Sawan 2025: भगवान शिव का प्रिय मास सावन आज से आरंभ, नवविवाहित महिलाएं करेंगी मधुश्रावणी की पूजा
सावन माह की शुरुआत के साथ ही पटना के शिवालयों में भक्तों की भीड़ उमड़ पड़ी है। मंदिरों को आकर्षक ढंग से सजाया गया है और रुद्राभिषेक के लिए बुकिंग शुरू हो गई है। इस महीने में चार सोमवार का विशेष संयोग है जिनमें भक्त भगवान शिव की विशेष पूजा-अर्चना करेंगे। मिथिलांचल की नवविवाहित महिलाएं मधुश्रावणी व्रत रखेंगी और महावीर मंदिर में एक अतिरिक्त शिवलिंग स्थापित किया जा रहा है।

जागरण संवाददाता, पटना। भगवान शिव का प्रिय माह सावन शुक्रवार को पूर्वाषाढ़ा नक्षत्र एवं वैधृति योग में आरंभ हो रहा है। माह में चार सोमवार का संयोग बन रहा है। सावन को लेकर शहर के विभिन्न शिवालयों को रंगीन बल्बों के साथ आकर्षक रूप से सजाया गया है। शिव मंदिरों में आज से भक्तों की भीड़ उमड़ेगी।
श्रद्धालु अपने आराध्य भगवान महादेव को जल अर्पण करने के साथ रूद्राभिषेक, पार्थिव पूजन करेंगे। घरों से लेकर मंदिरों में भगवान शिव, मां पार्वती का पूजन विधि-विधान के साथ होगा। नौ अगस्त शनिवार को रक्षाबंधन के साथ सावन माह का समापन होगा।
ज्योतिष आचार्य पंडित राकेश झा ने पंचांगों के हवाले से बताया कि सावन माह का आरंभ शिववास का पुण्यकारी संयोग रहेगा। माह में कुल चार सोमवार होंगे। इसमें पहली साेमवारी 14 जुलाई को दूसरा 21 जुलाई को, तीसरा 28 जुलाई को और अंतिम चार अगस्त को है।
नवविवाहिता करेंगी मधुश्रावणी व्रत:
मिथिलांचल में नवविवाहित महिलाएं सावन मास में मधुश्रावणी की पूजा करेंगी। श्रावण कृष्ण पंचमी में 15 जुलाई मंगलवार से शुरू होगा। पंद्रह दिनों तक चलेगा। इस पूजा में नवविहिता अपने पति की दीर्घायु के लिए माता गौरी की पूजा बासी फूल से करती हैं।
माता पार्वती के साथ भगवान शिव तथा विषहरी नागिन की विधिवत पूजा-अर्चना करेंगी। इस अनुष्ठान के प्रथम और अंतिम दिन विधि विधान के साथ पूजन होगा।
नंदी का पूजन जरूरी:
सावन मास में भगवान शिव व माता पार्वती की पूजन के उपरांत शिव अत्यंत प्रिय भक्त नंदी की पूजा करना जरूरी होता है। बिना नंदी की पूजा किए पूजन अधूरा माना जाता है। पूजन के बाद अपनी कामनाओं को इनके कान में कहने से मनोकामना पूर्ण होती है।
शिव पूजन के दौरान श्रद्धालु गंगाजल, दूध, दही, गन्ना रस, अनार रस, शहद, घी, पंचामृत से अभिषेक फिर वस्त्र, उपवस्त्र, यज्ञोपवीत, चंदन, भस्म, गुलाल, अभ्रक, अक्षत, इत्र, फूलमाला, बेलपत्र, भांग, समी पत्र, धतूरा, अकवन से शृंगार के बाद धूप-दीप व मिष्ठान, ऋतुफल, पान-सुपारी अर्पित करते हैं।
मिट्टी के शिवलिंग बनाकर उसकी पूजा कर फिर मिट्टी में ही विसर्जित कर दिया जाता है। भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा करने से प्रकृति की पूजा भी हो जाती है।
मंदिर में रूद्राभिषेक के लिए बुकिंग:
सावन को लेकर पटना जंक्शन स्थित महावीर मंदिर की ओर से रूद्राभिषेक को लेकर बुकिंग आरंभ हो गई है। सावन में रूद्राभिषेक के लिए अब तक 1280 बुकिंग हो चुकी है। वहीं, पहली सोमवारी के लिए 44 रूद्राभिषेक की बुकिंग की गई है। यह रूद्राभिषेक सुबह पांच बजे से लेकर रात्रि के नौ बजे तक होगा।
महावीर मंदिर के बुकिंग काउंटर के संचालक पंडित राम मिलन ने बताया कि सोमवारी को विशेष दिन भक्त रूद्राभिषेक करना चाहते हैं। ऐसे में इस दिन 2750 रुपये अौर अन्य दिनों के लिए 2310 रुपये दक्षिणा निर्धारित है। महामृत्युंजय जाप के लिए 330 रुपये प्रति हजार जप दक्षिणा निर्धारित की गई है। महावीर मंदिर में तीन शिवलिंग हैं।
नीचे प्राचीन शिवलिंग, ऊपर शीशा बंद शिवलिंग और बीच में हनुमानजी के बगल में अवस्थित है। इन तीनों शिवलिंग पर भक्तों को रूद्राभिषेक कराया जाएगा। बाकी शिवलिंग पर सुबह पांच बजे से लेकर रात नौ बजे तक और हनुमान जी के बगल में अवस्थित शिवलिंग में दोपहर 12 बजे से रात्रि नौ बजे तक रूद्राभिषेक होगा। रूद्राभिषेक के लिए जिन भक्तों ने बुकिंग कराई है उनको बाहर से पूजन सामग्री लाने की जरूरत नहीं है।
बिहार राज्य धार्मिक न्यास पर्षद और महावीर मंदिर न्यास समिति के सदस्य सायण कुणाल ने कहा कि रूद्राभिषेक के लिए भक्तों की भीड़ को देखते हुए मंदिर के सबसे ऊपरी मंजिल पर एक और शिवलिंग की स्थापना की जा रही है। यहां पर भी भगवान का रूद्राभिषेक होगा।
पूजन सामग्री की व्यवस्था महावीर मंदिर की ओर से होगी। दक्षिण भारत के आचार्यों द्वारा भक्तों को रूद्राभिषेक कराया जाएगा। सावन में भक्तों की भीड़ को देखते हुए फूल और प्रसाद के अलग से काउंटर होंगे।
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