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    शाह अजीमाबादी: मोहब्बत का पैगाम दे भाईचारे को मजबूत करने वाले शायर, पटना में उपेक्षित है मजार

    By Amit AlokEdited By:
    Updated: Fri, 07 Jan 2022 08:47 AM (IST)

    अपनी कलम से साहित्य जगत में बिहार को खास पहचान दिलाने वाले शायर शाह अजीमीबादी ने सात जनवरी 1927 को पटना सिटी के हाजीगंज स्थित लंगर गली में आखिरी सांस ली थी। सात जनवरी को उनकी 95वीं पुण्यतिथि पर उन्हें याद किया जाएगा। पटना में उनकी स्‍मृतियां उपेक्षित पड़ी हैं।

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    पटना में जन्‍में मशहूर शायर शाह अजीमाबादी। फाइल तस्‍वीर।

    पटना, अहमद रजा हाशमी। Shah Azimabadi Death Anniversary: राजधानी के पटना सिटी स्थित पूरब दरवाजा मोहल्ला में आठ जनवरी 1846 में जन्मे सैयद अली मोहम्मद शाद अजीमाबादी ने अपनी उम्दा शायरी से अंतरराष्ट्रीय पहचान पायी। उर्दू शायरी में हिंदी के शब्दों का प्रयोग कर बेहद सरल, लेकिन असरदार शायरी करने वाले इस शायर को उर्दू साहित्य में शहिंशाह ए गजल मिर्जा गालिब सी हैसियत हासिल है। इनके चाहने वाले देश-दुनिया के हर कोने में हैं। कई विश्वविद्यालयों के पाठ्यक्रमों में शामिल इनकी शायरी पढ़ाई और शोध की जाती है। अपनी कलम से साहित्य जगत में बिहार को खास पहचान दिलाने वाले इस हरदिल अजीज शायर ने सात जनवरी 1927 में पटना सिटी के हाजीगंज स्थित लंगर गली में आखिरी सांस ली। खान बहादुर की उपाधि से नवाजे गए इस शायर की मजार यहीं एक कोने में है। शाद के परिवार वाले तथा मजार को संरक्षित रखने वाले राजकुमार भरतिया के स्‍वजन सात जनवरी को आयोजित होने वाली 95वीं पुण्यतिथि पर उन्हें याद करेंगे। पटना में उनकी स्‍मृतियां उपेक्षित पड़ी हैं।

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    शाद तथा उनकी स्मृतियों की उपेक्षा पर पटना निवासी देश-दुनिया में मशहूर शायर पद्मश्री डा. कलीम आजिज ने कहा था-

    आज बरती है तुम्हारी आओ याद, हम रयाकारों से भी मिल जाओ शाद।

    रस्मी और बेजान तारीफों के लफ्ज, सुन लो आकर और खुश हो जाओ शाद।।

    40 वर्षों से पटना में मनाई जा रही जयंती व पुण्‍यतिथि

    शाद अजीमाबादी की मजार पर लगभग 40 वर्षों से नवशक्ति निकेतन द्वारा जयंती और पुण्यतिथि पर यादों की महफिल सजायी जा रही है। सचिव कमल नयन श्रीवास्तव, एहसान अली अशरफ एवं संयोजक रजी अहमद ने बताया कि सात जनवरी 2018 में महापौर सीता साहू ने शाद अजीमाबाद गली के नाम पर इस गली का नामकरण किया, लेकिन आज तक शिलापट्ट भी नहीं लगी। इस अजीम शायर की स्मृति में राज्य सरकार पुरस्कार की घोषणा भी नहीं कर सकी। न शाद एकेडमी स्थापित हुई और न ही स्मारक बना। शाद समग्र भी न छप सका। वार्ड 49 के हमाम पर स्थित शाद पार्क एक दशक बाद भी अवैध कब्जे में है।

    हर वर्ष सम्मानित किए जाते हैं मशहूर शायर व कवि

    नवशक्ति निकेतन द्वारा हर वर्ष मशहूर शायर व कवि सम्मानित किए जाते हैं। वर्ष 2022 के शाद सम्मान के लिए नामों की घोषणा कर दी गयी है। सचिव कमल नयन श्रीवास्तव ने गुरुवार को आयोजित बैठक में बताया कि कोरोना के संक्रमण को देखते हुए इस बार कार्यक्रम आयोजित नहीं किया जाएगा। हालात बेहतर होते ही घोषित नामों का सम्मान से नवाजा जाएगा। हिंदी साहित्य में विशिष्ट योगदान के लिए डा. भावना शेखर और उर्दू साहित्य के लिए प्रो. सैयद शाह हसीन अहमद को शाद अजीमाबादी सम्मान 2022 से सम्मानित किया जाएगा। नीलांशु रंजन, डा. जियाउर रहमान जाफरी एवं डा. आनंद मोहन झा को साहित्य एवं समाजसेवा सम्मान 2022 दिया जाएगा।

    शाद अजीमाबादी के कुछ मशहूर शेर

    खामोशी से मुसीबत और भी संगीन होती है,

    तड़प ऐ दिल तड़पने से जरा तस्कीन होती है।

    मैं वो मोती तेरे दामन में हूं ऐ खाके बिहार,

    आज तक दे न सका एक भी कीमत मेरी।

    तमन्नाओं में उलझाया गया हूं,

    खिलौने दे के मैं बहलाया गया हूं।

    लहद में क्यों न जाऊं मुंह छिपाएं,

    भरी महफिल से उठवाया गया हूं।

    अब भी इक उम्र पे जीने का न अंदाज आया,

    जिंदगी छोड़ दे पीछा मेरा मैं बाज आया।

    पीते-पीते तेरी उम्र कटी उस पर भी,

    पीने वाले तुझे पीने का न अंदाज आया।

    कौन सी बात नई ऐ दिल ए नाकाम हुई,

    शाम से सुबह हुई सुबह से फिर शाम हुई।

    ढूंढोगे अगर मुल्कों-मुल्कों, मिलने को नहीं नायाब हैं हम,

    ताबीर है जिसकी हसरतो गम, ऐ हम नफसो वह ख्वाब हैं हम।

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