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    Bihar Election Result: 'अवध के बाद मगध' का नारा हुआ फेल, बिखर गया राजद का बना-बनाया समीकरण

    Updated: Sat, 15 Nov 2025 03:50 PM (IST)

    उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव का 'अवध के बाद मगध' का नारा बिहार चुनाव में विफल रहा। राजद का माय समीकरण कई सीटों पर बिखर गया, जिससे महागठबंधन को गया, नवादा, नालंदा जैसे क्षेत्रों में हार का सामना करना पड़ा। लोगों ने सुरक्षा और कानून व्यवस्था के मामले में एनडीए पर भरोसा जताया, और प्रवासियों ने भी राजग के घोषणापत्र का समर्थन किया।

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    कांग्रेस की वोटर अधिकार यात्रा। फाइल फोटो

    जागरण टीम, पटना। महागठबंधन प्रत्याशियों के पक्ष में कई जनसभाओं में यूपी के पूर्व मुख्यमंत्री व सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने बार-बार अवध के बाद मगध जीतने का नारा दिया, परंतु लोग इससे जुड़ न सके। उल्टे गत लोकसभा चुनाव में राजद का बना-बनाया माय (मुस्लिम-यादव) और कुशवाहा के गठजोड़ से बना समीकरण ही कई सीटों पर दरक गया।

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    नतीजतन गया, नवादा, नालंदा, पटना, जहानाबाद, अरवल व औरंगाबाद में महागठबंधन के प्रत्याशी ऐसी-ऐसी सीटें भी हार गए, जहां से उनको पूरी उम्मीद थी। गया की 10, नवादा की 05, नालंदा की 07, पटना की 14, जहानाबाद की 03, अरवल की 02 व औरंगाबाद की 06, कुल 47 सीटों में क्रमश: 08, 04, 07, 12, 01, 02 और 05 सीटें राजग के खाते में आ गईं। इस पूरे परिक्षेत्र में लोगों ने सुरक्षा व विधि व्यवस्था के मामले में वर्तमान सरकार पर विश्वास किया।

    हुड़दंग ने किया रंग में भंग

    महागठबंधन की सभाओं व रैलियों में हुड़दंग ने विपरीत प्रभाव डाला। वहीं छठ व दीवाली में बड़ी संख्या में लौटे आप्रवासियों व अधिसंख्य महिलाओं ने भी बेहतरी की उम्मीद को लेकर राजग के घोषणा पत्र पर ज्यादा भरोसा किया। गत लोस चुनाव में औरंगाबाद में माय के साथ जुड़ा कुशवाहा राजग के खेमे में आ गया।

    यहां से मात्र एक सीट गोह पर राजद प्रत्याशी अमरेंद्र कुमार भाजपा के तीन बार के विधायक रहे रणविजय सिंह को मामूली अंतर से हरा सके। अमरेंद्र नए चेहरे थे, कुशवाहा थे, इन दो फैक्टरों का लाभ मिला। यादवों के गढ़ ओबरा व राजपूतों के गढ़ नबीनगर भी हाथ से चले गए।

    पटना, नालंदा, नवादा व गया ने अप्रत्याशित परिणाम दिया, बोधगया. टेकारी, फतुहा, मनेर व पालीगंज छोड़कर सभी सीटों पर महागठबंधन का माय समीकरण दरका दिखा। जहानाबाद ने महागठबंधन का साथ निभाया, यहां की तीन सीटों में दो सीटें दे दीं, एकमात्र सीट जद यू के खाते में आई। अरवल की दोनों सीट राजग ने जीत ली, यह कम्युनिस्ट पार्टी का गढ़ था।

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