शिक्षा का अधिकार कानून: बिहार के प्राइवेट स्कूलों की नहीं चलेगी मनमानी, शिक्षा मंत्री ने कही ये बात
शिक्षा के अधिकार अधिनियम के तहत निजी विद्यालयों को मिलने वाली राशि के लिए पोर्टल। शिक्षा मंत्री ने विधानसभा में कहा कि प्रतिपूर्ति राशि का आंकड़ा अपलोड होगा। गरीब की जगह अमीर बच्चों के नामांकन के फर्जीवाड़ा पर कार्रवाई।

प्रति छात्र दिए जाते हैं सात से आठ हजार रुपये
शिक्षा के अधिकार अधिनियम 2009 से जुड़े इस मसले पर मनोज मंजिल, अजीत कुमार सिंह, संदीप सौरभ, महबूब आलम, डा. सत्येंद्र यादव तथा रामबली सिंह यादव द्वारा ध्यानाकर्षण (Whistleblower) लाया गया था। इनका कहना था कि इस अधिनियम के तहत निजी स्कूलों में इंट्री लेबल पर 25 प्रतिशत सीटें उन बच्चों के लिए आरक्षित होती है जो सामाजिक व आर्थिक रूप से कमजोर हैं। राज्य सरकार द्वारा निजी स्कूलों को सात से आठ हजार रुपए प्रति छात्र, प्रति वर्ष दी जाती है। वित्तीय वर्ष 2021-22 में इस मद में राज्य सरकार ने 67 करोड़ रुपए जारी किए हैं। अधिकांश स्कूलों द्वारा इस संदर्भ में पारदर्शिता नहीं अपनायी जा रही है।
2011 में बनाई गई थी नियमावली
शिक्षा मंत्री ने कहा कि वर्ष 2011 में इस बारे में नियमावली बनायी गयी थी। प्रस्वीकृत विद्यालयों को अपने यहां नामांकन की सूचना को सार्वजनिक करना है। जिन विद्यार्थियों का उन्होंने अपने यहां नामांकन लिया है उसकी सूचना जिला शिक्षा अधिकारी को दी जाती है। इसकी जांच करायी जाती है। इसके बाद ही उन्हें राशि की प्रतिपूर्ति की जाती है।
बता दें कि कई प्राइवेट स्कूलों में सरकार की इस नीति की अवहेलना की जाती है। अमीर बच्चों का नामांकन लेकर फर्जीवाड़ा किया जाता है। लेकिन अब यह मनमानी नहीं चलने वाली है।
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