Four Labour Codes: चार लेबर कोड और IPO पर बढ़ा विवाद, ग्रामीण बैंक कर्मी करेंगे देशव्यापी विरोध-प्रदर्शन
ग्रामीण बैंक के कर्मचारियों ने केंद्र सरकार की नीतियों के खिलाफ विरोध प्रदर्शन करने का फैसला किया है। सरकार द्वारा बैंकों का निजीकरण करने और श्रम कानूनों (Four Labour Code) में बदलाव के खिलाफ कर्मचारी संसद के शीतकालीन सत्र में प्रदर्शन करेंगे। उनका आरोप है कि सरकार की नीतियों से श्रमिकों के अधिकार कमजोर हो रहे हैं।

प्रस्तुति के लिए इस्तेमाल की गई तस्वीर। (जागरण)
जागरण संवाददाता, पटना। ग्रामीण क्षेत्र में बैंकिंग सेवाएं देने वाले कर्मचारियों ने केंद्र सरकार की नीतियों के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है।
बिहार ग्रामीण बैंक ऑफिसर्स फेडरेशन के विशेष प्रतिनिधि सत्र में शामिल पदाधिकारियों ने ऐलान किया कि देश के 700 जिलों में कार्यरत ग्रामीण बैंक कर्मी संसद के शीतकालीन सत्र के दौरान व्यापक प्रदर्शन करेंगे।
ऑल इंडिया ग्रामीण बैंक ऑफिसर्स एसोसिएशन के राष्ट्रीय महासचिव डीएन त्रिवेदी ने कहा कि सरकार की एक राज्य–एक ग्रामीण बैंक की नीति के तहत ग्रामीण बैंकों की संख्या 43 से घटाकर 28 कर दी गई है। अब इन बैंकों में आईपीओ जारी करने की तैयारी है। इससे उनका निजीकरण होने का खतरा है।
उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि प्रायोजक व्यावसायिक बैंकों का पुनः विलय कर उनमें एफडीआई की सीमा 20 से बढ़ाकर 49 प्रतिशत करने की योजना बनाई जा रही है। इससे सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक विदेशी नियंत्रण में जा सकते हैं।
त्रिवेदी ने आगे कहा कि हाल में सरकार ने 29 श्रम कानूनों को समाप्त कर उन्हें चार लेबर कोड्स में बदल दिया है, इससे श्रमिकों के अधिकार और सुरक्षा कमजोर हुई है। उन्होंने इसे श्रमिकों के अस्तित्व पर खतरा बताया।
ऑल इंडिया बैंक ऑफिसर्स एसोसिएशन के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष डॉ. कुमार अरविन्द ने कहा कि सरकार सार्वजनिक क्षेत्र के 12 बैंकों का विलय कर सिर्फ तीन बैंक बनाने की दिशा में आगे बढ़ रही है। इससे बड़े पूंजीपति लाभान्वित होंगे और आम जनता को नुकसान होगा।
विदेशी पूंजी के बढ़ते हस्तक्षेप से राष्ट्रीय आर्थिक योजनाओं पर नकारात्मक प्रभाव पड़ने की आशंका भी जताई गई। बैठक के अंत में नई कार्यकारिणी का गठन किया गया। ब्रह्मेश्वर कुमार को अध्यक्ष और मो. नदीम अख्तर को महासचिव चुना गया। प्रतिनिधि सभा की अध्यक्षता ब्रह्मेश्वर कुमार ने की।

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