महागठबंधन की 'Voter Adhikar Yatra' सरकार पर कितना बना पाएगी दबाव? समझिए Tejashwi की ड्राइविंग सीट का सियासी समीकरण
राहुल गांधी की भारत जोड़ो न्याय यात्रा के दौरान तेजस्वी ने राजद के नेतृत्व को दर्शाया था। अब मतदाता अधिकार यात्रा के जरिए उसी संदेश को मजबूत किया जा रहा है। यह यात्रा महागठबंधन के महत्वपूर्ण क्षेत्रों से गुजरेगी। तेजस्वी ने पहले भी कई यात्राएं की हैं जिनसे युवाओं को आकर्षित करने और संगठन को मजबूत करने में मदद मिली है।

विकास चंद्र पांडेय, पटना। पिछले साल जब राहुल गांधी भारत जोड़ो न्याय यात्रा के दूसरे चरण में सासाराम पहुंचे थे, तब तेजस्वी यादव ने अपनी लाल जीप चलाकर यह संदेश देने की कोशिश की थी कि बिहार में महागठबंधन की ड्राइविंग सीट पर राजद है। इस साल नेतृत्व को लेकर महागठबंधन में थोड़ी अनबन हुई, लेकिन मतदाता अधिकार यात्रा के प्रचार गीत के जरिए राजद ने एक बार फिर उस संदेश को पुख्ता किया है।
यह संयोग ही है कि यह गीत सबसे पहले सासाराम में ही बजेगा, जहां से तेजस्वी राहुल के साथ मतदाता अधिकार यात्रा की शुरुआत करने वाले हैं। यह यात्रा उन्हीं इलाकों से होकर गुजरेगी, जिन्हें महागठबंधन अपनी राजनीति के लिए उपजाऊ मानता है।
राहुल और तेजस्वी की पिछली यात्राओं में उन्हीं इलाकों पर खास फोकस रहा था। महागठबंधन के चुनावी प्रदर्शन के लिहाज से वे दौरे सफल रहे थे। शायद उसी सफलता ने राहुल-तेजस्वी को इस बार एकजुट होकर पहल करने के लिए प्रेरित किया। हालांकि, इस पृष्ठभूमि में मतदाता सूची का विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) एक सामयिक और प्रासंगिक मुद्दा बन गया।
बिहार में भारत जोड़ो न्याय यात्रा दो चरणों में हुई। पहला चरण 29 जनवरी से 31 जनवरी 2024 तक चला। तब राहुल सीमांचल के चार लोकसभा क्षेत्रों (किशनगंज, अररिया, पूर्णिया, कटिहार) से गुजरे और बंगाल के लिए रवाना हुए। दो दिनों के दूसरे चरण (15 से 16 फरवरी 2025) में भी वे चार लोकसभा क्षेत्रों (औरंगाबाद, काराकाट, सासाराम, बक्सर) से गुजरे। अगर पूर्णिया में निर्दलीय पप्पू यादव की जीत को शामिल कर लें, तो इनमें से सात क्षेत्रों में महागठबंधन विजयी रहा।
कांग्रेस ने अपने हिस्से की तीनों सीटें (किशनगंज, कटिहार, सासाराम) जीतीं। काराकाट भाकपा (माले) के खाते में गई, जबकि औरंगाबाद और बक्सर राजद के खाते में गई। महागठबंधन ने निष्कर्ष निकाला कि इस यात्रा से विपक्षी एकता मजबूत हुई। साथ ही सामाजिक न्याय, धर्मनिरपेक्षता और जनहित के मुद्दों पर जनमत तैयार हुआ।
एकता और जनमत के उद्देश्य से अब मतदाता अधिकार यात्रा की बारी है। इसमें राहुल के लिए चाणक्य और तेजस्वी के लिए चंद्रगुप्त की भूमिका पूर्व निर्धारित है। सत्ता के संघर्ष में तेजस्वी भी अब तक पांच यात्राएं (बेरोजगारी हटाओ यात्रा, संविधान बचाओ यात्रा, जन विश्वास यात्रा, आभार यात्रा, जन संवाद यात्रा) कर चुके हैं।
विपक्षी भाजपा-जदयू भले ही उन यात्राओं को आधी-अधूरी बताते रहे हों, लेकिन राजद का मानना है कि संगठन विस्तार और तेजस्वी की छवि निखारने के लिए वे यात्राएं बेहद उपयोगी रहीं। 2020 में विधानसभा चुनाव से पहले उनकी बेरोजगारी हटाओ यात्रा ने युवाओं को खूब आकर्षित किया।
नतीजा यह हुआ कि चुनाव में 18-39 साल के मतदाताओं में महागठबंधन को 47 फीसदी समर्थन मिला, जबकि एनडीए को 34-36 फीसदी। तब 78 लाख पहली बार वोट देने वाले (18-25 साल) मतदाताओं ने जंगल-राज से ज्यादा रोजगार को महत्व दिया था।
उसी से उत्साहित होकर तेजस्वी ने इस बार के विधानसभा चुनाव का घोषणापत्र तैयार करने के उद्देश्य से जन संवाद यात्रा की। इसका समापन नालंदा में हुआ, जहाँ तेजस्वी ने बिहार के समावेशी विकास का खाका पेश किया। इसमें रोज़गार के साथ-साथ उद्योग, शिक्षा, स्वास्थ्य और सामाजिक सुरक्षा पर विशेष ज़ोर दिया गया।
सरकार उनमें से कई वादों पर घोषणाएँ भी कर चुकी है और कुछ घोषणाओं पर अमल भी शुरू हो गया है। राजद प्रवक्ता चित्तरंजन गगन कहते हैं कि तेजस्वी की यात्राओं की सफलता का इससे बड़ा प्रमाण और क्या हो सकता है! सरकार भी इतने दबाव में है कि उसे तेजस्वी के वादों की नकल करनी पड़ रही है!
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