RJD में 300 भितरघाती; चिह्नित किए जाने के बाद भी कार्रवाई से क्यों हिचक रहा राजद? पढ़िये Inside Story
Bihar News: राजद में 300 भितरघातियों की पहचान के बाद भी कार्रवाई में हिचकिचाहट क्यों हो रही है? पार्टी के अंदरूनी सूत्रों के अनुसार, कार्रवाई से पार्ट ...और पढ़ें

तेजस्वी यादव व लालू प्रसाद को मिल गई रिपोर्ट। जागरण आर्काइव
राज्य ब्यूरो, पटना। राष्ट्रीय जनता दल (RJD) ने विधानसभा चुनाव में हार के कारणों की लंबी समीक्षा की है। प्रदेश अध्यक्ष मंगनी लाल मंडल के नेतृत्व में हुई इस समीक्षा में पार्टी प्रत्याशियों व जिला के पदाधिकारियों ने एक हजार से अधिक भितरघातियों के नाम गिनाए हैं।
कतर-ब्योंत के बाद भी तीन सौ चेहरे आरोपों की जद में आ रहे। अग्रेतर कार्रवाई के लिए वह रिपोर्ट शीर्ष नेतृत्व (लालू प्रसाद और तेजस्वी यादव) को बढ़ा दी गई है, जो अविलंब कार्रवाई से इसलिए भी हिचक रहा कि बताए जा रहे भितरघातियों में एक-दूसरे के पुराने प्रतिद्वंद्वी भी हैं।
विद्राेह-बगावत नहीं, तो भी कार्रवाई पर पार्टी से पलायन की आशंका भी है, जबकि शीर्ष नेतृत्व अभी दल के भीतर कोई खलबली नहीं चाह रहा। पार्टी की नई पीढ़ी चाह रही कि भितरघातियों के विरुद्ध कठोर कार्रवाई हो।
पुरानी पीढ़ी का मानना है कि यह बिना परिश्रम पार्टी में अधिकाधिक स्थान पाने की लालसा है। जिन्हें भितरघाती बताया जा रहा, उनका पक्ष भी जानना आवश्यक है।
जिन पर उठ रही उंगलियां वे मंझे खिलाड़ी
हालांकि, सार्वजनिक रूप से मुखर कोई नहीं हो रहा, क्योंकि जिन पर अंगुलियां उठाई जा रहीं, उनमें अधिसंख्य अपने क्षेत्र के मंझे खिलाड़ी हैं। फिर भी प्रदेश नेतृत्व ने पराजय के कारणों का बारीक अध्ययन कर ऐसे तीन सौ चेहरे चिह्नित किए हैं, जिनका योगदान चुनाव के दौरान पार्टी के हित में नहीं रहा। उनमें कुछ बड़े चेहरे भी हैं।
प्रदेश अध्यक्ष मंगनीलाल मंडल के नेतृत्व मेंं, 26 नवंबर से 9 दिसंबर तक, दो चरणों में, राजद ने हार की समीक्षा की है। हर जिले से दर्जनों भितरघातियों के नाम गिनाए गए।
जिन्हें आरोपित किया जा रहा, वे अपनी अंगुली दूसरी ओर उठा रहे। एक उदाहरण सीतामढ़ी जिला की परिहार विधानसभा क्षेत्र है। वहां बगावत कर मैदान में उतरी महिला प्रकोष्ठ की प्रदेश अध्यक्ष रितु जायसवाल को राजद ने बाहर का रास्ता दिखा दिया।
वहां का चुनाव परिणाम राजद को हतप्रभ करने वाला रहा। पार्टी की अधिकृत प्रत्याशी डा. स्मिता पूर्वे को तीसरे स्थान पर धकेलते हुए रितु निकटतम प्रतिद्वंद्वी की हैसियत में रहीं।
राजद अब रितु के लिए मन मसोस रहा। ऐसे कई उदाहरण हैं। ऐसे में तय है कि अब कोई भी कार्रवाई तेजस्वी के आकलन और लालू के विवेक से ही होगी।

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