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राज्यों में बाढ़ से बचाव के लिए बेहतर ढंग से रोड मैप बनाने की है जरूरत Patna News

कोशी आपदा के खतरे और बचाव पर चर्चा के लिए ज्ञान भवन में दो दिवसीय अंतरराष्ट्रीय सेमिनार के मौके पर वक्ताओं ने राज्य में बाढ़ से होने वाले नुकसान के उपाये सुझाए।

By Edited By: Published: Wed, 31 Jul 2019 01:22 AM (IST)Updated: Wed, 31 Jul 2019 01:23 AM (IST)
राज्यों में बाढ़ से बचाव के लिए बेहतर ढंग से रोड मैप बनाने की है जरूरत Patna News
राज्यों में बाढ़ से बचाव के लिए बेहतर ढंग से रोड मैप बनाने की है जरूरत Patna News
पटना, जेएनएन। 'कोशी आपदा के खतरे और बचाव' पर चर्चा के लिए ज्ञान भवन में दो दिवसीय अंतरराष्ट्रीय सेमिनार की शुरुआत मंगलवार से हुई। दो दिवसीय कार्यक्रम के पहले दिन चार सत्रों का आयोजन हुआ। पहले सत्र का उद्घाटन पटना विवि के कुलपति प्रो. रासबिहारी प्रसाद सिंह, नेपाल से आए संजीव भुचर, प्लान इंडिया के तुषार कांति दास, नदियों के जानकर दिनेश मिश्रा, ब्रिटेन से आई प्रवीणा श्रीधर, वेटलैंड के दक्षिण एशिया के प्रमुख दुष्यंत मोहिल ने किया। 


सत्र के दौरान पटना विवि के कुलपति डॉ. रास बिहारी प्रसाद सिंह ने कहा कि कोशी को पहले समझना होगा। उसका ठीक से अध्ययन करना होगा। देखना होगा कि कोशी समेत देश की तमाम नदियों से कोई खिलवाड़ तो नहीं न हुआ। बाढ़ से बचाव के लिए बेहतर ढंग से रोड मैप बनाने की जरूरत है। सत्र के दौरान 'कोशी नदी से उपजी चुनौतियां और सावधानी' विषय पर काठमांडृू से आए संतोष नेपाल ने कहा कि पर्यावरण में बदलाव और पर्यावरण के प्रति सामाजिक चेतना का नहीं होना बाढ़ से होने वाले नुकसान की वजह है। उन्होंने आंकड़े और मानचित्र को स्क्रीन पर दिखाते हुए लोगों को विस्तार से जानकारी दी। ब्रिटेन से आई पर्यावरण विशेषज्ञ प्रवीणा श्रीधर ने कहा कि सरकार की उदासीनता सबसे बड़ा कारण है। उन्होंने कहा कि बाढ़ के कारण लगभग 40 करोड़ लोग छह महीने तक इससे प्रभावित होते हैं। बाढ़ के चलते बिहार में घोषित हुआ था अकाल - सत्र के दौरान 'कोशी नदी में बाढ़ - पूर्व और वर्तमान की स्थिति' पर नदी मामलों के विशेषज्ञ और जानकार दिनेश मिश्र ने कहा कि 1947 में बारिश की सामान्य स्थिति रही। लेकिन 1948 में भयानक बाढ़ आ गई। 1949 में हथिया नक्षत्र में बारिश ही नहीं हुई। इसके कारण अकाल पड़ गया। दुनिया के अलग-अलग मुल्कों से अनाज मागना पड़ा। सोवियत रूस से लेकर अमेरिका के साथ श्रीलंका और थाईलैंड से भी अनाज मंगाना पड़ा। इस स्थिति के बावजूद उस समय अकाल घोषित नहीं किया गया। 1966 में पहली बार बिहार में बाढ़ के चलते अकाल घोषित किया गया। उस समय महामाया प्रसाद मुख्यमंत्री थे। उस दौरान उन्होंने कहा था कि नीतियां तो हर सरकार में बनीं, लेकिन जमीन पर कब उतरेगी यह महत्वपूर्ण है। कार्यक्रम के दौरान सामाजिक कार्यकर्ता रंजीव कुमार, आरती वर्मा, फैयाज इकबाल मौजूद थे। कार्यक्रम का संचालन संजय पांडेय ने किया।

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