सावन के महीने में चूड़ियों की खनक से गुलजार हो रहे पटना के बाजार, मार्केट में इन चूड़ियों का क्रेज बढ़ा
सावन के महीने में पटना के बाजार हरी चूड़ियों की खनक से गुलजार हैं। दुकानों में रंग-बिरंगी चूड़ियों की कतारें सजी हैं जिनमें हरे कांच और लाख की चूड़ियों की मांग सबसे ज्यादा है। महिलाएं अपनी पसंद के अनुसार पारंपरिक और कस्टमाइज्ड चूड़ियों की खरीदारी कर रही हैं। हरी चूड़ियों को सुहाग और समृद्धि का प्रतीक माना जाता है इसलिए सावन में इनका विशेष महत्व है।

जागरण संवाददाता, पटना। सावन का महीना आते ही शहर के बाजार चूड़ियों की खनक से गुलजार होने लगे हैं। 11 जुलाई से सावन शुरू हो रहा है और उससे पहले ही शहर की गलियों और दुकानों में हरी चूड़ियों की चमक दिखने लगी है।
चूड़ी मार्केट, बोरिंग रोड, कंकड़बाग से लेकर स्टेशन रोड तक की दुकानों में रंग-बिरंगी चूड़ियों की कतारें सजी हैं। सबसे ज्यादा मांग हरे कांच की चूड़ियों और लाख की है।
इस बार मुजफ्फरपुर, फिरोजाबाद, जयपुर और इंदौर से चूड़ियों की खेप मंगवाई गई है। बाजार में पोलाश, मीनाकारी वर्क और सिटी गोल्ड की नई वैरायटी भी आई है। नई दुल्हन हों या कामकाजी महिलाएं, सभी अपनी पसंद के अनुसार स्टाइलिश और हल्की चूड़ियों की खरीदारी कर रही हैं।
चूड़ियों की दुकानों पर महिलाओं की भीड़ साफ बता रही है कि सावन का महीना हरी चूड़ियों के बिना अधूरा है। हरे कांच की चूड़ियों का क्रेज बरकरार है। सावन में पारंपरिक हरे कांच की चूड़ियों की मांग सबसे ज्यादा है। चूड़ी विक्रेता सुनील केशरी कहते हैं, सावन के महीने में कांच और लाख की चूड़ियों की सबसे ज्यादा मांग होती है।
कांच की चूड़ियां 40 से 250 रुपए और लाख की चूड़ियां 250 से 1600 रुपए तक यहां उपलब्ध हैं। अगर महिलाएं हरी चूड़ियों के साथ मैचिंग चूड़ियां खरीदना चाहती हैं तो पूरा सेट 1000 से शुरू होकर 5000-6000 तक जाता है।
कस्टमाइज्ड चूड़ियों में क्या है खास?
आजकल महिलाएं अपनी पसंद के अनुसार चूड़ियों में अपना नाम, पति का नाम, फोटो या कोई विशेष शुभ चिह्न अंकित करवाने का ऑर्डर देती हैं। चूड़ी विक्रेता पूनम गुप्ता बताती हैं कि ये चूड़ियां सिंगल पीस या सेट में उपलब्ध हैं। इनकी कीमत सामान्य चूड़ियों से थोड़ी ज्यादा है। कस्टमाइज्ड चूड़ियों का रेट 500 से शुरू होकर डिजाइन के हिसाब से 5000 से 6000 तक जाता है।
कामकाजी महिलाओं को पसंद आ रही हैं सिटी गोल्ड पोला चूड़ियां कामकाजी महिलाओं में सिटी गोल्ड पोला चूड़ियों का चलन बढ़ा है।
इसकी सबसे बड़ी वजह इनका हल्का वजन, स्टाइलिश लुक और हर ड्रेस के साथ मैच होना है। भावना भगत कहती हैं, हमें पूरा दिन ऑफिस में रहना पड़ता है, इसलिए हमें हल्की और टिकाऊ चूड़ियों की जरूरत होती है। सिटी गोल्ड पोला चूड़ियां स्टाइलिश भी लगती हैं
मुजफ्फरपुर, फिरोजाबाद, जयपुर और इंदौर से सिटी मार्केट में चूड़ियां मंगाई जाती हैं। इन शहरों से कांच, लाख, पोलाश, मीनाकारी, सिटी गोल्ड वर्क और अब कस्टमाइज्ड डिजाइन की चूड़ियां आती हैं, जिनकी मांग सावन में चरम पर होती है।
सावन महिलाओं के लिए सुहाग का अटूट बंधन
रश्मि रानी कहती हैं, चूड़ियां हर महिला के श्रृंगार का अहम हिस्सा होती हैं। त्योहार का असली मजा तभी आता है, जब सावन में साड़ी और मेहंदी के साथ हरी चूड़ियां भी हों।
कंचन कहती हैं, सावन में चूड़ियां सुहाग और खुशियों का प्रतीक होती हैं। खासकर जब हाथों में हरी कांच की चूड़ियां हों, तो मन अपने आप खुश हो जाता है। हर साल सावन से पहले मैं नई चूड़ियों का जोड़ा खरीदती हूं।
आरती प्रियदर्शिनी का मानना है कि कांच की चूड़ियां सबसे शुभ मानी जाती हैं। सावन में महिलाएं पारंपरिक लुक अपनाती हैं और सुहाग का पूरा श्रृंगार करती हैं। आजकल पति के नाम की कस्टमाइज्ड चूड़ियां भी काफी पसंद की जा रही हैं। पारंपरिक लुक में लाख की चूड़ियां भी खूब जंचती हैं।
मीनाक्षी सिंह कहती हैं, सावन में गीत, संगीत, मिलना-जुलना, चूड़ियों से सजना-संवरना सब कुछ बड़े उत्साह से होता है। महिलाएं भगवान शिव और पार्वती का आशीर्वाद मांगती हैं। सावन में चूड़ियों से जुड़ी मान्यता पारंपरिक मान्यता है कि सावन के महीने में हरी चूड़ियां पहनना महिलाओं के लिए शुभ होता है।
हरी चूड़ियों को महिला सौंदर्य, सुहाग और समृद्धि का प्रतीक माना जाता है। कहा जाता है कि सावन में महिलाएं शिव-पार्वती का आशीर्वाद पाने के लिए श्रृंगार करती हैं, जिसमें हरी चूड़ियां सबसे अहम भूमिका निभाती हैं। वहीं, अविवाहित लड़कियां भी अपनी पसंद की रंग-बिरंगी चूड़ियां पहनकर सावन मिलन, गीत-संगीत और झूला कार्यक्रमों में हिस्सा लेती हैं।
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