पूर्वजों ने सौ वर्ष पूर्व भगवान राधाकृष्ण और बलवीर की मूर्तियां स्थापित की थीं। 1913 के खतियान में भी यह ठाकुरबाड़ी उनके पूर्वजों के कब्जे में दर्ज है।
पीढ़ी दर पीढ़ी पूजा-पाठ होता आ रहा है। दलील दी गई कि कुछ अराजक तत्वों ने जमीन पर कब्जे की नीयत से गलत रिपोर्ट दर्ज कराकर ठाकुरबाड़ी को 2020 में बिहार हिंदू धार्मिक न्यास परिषद में सार्वजनिक न्यास के रूप में दर्ज करा दिया। परिषद ने 2022 में एक वर्ष के लिए अस्थायी समिति बनाई, जिसकी अवधि जुलाई 2023 में समाप्त हो गई। इसके बावजूद समिति महंत को पूजा-पाठ से रोकने लगी। इतना ही नहीं, परिषद के तत्कालीन अध्यक्ष ने समिति को स्थायी कर दिया और मंदिर का नाम बदलकर राम जानकी मंदिर कर दिया।
हाईकोर्ट ने परिषद की इस कार्रवाई पर आपत्ति जताते हुए आदेश पर रोक लगा दी और समिति के सभी सदस्यों को नोटिस जारी कर जवाब तलब किया। परिषद से भी विस्तृत प्रत्युत्तर मांगा गया है। मामले की अगली सुनवाई छह सप्ताह बाद होगी।
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