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    सात एमएलसी ने बिहार विधान परिषद सदस्यता की ली शपथ, सीएम व दोनों डिप्‍टी सीएम रहे मौजूद

    कार्यकारी सभापति अवधेश नारायण सिंह ने दिलाई शपथ। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार विधान सभा अध्यक्ष विजय सिन्हा और दोनों उप मुख्यमंत्री रहे मौजूद। भाजपा के हरि सहनी ने मैथिली में जबकि राजद के कारी सोहेब ने उर्दू में ली शपथ।

    By Vyas ChandraEdited By: Updated: Sat, 23 Jul 2022 08:08 AM (IST)
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    शपथ ग्रहण के बाद सीएम नीतीश कुमार का अभिवादन करते बीजेपी एमएलसी हरि सहनी। जागरण

    पटना, राज्य ब्यूरो। बिहार विधान परिषद (Bihar Legislative Council) के लिए विधानसभा कोटे से निर्विरोध निर्वाचित सात सदस्यों ने शुक्रवार को शपथ ग्रहण किया। परिषद के कार्यकारी सभापति अवधेश नारायण सिंह ने सदस्यों को शपथ दिलाई। पांच सदस्यों ने हिंदी में जबकि हरि सहनी ने मैथिली में और मो. सोहैब ने उर्दू में शपथ ली। हिंदी में शपथ लेने वालों में अनिल शर्मा, अफाक अहमद खां, अशोक कुमार पांडेय, मुन्नी देवी, रवींद्र प्रसाद सिंह हैं।

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    सीएम नीतीश कुमार, दोनों डिप्‍टी सीएम भी रहे मौजूद 

    शपथ लेने के साथ ही सदस्यों को बिहार विधान परिषद की कार्य संचालन नियमावली, डायरी, आवास आवंटन पत्र एवं बिहार विधान परिषद की समिति में मनोनयन से संबंधित पत्र दिया गया। कार्यक्रम में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार, विधानसभा के अध्यक्ष विजय सिन्हा, उप मुख्यमंत्री तार किशोर प्रसाद व रेणु देवी के अलावा संसदीय कार्यमंत्री विजय चौधरी भी मंच मौजूद थे। वहीं, कार्यक्रम में स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडेय, ग्रामीण विकास मंत्री श्रवण कुमार, उर्जा मंत्री बिजेंद्र प्रसाद यादव, परिवहन मंत्री शीला कुमारी, विधान परिषद में उप नेता सत्तारूढ़ दल नवल किशोर यादव, के अलावा कई विधान परिषद सदस्य और पूर्व सदस्य उपस्थित थे। शपथ ग्रहण कार्यक्रम के आरंभ में बिहार विधान परिषद के कार्यकारी सचिव विनोद कुमार ने निर्वाचन संबंधी गजट अधिसूचना पढ़ी।

    मुकेश सहनी को भाजपा ने भेजा था उच्‍च सदन 

    बता दें कि 21 जुलाई को सात एमएलसी का कार्यकाल समाप्‍त हो गया। इनमें पूर्व मंत्री मुकेश सहनी, अर्जुन सहनी, मो कमर आलम, गुलाम रसूल बलियावी, रोजीना नाजिश, रणविजय कुमार सिंह और सीपी सिन्‍हा शामिल थे। इनमें वीआइपी चीफ मुकेश सहनी भाजपा कोटे से एमएलसी बने थे। विधानसभा चुनाव हारने के बाद बीजेपी ने उन्‍हें उच्‍च सदन में भेजा था। वे महज डेढ़ साल ही विधान पार्षद रह सके। एनडीए में रहकर भी भाजपा के खिलाफ हमलावर रहे सहनी को मंत्रिमंडल से हटा दिया गया था। अब विधान परिषद से भी उनकी विदाई हो गई है।