रूरल इकोनॉमिक्स की डिग्री अर्थशास्त्र के समकक्ष नहीं, पटना हाईकोर्ट ने सुनाया फैसला
अशुतोष कुमार और न्यायाधीश पार्थ सारथी की खंडपीठ ने कहा कि याचिकाकर्ता द्वारा यह दलील दी गई कि अग्रवाल आयोग की सिफारिशों के बाद रूरल इकोनॉमिक्स को इकोनॉमिक्स के समकक्ष माना जाना चाहिए इस पर एकल पीठ द्वारा विचार नहीं किया गया। यह मामला वर्ष 2014 में शुरू हुई नियुक्ति प्रक्रिया से संबंधित था।
विधि संवाददाता, पटना। पटना हाई कोर्ट ने सहायक प्राध्यापक (अर्थशास्त्र) की नियुक्ति से जुड़ी याचिका पर सुनवाई करते हुए याचिकाकर्ता राजेन्द्र प्रसाद की अपील को खारिज कर दिया। यह मामला वर्ष 2014 में शुरू हुई नियुक्ति प्रक्रिया से संबंधित था, जिसमें याचिकाकर्ता की उम्मीदवारी यह कहते हुए अस्वीकृत कर दी गई थी कि उनकी “रूरल इकोनॉमिक्स” में मास्टर्स डिग्री सामान्य “इकोनॉमिक्स” के समकक्ष नहीं मानी जा सकती।
कार्यकारी मुख्य न्यायाधीश अशुतोष कुमार और न्यायाधीश पार्थ सारथी की खंडपीठ ने कहा कि याचिकाकर्ता द्वारा यह दलील दी गई कि अग्रवाल आयोग की सिफारिशों के बाद रूरल इकोनॉमिक्स को इकोनॉमिक्स के समकक्ष माना जाना चाहिए, इस पर एकल पीठ द्वारा विचार नहीं किया गया।
परंतु, न्यायालय ने यह भी स्पष्ट किया कि यह मामला 2014 में प्रारंभ हुई नियुक्ति प्रक्रिया से संबंधित है, जो वर्ष 2017 में समाप्त हो चुकी है। इस दौरान बिहार लोक सेवा आयोग की भूमिका भी समाप्त हो गई और विश्वविद्यालय सेवा आयोग इसका स्थान ले चुका है।
खंडपीठ ने कहा कि अब जबकि नियुक्ति प्रक्रिया को वर्षों बीत चुके हैं और प्रक्रिया पूर्ण हो चुकी है, ऐसे में हस्तक्षेप का कोई औचित्य नहीं रह जाता। न्यायालय ने याचिकाकर्ता के प्रति सहानुभूति जताते हुए कहा कि “यह एक कठिन स्थिति जरूर है, लेकिन इसमें अब कुछ किया नहीं जा सकता।” इस मामले में याचिकाकर्ता का पक्ष अधिवक्ता अमरजीत प्रभाकर ने रखा जबकि राज्य की ओर से सर्वेश कुमार सिंह (एएजी-13) और बीपीएससी की ओर से अधिवक्ता ज़की हैदर ने पक्ष रखा ।
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