Md. Shahabuddin: बेटी के निकाह में शामिल होने की अधूरी रही इच्छा, मरने के बाद भी नहीं मिल सकी सिवान की मिट्टी
Shahabuddin Daughter Marriage आरजेडी के बाहुबली सांसद रहे मो. शहाबुद्दीन की बेटी हेरा शहाब का निकाह सोमवार को मोतिहारी के डा. शादमान हुआ। शहाबुद्दीन ने बेटी से निकाह में शामिल होने का वादा किया था जो पूरा नहीं हो सका।

पटना, ऑनलाइन डेस्क। Shahabuddin Daughter Marriage मो. शहाबुद्दीन (Md. Shahabuddin) सिवान के बाहुबली पूर्व सांसद थे। एक वक्त ऐसा था, जब उनकी इच्छा के बिना सिवान में पत्ता तक नहीं हिलता था। कहते हैं कि वहां उनकी समानांतर सरकार चलती थी। लेकिन वक्त बदला तो उनके जीवन का अंतिम दौर जेल में अपनों से दूर कटा। बीते साल दिसंबर में कोर्ट के आदेश पर वे दिल्ली में पत्नी, बच्चों व मां से मिले थ। तब उन्होंने बेटी हेरा शहाब (Hera Shahab) के निकाह में शामिल होने के लिए सिवान आने की इच्छा जताई थी। सोमवार को शहाबुद्दीन की बेटी हेरा शहाब का निकाह था, लेकिन इस अधूरी इच्छा के साथ कोरोनावायरस संक्रमण (CoronaVirus infection) के कारण पहले ही बीते एक मई को दिल्ली के एक अस्पताल में उनका निधन हो गया। मौत के बाद उन्हें सिवान में अपनी मिट्टी भी नसीब नहीं हुई। उनका अंतिम संस्कार दिल्ली में ही कर दिया गया।
बेटी से किया था निकाह में आने का वादा
शहाबुद्दीन की बेटी हेरा शहाब का निकाह पूर्वी चंपारण जिला मुख्यालय मोतिहारी के निवासी सैयद मो. शादमान (Md. Shadman) से सोमवार को हुआ। हेरा शहाब व मो. शादमान दोनों एमबीबीएस डॉक्टर हैं। शादमान के पिता सैयद इफ्तेखार अहमद संपन्न किसान हैं। इस अवसर पर शहाबुद्दीन के पैतृक गांव प्रतापपुर में उल्लास का वातावरण रहा। प्रतापपुर स्थित शहाबुद्दीन के पैतृक घर की सजावट देखते बन रही थी। समारोह में राष्ट्रीय जनता दल सहित तमाम दलों के बड़े राजनेता शामिल हुए, लेकिन बेटी के निकाह के अवसर पर शहाबुद्दीन नहीं दिखे। जबकि, इसमें शामिल होना उनकी ख्वाहिश थी। इसके लिए उन्होंने बेटी से वादा भी किया था।
तिहाड़ जेल में काट रहे थे उम्रकैद की सजा
सिवान के दो भाइयों की एसिड से नहलाकर हत्या के चर्चित एसिड बाथ कांड (Acid Bath Double Murder Case) में उम्रकैद की सजा पाकर शहाबुद्दीन दिल्ली की तिहाड़ जेल में थे। तिहाड़ जेल में सजा के दौरान वे परिवार से कट गए थे। शहाबुंद्दीन को अपने पिता के निधन के समय भी भी पैरेाल (Parole) नहीं मिला था। तीन साल बाद दिसंबर 2020 में कोर्ट के आदेश पर उन्होंने पत्नी, बेटे-बेटियों व मां से दिल्ली में जेल से बाहर निजी मुलाकात की थी। बताया जाता है कि शहाबुद्दीन को सिवान जाकर परिवार से मिलने के लिए पैरोल का बिहार सरकार ने कोर्ट में विरोध किया। इस कारण उन्हें परिवार को दिल्ली बुलाकर दिल्ली में ही कहीं निजी मुलाकात की अनुमति दी गई थी।
बेटी के निकाह के पहले ही दिल्ली में मौत
दिसंबर 2020 की उस मुलाकात में शहाबुद्दीन के सदस्यों के बीच निजी मुलाकात में कई भावुक पल आए। परिवार के साथ हुई उस मुलाकात के दौरान शहाबुद्दीन कई बार इमोशनल हो गए। बताया जाता है कि तब शहाबुद्दीन ने बेटी हेरा शहाब से उनके निकाह में शामिल होने का वादा किया था। लेकिन बेटी के निकाह में उनकी सिवान आने की इच्छा अधूरी ही रह गई। इसके पहले ही दिल्ली में सजा के दौरान ही उनका निधन हो गया।
सिवान की अपनी मिट्टी भी नहीं हुई नसीब
साल 2016 में शहाबुद्दीन जब रिहा होकर सिवान पहुंचे थे, तब एक इंटरव्यू में उन्होंने कहा था, 'सांस इज लेस एंड वर्क इज मोर। अर्थात् उम्र छोटी है और काम बहुत अधिक करना है। तब शहाबुद्दीन ने आखिरी सांस तक अपने लोगों के लिए काम करते रहने की बात कही थी। उनकी यह इच्छा भी अधूरी रही। अपने लोगों के लिए काम करने की इच्छा रखने वाले शहाबुद्दीन को मौत के बाद सिवान की अपनी मिट्टी भी नसीब नहीं हो सकी। दिल्ली उनकी कब्र में लगे पत्थर पर केवल उनका नाम तथा जन्म व मौत की तारीखों के अलावा यह लिखा है कि वे कहां के थे। बेटे ओसामा शहाब की पिता के शव को सिवान ले जाने की इच्छा कोविड प्रोटोकोल की भेंट चढ़ गई।
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