Bihar Retired Teacher: यूनिवर्सिटी से रिटायर टीचर को अब मिलेगा पैसा, शिक्षा विभाग ने दे दिए 378 करोड़
राज्य के सभी विश्वविद्यालयों में सेवानिवृत शिक्षकों और कर्मचारियों के सेवांत लाभ के भुगतान के लिए 378.66 करोड़ रुपये जारी किए गए हैं। उच्च शिक्षा निदेशक रेखा कुमारी ने विश्वविद्यालयों को भुगतान सुनिश्चित करने का निर्देश दिया। विभिन्न विश्वविद्यालयों को प्राप्त राशि पटना विश्वविद्यालय (23.02 करोड़) मगध विश्वविद्यालय (73.94 करोड़) बीआरए बिहार विश्वविद्यालय (55.24 करोड़) समेत अन्य विश्वविद्यालयों को भी राशि दी गई है।

राज्य ब्यूरो, पटना। राज्य के सभी विश्वविद्यालयों में सेवानिवृत शिक्षकों और कर्मचारियों के नवंबर और दिसंबर 2024 तक सेवांत लाभ के भुगतान हेतु 378 करोड़ 66 लाख रुपये जारी किया गया है। इस संबंध में उच्च शिक्षा निदेशक रेखा कुमारी ने सभी विश्वविद्यालयों के कुलसचिवों को संबंधित शिक्षकों व कर्मियों को सेवांत लाभ भुगतान सुनिश्चित करने का निर्देश दिया है।
किस विश्वविद्यालय को कितनी राशि मिली?
- पटना विश्वविद्यालय को 23.02 करोड़, मगध विश्वविद्यालय, बोधगया को 73.94 करोड़, बीआरए बिहार विश्वविद्यालय, मुजफ्फरपुर को 55.24 करोड़।
- जय प्रकाश विश्वविद्यालय, छपरा को 22.82 करोड़, वीर कुंवर सिंह विश्वविद्यालय, आरा को 29.14 करोड़, बीएन मंडल विश्वविद्यालय, मधेपुरा को 23.58 करोड़ रुपये उपलब्ध कराया गया है।
- तिलका मांझी विश्वविद्यालय, भागलपुर को 19.95 करोड़, ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय, दरभंगा को 53.84 करोड़, कामेश्वर सिंह दरभंगा संस्कृत विश्वविद्यालय को 39.62 करोड़।
- मौलाना मजहरूल हक अरबी एवं फरसी विश्वविद्यालय, पटना को एक करोड़ 14 लाख, पाटलिपुत्र विश्वविद्यालय, पटना को 24.94 करोड़, पूर्णिया विश्वविद्यालय को 6.68 करोड़ और मुंगेर विश्वविद्यालय को 5.78 करोड़ रुपये उपलब्ध कराया गया है।
इस राशि से सेवानिवृत कर्मियों के पेंशन भुगतान के साभ-साथ इस अवधि में अन्य देय भी दिया जाएगा।
नई शिक्षा नीति के अनुपालन में लापरवाह कालेज-यूनिवर्सिटी अनुदान से होंगे बाहर
बिहार के विश्वविद्यालयों और महाविद्यालयों के लिए अब राष्ट्रीय मूल्यांकन एवं प्रत्यायन परिषद (नैक) से अच्छी ग्रेडिंग मिलना आसान नहीं होगा। खासकर नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) को लेकर नियमों का अनुपालन नहीं कर रहे उच्च शिक्षण संस्थानों पर विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) ने सख्ती दिखायी है।
यूजीसी ने आगाह करते हुए कहा है कि एनईपी के अनुपालन में लापरवाह कालेजों-विश्वविद्यालयों को अनुदान की प्राथमिकता से बाहर होंगे। यह नये वित्तीय वर्ष 2025-26 से प्रभावी होगा। फिलहाल यूजीसी ने उच्च शिक्षण संस्थानों में एनईपी के अमल को परखने को लेकर कालेजों-विश्वविद्यालयों को एक ड्राफ्ट जारी किया है। जिसमें सभी संस्थानों को एनईपी से जुड़े 49 बिंदुओं पर अमल को लेकर 30 दिनोंं के अंदर जवाब देना होगा।
