Sawan 2025 Puja: सावन में कैसे होगी उत्तम फल की प्राप्ति? शिव पुराण में लिखी है ये बात
इस साल सावन का महीना 11 जुलाई से शुरू हो रहा है जो कई शुभ योगों के साथ आ रहा है। ज्योतिषियों के अनुसार इस महीने में भगवान शिव और पार्वती की पूजा करना बहुत ही फलदायी होता है। इस दौरान चार सोमवार होंगे जिनमें अलग-अलग योग बन रहे हैं। सावन का समापन रक्षा बंधन के साथ होगा।

जागरण संवाददाता, पटना। देवाधिदेव महादेव का प्रिय मास सावन 11 जुलाई शुक्रवार से आरंभ हो रहा है। सावन की शुरुआत इस वर्ष अत्यंत शुभ संयोगों के साथ होगा। इस बार सावन का आरंभ सर्वार्थ सिद्धि और आयुष्मान योग में होगा। जो सुख, शांति और समृद्धि प्रदान करने वाले माना जाता है।
ज्योतिष आचार्यों के अनुसार, सावन मास की शुरुआत 10 जुलाई की मध्यरात्रि 1.48 बजे से मानी जा रही है। सनातन परंपरा के अनुसार तिथि की गणना उदया तिथि के आधार पर की जाती है। ऐसे में सावन 11 जुलाई से आरंभ होगा, जबकि पहले सोमवार पर प्रीति योग का संयोग बना रहेगा। नौ अगस्त शनिवार को रक्षा बंधन के साथ सावन का समापन होगा।
सनातन धर्म में सावन माह का विशेष महत्व है। माह में भगवान शंकर व मां पार्वती का विधि-विधान के साथ पूजन, जलाभिषेक, रूद्राभिषेक करना शुभ माना जाता है।
ज्योतिष आचार्य पंडित राकेश झा ने पंचांगों के हवाले से बताया कि सावन में चार सोमवार होंगे। पहली सोमवारी 14 जुलाई को दूसरी 21 को तीसरी 28 को एवं चौथा सोमवार चार अगस्त को होगा। सावन मास के शुक्ल पूर्णिमा नौ अगस्त शनिवार को रक्षा बंधन के पर्व के साथ समापन होगा।
सृष्टि का संचालन करेंगे शिव:
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, सावन के दौरान सृष्टि का संचालन भगवान शिव करते हैं। सावन माह में शिव मंदिरों व घरों में भगवान शिव का जलाभिषेक, रूद्राभिषेक किया जाएगा। सावन में गंगाजल, बेलपत्र, धतूरा चढ़ाने से भगवान शिव प्रसन्न होते हैं। इस दौरान शिव भक्त शिव पंचाक्षर मंत्रों का जाप करने के साथ शिव चालीसा, रूद्राष्टक का पाठ करेंगे।
पहला सोमवार : 14 जुलाई
इन दिन धनिष्ठा नक्षत्र और आयुष्मान योग का पावन संयोग बना रहेगा । इसके साथ ही गणेश चतुर्थी भी इस दिन पड़ रही है। भगवान शिव और भगवान गणेश दोनों की पूजा फलदायी होगी।
दूसरा सोमवार : 21 जुलाई
इस दिन चंद्रमा रोहिणी नक्षत्र में होंगे और वृषभ राशि में रहेंगे। इस दिन सर्वार्थ सिद्धि योग का संयोग बना रहेगा। जो किसी भी शुभ कार्य की शुरूआत के लिए श्रेष्ठ होगा। शिव के साथ-साथ विष्णु का पूजन फलदायी होगा।
तीसरा सोमवार : 28 जुलाई
इस सोमवार को चंद्रमा पूर्वा फाल्गुनी नक्षत्र में रहेंगे। यह स्थिति मानसिक स्थिरता, भक्ति और ध्यान के लिए सही मानी जाती है। इस दिन पूजन करने से सुख-समृद्धि में वृद्धि होती है।
अंतिम सोमवार : चार अगस्त
अंतिम सोमवार के दिन सर्वार्थ सिद्धि योग, ब्रह्म योग और इंद्र योग का महासंयोग बना रहेगा। चंद्रमा इस दिन अनुराधा और चित्रा नक्षत्र में होंगे। यह संयोग भक्तों को ऊर्जा और आध्यात्मिक उन्नति प्रदान कर सकता है। इस दिन का व्रत व शिवलिंग पर रूद्राभिषेक अत्यंत फलदायी होगा।
सावन पूर्णिमा : नौ अगस्त
सावन मास का समापन नौ अगस्त को शुक्ल पूर्णिमा के दिन होगा। इस दिन बुद्ध आदित्य योग भी बन रहा है। जो ज्ञान, व्यापार के लिए शुभ माना जाता है।
जलाभिषेक से उत्तम फल की प्राप्ति:
पौराणिक कथाओं के अनुसार सावन में समुद्र मंथन किया गया था। समुद्र मंथन के बाद जो हलाहल विष निकला था उसे भगवान शंकर ने अपने कंठ में समाहित कर सृष्टि की रक्षा की थी। विषपान से महादेव का कंठ नीलवर्ण हो गया था। इसी कारण भगवान शिव नीलकंठ महादेव के रूप में जाने जाते हैं।
विष के प्रभाव को कम करने को लेकर देवी-देवताओं ने उन्हें जल अर्पित किया था। ऐसे में भगवान को जलाभिषेक करना शुभ माना जाता है। शिव पुराण के अनुसार भगवान शिव स्वयं जल हैं। जल से भगवान शिव का जलाभिषेक करना सबसे उत्तम पूजन होता है।
सावन में प्रमुख पर्व:
तिथि | पर्व |
---|---|
11 जुलाई | श्रावण मास आरंभ |
14 जुलाई | पहली सोमवारी |
21 जुलाई | दूसरी सोमवारी |
21 जुलाई | कामदा एकादशी व्रत |
22 जुलाई | भौम प्रदोष |
24 जुलाई | हरियाली अमावस्या |
27 जुलाई | हरियाली तीज |
28 जुलाई | तीसरी सोमवारी |
29 जुलाई | नाग पंचमी |
4 अगस्त | चौथी सोमवारी |
5 अगस्त | पुत्रदा एकादशी व्रत |
6 अगस्त | प्रदोष व्रत |
9 अगस्त | सावन पूर्णिमा व रक्षा बंधन |
शिव उपासना की तिथियां:
- कृष्णपक्ष में: 1,4,5,8,11,12,30
- शुक्लपक्ष में: 2,5,6,9,12,13
कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।