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    यहां गिरा था सती माता की पीठ का हिस्सा, जब शरीर के हुए थे 51 खंड; जानिए छोटी पटन देवी मंदिर का रोचक इतिहास

    By anil kumarEdited By: Aysha Sheikh
    Updated: Sun, 15 Oct 2023 12:07 PM (IST)

    Chhoti Patan Devi Mandir जब माता सती ने पति के अपमान को सहन न करते हुए अपने ही पिता के यज्ञ में कूदकर जीवन लीला समाप्त कर दी थी तब उनके शरीर के 51 खंड हुए थे। ये अंग जहां-जहां गिरे वहां शक्तिपीठ स्थापित किए गए। इन 51 खंड में से छोटी पटन देवी स्थल पर सती की पीठ का हिस्सा गिरा था।

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    छोटी पटन देवी मंदिर का रोचक इतिहास

    जागरण संवाददाता, पटना। नवरात्र में मां दुर्गा की पूजा श्रद्धा व उल्लास के साथ पटना सिटी स्थित छोटी पटनदेवी मंदिर में सैकड़ों वर्षों से हो रही है। शारदीय नवरात्र के दौरान यहां भक्तों का तांता लगा रहता है। देश की 51 शक्तिपीठों में प्रमुख इस उपासना स्थल में मां तीनों स्वरूपों में विद्यमान हैं। मां यहां आनेवाले भक्तों की हर मनोकामना पूर्ण करती है।

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    मंदिर की विशेषता

    मंदिर में महाकाली लक्ष्मी, दुर्गा व सरस्वती की प्रतिमा के साथ अन्य देवी-देवताओं की प्रतिमा है। दुर्गा पूजा के दौरान नगर रक्षिका मां दुर्गा भ्रमण करती है। मंदिर परिसर में ही हवन कुंड बना है।

    देवी को प्रतिदिन अलग-अलग सामग्री का भोग लगता है। संगमरमर के पत्थरों से मंदिर परिसर की भव्यता भक्तों को अपनी ओर आकर्षित करती है। वर्तमान में मंदिर को नए स्वरूप देने के लिए निर्माण कार्य जारी है।

    ऐसे पहुंचे मंदिर

    अशोक राजपथ से आने पर चौक थाना क्षेत्र के हाजीगंज से संपर्क पथ में लगभग 125 फीट अंदर जाने पर श्रद्धालु मंदिर पहुंचेगे। वहीं, पटना साहिब स्टेशन से चौक शिकारपुर होते मंगल तालाब मोड़ पहुंचकर कालीस्थान रोड होते हुए छोटी पटनदेवी मंदिर तक सहजता से पहुंचा जा सकता है।

    सिद्धपीठ श्री छोटी पटन देवी मंदिर का इतिहास

    सिद्धपीठ श्री छोटी पटन देवी मंदिर के आचार्य अभिषेक अनंत द्विवेदी बताते हैं कि दक्ष प्रजापति की पुत्री सती ने अपने ही पिता के यज्ञ में पति के अपमान को सहन न करते हुए उसी वेदी (यज्ञ) में कूदकर जीवन लीला समाप्त कर दी थी। सती के शरीर के 51 खंड हुए थे।

    ये अंग जहां-जहां गिरे वहां शक्तिपीठ स्थापित किए गए। आचार्य बताते हैं कि छोटी पटन देवी स्थल पर सती की पीठ का अंग गिरा था। सप्तमी को महानिशा पूजा, अष्टमी को महागौरी व नवमी को सिद्धिदात्री देवी दर्शन पूजन के बाद हवन व कुमारी पूजन में लोगों का उत्साह देखते बनता है।

    भारत की सिद्धपीठ में नगर रक्षिका के रूप में छोटी पटन देवी की पूजा आदिकाल से होती आ रही है। शारदीय व चैत नवरात्र के दौरान सूबे व राजधानी के कोने-कोने से श्रद्धालु मां भगवती की पूजा-अर्चना करने स्वजन के साथ पहुंचते हैं। -आचार्य अनंत अभिषेक द्विवेदी, छोटी पटन देवी मंदिर

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