इसी आधार पर संस्थानों की रैंकिंग जारी की जाएगी और वित्तीय सहायता प्रदान की जाएगी। यूजीसी के नये निर्देश को लेकर बिहार सरकार का शिक्षा विभाग भी गंभीर है। इस निर्देश समेत कई अन्य मुद्दों पर विभाग ने सभी विश्वविद्यालयों को आगाह किया है क्योंकि राज्य में पटना विश्वविद्यालय को छोड़कर अन्य विश्वविद्यालय एनपीए पर अमल करने में काफी पीछे हैं। यही हाल राज्य के 268 अंगीभूत कालेजों का भी है।
बिहार राज्य उच्चतर शिक्षा परिषद के एक उच्च पदस्थ अधिकारी ने साफ तौर से बताया कि राज्य में उच्च शिक्षण संस्थानों को एनईपी के अमल में ढुलमुल रवैया अपनाना अब महंगा पड़ने जा रहा है। इसका असर आने वाले दिनों में न सिर्फ उनकी रैंकिंग पर पड़ेगा बल्कि यूजीसी की ओर से मिलने वाली वित्तीय मदद पर भी इसका असर दिखेगा। जिसमें उन्हें दी जाने वाली वित्तीय मदद में कटौती या फिर वित्तीय मदद की प्राथमिकता से बाहर किया जासकता है। यूजीसी ने यह कदम तब उठाया है, जब एनईपी को लागू हुए चार साल होने के बाद भी कई संस्थानों में इसके अमल को लेकर अपेक्षित प्रगति देखने को नहीं मिल रही है, जबकि एनईपी के बारे में बिहार सरकार की ओर से बार-बार आगाह किया है।
राज्य के संस्थानों का हाल
राज्य के विश्वविद्यालयों में एनईपी पर अमल नहीं होने से यूजीसी खफा है और पहले भी नाराजगी जाहिर कर चुका है। उनके बीच एकरूपता प्रभावित हो रही है। हाल कुछ इस तरह है कि अधिकांश संस्थानों के स्नातकोत्तर संकाय में क्रेडिट फ्रेम वर्क पाठ्यक्रम लागू नहीं हो पाया है। स्नातक संकाय में एनईपी के तहत क्रेडिट फ्रेमवर्क वाले पाठ्यक्रम जरूर लागू हो गयर है।
रोचक यह कि कई विश्वविद्यालय यूजीसी के बार-बार के निर्देशों के बाद अभी भी पुराने ढर्रे पर ही चल रहा है। जिसका असर छात्रों पर पड़ रहा है, क्योंकि उन्हें शिक्षा से जुड़े सुधारों का लाभ समय से नहीं मिल रहा है। इसके आधार पर उच्च शिक्षण संस्थानों को राष्ट्रीय मूल्यांकन एवं प्रत्यायन परिषद (नैक) की ग्रेड प्रदान करने में भी मदद मिलेगी।
इन प्रमुख बिंदुओं पर देना है जबाव
- यूजीसी ने उच्च शिक्षण संस्थानों में एनईपी के अमल का परखने का जो फॉर्मूला तैयार किया है, उनमें उच्च शिक्षण संस्थानों को बताना होगा कि उन्होंने एनईपी लागू किया है या नहीं। लागू करने वाले उन्हें एक अंक मिलेगा।
- शिक्षकों के खाली पदों को लेकर भी पूछा गया है कि क्या उनके यहां शिक्षक 75 प्रतिशत स्थायी पद भरे हुए है या नहीं। शिक्षक-छात्र अनुपात का पालन किया या नहीं?
- प्रोफेसर आफ प्रैक्टिस के तहत पद भरे गए है या नहीं। क्या एनईपी के तहत किसी में कोर्स में कभी भी दाखिला लेने और छोड़ने का व्यवस्था को लागू किया है या नहीं। क्रेडिट फ्रेमवर्क को लागू किया या नहीं? संस्थान ने क्या अपने यहां एनईपी सारथी का नियुक्ति दी है।
- उद्योगों के साथ मिलकर उन्होंने क्या कोई इंटर्नशिप और अप्रेंटिसशिप प्रोग्राम शुरू किया है या नहीं? क्या अपने कोर्सों को दूसरी भारतीय भाषा में भी पढ़ा रहे है। शोध को बढ़ावा देने की व्यवस्था को क्या लागू किया है या नहीं?
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