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    पिता की विरासत के वारिस: तीसरी बार मंत्री बने संतोष सुमन, हम की शक्ति का नया केंद्र

    By subhas kumarEdited By: Radha Krishna
    Updated: Thu, 20 Nov 2025 02:58 PM (IST)

    बिहार में एनडीए सरकार में संतोष सुमन तीसरी बार मंत्री बने हैं। हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा (हम) ने उन पर फिर से भरोसा जताया है। इस बार हम ने 5 नई सीटें जीतीं, लेकिन पार्टी ने सुमन को ही कैबिनेट में भेजने का फैसला किया। राजनीतिक गलियारों में इसे मांझी परिवार की रणनीति माना जा रहा है, जिसके तहत संतोष सुमन पार्टी की नीति और सरकारी भूमिका का केंद्र बने रहेंगे।

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    तीसरी बार मंत्री बने संतोष सुमन

    डिजिटल डेस्क, पटना। बिहार में एनडीए सरकार के गठन के साथ ही हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा (सेक्युलर) ने एक बार फिर अपना भरोसा एमएलसी और पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष संतोष कुमार सुमन पर जताया है। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की नई कैबिनेट में सुमन को तीसरी बार मंत्री बनाया गया है। यह फैसला न केवल हम की राजनीतिक रणनीति को दर्शाता है, बल्कि इस बात को भी साबित करता है कि पार्टी के लिए संतोष सुमन नेतृत्व का स्थायी और विश्वसनीय चेहरा बन चुके हैं।

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    दिलचस्प तथ्य यह है कि इस चुनाव में हम ने 5 नई सीटों पर जीत दर्ज की, इमामगंज, कुटुंबा, बाराचट्टी, अतरी और सिकंदरा। इनमें पार्टी के संस्थापक जीतन राम मांझी की बहू दीपा मांझी भी विधायक बनीं।

    इसके बावजूद पार्टी ने नवनिर्वाचित विधायकों के बजाय फिर से संतोष सुमन को ही कैबिनेट में भेजने का निर्णय लिया।

    राजनीतिक गलियारों में इसे मांझी परिवार की सुविचारित रणनीति माना जा रहा है, जिसके तहत पार्टी की नीति, पहचान और सरकारी भूमिका का केंद्र संतोष सुमन को ही बनाया जा रहा है।

    शिक्षित और विचारशील नेतृत्व का चेहरा

    संतोष सुमन न केवल राजनीतिक विरासत के उत्तराधिकारी हैं, बल्कि मजबूत शैक्षणिक पृष्ठभूमि रखने वाले नेता भी हैं। राजनीति विज्ञान में एमए, यूजीसी–नेट पास और मगध विश्वविद्यालय से पीएचडी के साथ वे एक शिक्षित और विचारशील नेता का उदाहरण हैं।

    राजनीति में आने से पहले वे लेक्चरर और सामाजिक कार्यकर्ता रहे, जिसने उन्हें जमीनी मुद्दों को समझने की गहरी क्षमता दी।

    राजनीतिक सफर: मुखर, दृढ़ और सक्रिय

    अनुसूचित जाति–जनजाति कल्याण विभाग में मंत्री रहते हुए सुमन ने कई योजनाओं पर तेज़ी से काम किया।

    2023 में उन्होंने “दबाव” का हवाला देकर मंत्रिमंडल से इस्तीफा दिया था, जिसने उन्हें सुर्खियों के साथ-साथ पार्टी के भीतर और बड़ा कद दिलाया।

    दलित, महादलित और पिछड़े वर्गों से जुड़े मुद्दों पर उनकी मुखरता उन्हें अन्य नेताओं से अलग करती है।

    तीसरी पारी का बड़ा संदेश

    संतोष सुमन की तीसरी बार मंत्रिमंडल में एंट्री यह साफ संकेत देती है कि हम पार्टी अपने भविष्य का नेतृत्व उन्हीं के हाथों में देख रही है।

    उनकी राजनीतिक परिपक्वता और संगठनात्मक पकड़ आने वाले वर्षों में हम की स्थिति को और मजबूत कर सकती है।