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    बिहार के सात लाख सरकारी कर्मचारियों को राहत, मेडिकल भुगतान प्राप्त करने के आसान हुए रास्ते

    By Sumita JaiswalEdited By:
    Updated: Thu, 17 Dec 2020 02:58 PM (IST)

    बिहार सरकार ने सरकारी कर्मचारियों के लिए मेडिकल बिल रिइम्‍बर्स करने के पुराने आदेश में संशोधन किया गया है। नई व्यवस्था प्रभावी हो गई है। अब अस्पताल अधीक्षक-निदेशक अलावा अन्य अफसर भी बिल पर हस्ताक्षर कर सकेंगे। जानिए नई व्‍यवस्‍था पूरी डिटेल में।

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    सरकार ने कर्मियों के हित में बड़ा कदम उठाया , सांकेतिक तस्‍वीर ।

    पटना, राज्य ब्यूरो । प्रदेश के करीब सात लाख राज्य कर्मियों के हक में सरकार ने बड़ा कदम उठाया है। सरकार ने चिकित्सा प्रतिपूर्ति (Medical reimbursement) के नियम का और सरल कर दिया है। अब मेडिकल बिल पर संस्थान के अधीक्षक-निदेशक के साथ ही कुछ अन्य पदाधिकारियों के हस्ताक्षर भी मान्य कर दिए गए हैं। सरकार ने इस संबंध में आदेश भी जारी कर दिया है।

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    सरकारी-प्राइवेट दोनों अस्पताल है इलाज की सुविधा

    राज्य कर्मियों को सरकारी खर्च पर सरकारी और प्राइवेट दोनों तरह के अस्पताल में इलाज कराने की सुविधा है। इलाज पर होने वाला खर्च पहले सरकारी सेवक द्वारा वहन किया जाता है जिसकी बाद में सरकारी कोष से प्रतिपूर्ति (Reimburse) हो जाती है। इसके लिए नियमों के मुताबिक प्रत्येक विभाग के बजट भी मुहैया कराया जाता है।

    अन्य पदधारी के हस्ताक्षर मान्य न होने से आ रही थी समस्या

    समस्या यह होती रही है कि कई प्राइवेट संस्थानों में अधीक्षक अथवा निदेशक के स्थान पर अन्य पदाधिकारी को बिल पर हस्ताक्षर करने के लिए अधिकृत किया गया है। जिनके हस्ताक्षर सरकारी व्यवस्था में मान्य नहीं होते थे। जिसकी वजह से कर्मियों को अपना बकाया मेडिकल बिल प्राप्त करने के लिए विभाग और अस्पताल के चक्कर लगाने होते थे।

    परेशानियों से बचाव के लिए अन्य के हस्ताक्षर भी किए गए मान्य

    राज्य कर्मियों को होने वाली परेशानी और भुगतान में होने वाले अनावश्यक विलंब को देखते हुए सरकार ने 28 अगस्त 2015 के अपने आदेश में संशोधन कर दिया है। निजी अस्पताल में यदि हस्ताक्षर के लिए अधीक्षक या निदेशक के पद नहीं होंगे तो वैसी स्थिति में चेयरमैन, वाइस चेयरमैन, प्रशासक, रजिस्ट्रार, कंसलटेंट और मेडिकल अफसरों के हस्ताक्षर भी मान्य होंगे।

    विभाग इन पदाधिकारियों के हस्ताक्षर के बाद नहीं रोक सकेंगे बिल

    मेडिकल बिल पर इन पदाधिकारियों के हस्ताक्षर हो जाने के बाद भी विभाग सहजता से इलाज पर हुए खर्च की प्रतिपूर्ति कर सकेंगे। उनके पास बिल को रोकने का कोई अधिकार नहीं होगा। विभाग ने व्यवस्था में किए गए बदलाव के संबंध में आदेश जारी कर दिया है और इसके साथ ही यह व्यवस्था प्रभावी भी हो गई है।

    इलाज का भुगतान करने की यह है व्यवस्था :

    कर्मचारी सरकारी और प्राइवेट में इलाज करवाने के  लिए स्वतंत्र हैं। 50 हजार रुपये तक के भुगतान के लिए सिविल सर्जन बिल का सत्यापन करते हैं। 50 हजार से ऊपर और पांच लाख रुपये तक के इलाज के लिए मेडिकल कॉलेज से सत्यापन होता है । जबकि पांच लाख से ऊपर के बिल वित्त विभाग की कमेटी पास करती है ।