लालू के नए दांव से बढ़ेगी चिराग की टेंशन! 25 मिनट तक पारस से चली बातचीत, फिर चुनाव को लेकर सबकुछ हो गया साफ
बिहार में महागठबंधन को एक और बड़ी मजबूती मिल सकती है। पूर्व केंद्रीय मंत्री पशुपति पारस के नेतृत्व वाली रालोजपा (लोक जनशक्ति पार्टी राष्ट्रीय) भी महागठबंधन का हिस्सा बन सकती है। रविवार को राबड़ी आवास पर लालू प्रसाद और पारस के बीच करीब 25 मिनट तक बातचीत हुई है। इस मुलाकात के बाद माना जा रहा है कि पारस महागठबंधन में शामिल हो सकते हैं।
राज्य ब्यूरो, पटना। भेंट-मुलाकात और बातचीत ऐसे ही सही दिशा में रही तो पूर्व केंद्रीय मंत्री पशुपति पारस के नेतृत्व वाली रालोजपा (लोक जनशक्ति पार्टी राष्ट्रीय) भी महागठबंधन का घटक बन जाएगी।
इसका संकेत राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद और पारस की भेंट के साथ राजद के सकारात्मक दृष्टिकोण से मिल रहा है। रविवार को राबड़ी आवास पर एक बार फिर दोनों नेताओं के बीच लगभग 25 मिनट तक बातचीत हुई है।
निर्णायक मोड़ पर पहुंच चुकी है साझेदारी की बात
- इस बार साथ में रालोजपा के प्रदेश अध्यक्ष प्रिंस राज भी थे। दोनों पक्षों से कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया तो नहीं मिली, लेकिन अंदरूनी सूत्र बता रहे कि साझेदारी की बात लगभग निर्णायक मोड़ पर पहुंच चुकी है।
- पारस छह दिन में दूसरी बार लालू से मिलने पहुंचे थे। इस बीच लालू भी उनके दही-चूड़ा भोज में सम्मिलित होकर दोनों दलों में साझेदारी का संकेत दे चुके हैं। इस तरह छह दिन में इन दोनों नेताओं की यह तीसरी भेंट है।
- चुनावी वर्ष में इतनी मुलाकात अनायास नहीं होती। राजद के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष उदय नारायण चौधरी का कहना है कि पारस जिस हैसियत में भी आएं, महागठबंधन में उनका स्वागत है।
- यह समय गांधीवाद, आंबेडकरवाद और समाजवाद की एकजुटता का है। इसका संरक्षक संविधान ही हो सकता है। राजद का यही लक्ष्य व उद्देश्य है।
सियासी गलियारों में ये है चर्चा
चर्चा है कि रालोजपा को महागठबंधन में सम्मिलित कर लालू यह संदेश देने की जुगत में हैं कि अनुसूचित जाति का वोट बैंक राजग से खिसक महागठबंधन से जुड़ रहा है।
राजद के जनाधार के साथ वे पिछड़ा, अति-पिछड़ा और अनुसूचित जाति को जोड़कर एक बड़ा समीकरण बनाने का जतन कर रहे। लोकसभा चुनाव में कुशवाहा समाज को रिझाने का वे भरसक प्रयास कर चुके हैं।
पारस ने 15 जनवरी को दही-चूड़ा का भोज दिया था। निमंत्रण देने के लिए 14 जनवरी को राबड़ी आवास गए थे। पुत्र तेजप्रताप यादव के साथ लालू भोज में पहुंचे थे।
वहां पारस के महागठबंधन में सम्मिलित होने की संभावना वाले प्रश्न पर उन्होंने हां में उत्तर दिया था। उससे पहले पारस ने भी कहा था कि लालू प्रसाद से पुराना रिश्ता है। उनके नेतृत्व वाली बिहार सरकार में वे मंत्री हुआ करते थे। सकारात्मक और बहुत अच्छी बातचीत हुई है।
इस वजह से बढ़ी पारस की राजद से करीबी
उल्लेखनीय है कि रालोजपा की सहभागिता के बाद महागठबंधन के घटक दलों की संख्या सात जो जाएगी। राजद के नेतृत्व में अभी कांग्रेस, भाकपा, माकपा, भाकपा (माले) और विकासशील इंसान पार्टी इसके घटक हैं।
पटना में सरकारी बंगले से बेदखल होने के बाद पारस की लालू से निकटता बढ़ी। उस बंगले में अब चिराग पासवान के नेतृत्व वाली लोजपा (रामविलास) का कार्यालय संचालित हो रहा।
राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) की बैठकों के लिए जब बुलावा बंद हुआ, पारस को नए ठांव की चिंता हुई। सूत्र बताते हैं कि रालोजपा विधानसभा उप चुनाव के दौरान ही महागठबंधन का हिस्सा हो जाती, अगर कि तरारी सीट उसे मिल गई होती। वह भाकपा (माले) की परंपरागत सीट है, जो राजद की सबसे विश्वस्त सहयोगी है।
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