'गृहमंत्री पर रिटायर्ड जजों की टिप्पणी पक्षपातपूर्ण', उपराष्ट्रपति उम्मीदवार विवाद पर बोले रविशंकर प्रसाद
पूर्व केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद ने INDIA के उपराष्ट्रपति उम्मीदवार सुदर्शन रेड्डी पर निशाना साधते हुए कहा कि उनके एक फैसले से माओवादी गतिविधियों को नियंत्रित करने में मुश्किल हुई थी। उन्होंने गृह मंत्री अमित शाह की टिप्पणी को उचित ठहराया। प्रसाद ने कहा कि रेड्डी के माओवादी और नक्सलवाद के प्रति झुकाव को दर्शाता है।
राज्य ब्यूरो, पटना। पूर्व केंद्रीय कानून मंत्री एवं सांसद रविशंकर प्रसाद ने सोमवार को INDIA के उपराष्ट्रपति उम्मीदवार पूर्व न्यायाधीश सुदर्शन रेड्डी के बनने पर कटाक्ष किया।
उन्होंने कहा कि रेड्डी ने 2011 में छत्तीसगढ़ के सलवा जिले मामले के फैसले ने माओवादी एवं नक्सली गतिविधियों को नियंत्रित करने में कठिनाई पैदा की थी। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह द्वारा इस पर टिप्पणी पूरी तरह उचित थी।
रविशंकर प्रसाद ने कहा कि भारत की जनता इस तरह के अवसरवादी आक्रोश को समझ सकती है। पाखंड उजागर हो गया है। आलोचक अपनी सुविधानुसार अपने ही मानदंडों को भूल जाते हैं।
भाजपा प्रदेश मुख्यालय में प्रेसवार्ता में रविशंकर ने स्पष्ट किया कि इस निर्णय से रेड्डी के माओवादी एवं नक्सलवाद के प्रति दृष्टिकोण और नीति झुकाव स्पष्ट होते हैं।
उन्होंने बताया कि भाजपा सरकार ने छत्तीसगढ़ और अन्य प्रभावित राज्यों में विशेष सुरक्षा बल का उपयोग करके माओवादी गतिविधियों पर प्रभावी नियंत्रण स्थापित किया, जिससे कई माओवादी गढ़ नष्ट हुए।
रविशंकर ने कहा कि यह राष्ट्रीय विषय है और उपराष्ट्रपति पद के उम्मीदवार की दृष्टि और समझदारी का देश को अधिकारपूर्वक मूल्यांकन करना आवश्यक है। रेड्डी विपक्षी पार्टियों के उम्मीदवार के रूप में उपराष्ट्रपति पद के लिए खड़े हैं।
रिटायर्ड जजों ने जताया था विरोध
सुप्रीम कोर्ट एवं हाईकोर्ट के सेवानिवृत्त न्यायाधीशों ने एक बयान जारी किया कि गृह मंत्री की टिप्पणियां दुर्भाग्यपूर्ण हैं। रविशंकर ने पत्रकारों से कहा कि मैं स्पष्ट करना चाहता हूं कि ऐसे मामले में सेवानिवृत्त न्यायाधीशों की टिप्पणियां भी न्यायिक चिंता ही नहीं, बल्कि पक्षपातपूर्ण रुख का संकेत है।
उन्होंने कहा कि निर्वाचित प्रतिनिधियों की जायज आलोचना को दबाने की कोशिशें अस्वीकार्य हैं। रेड्डी जब उपराष्ट्रपति पद के उम्मीदवार हैं, तो उनकी सोच, रीति और नीतियों पर खुलकर चर्चा होनी चाहिए।
जब कोई पूर्व न्यायाधीश उपराष्ट्रपति पद के उम्मीदवार के रूप में राजनीति में प्रवेश करता है, तो वह एक प्रतियोगी की भूमिका तथा जांच एवं आलोचना के दायरे में सहज ही आ जाता है।
कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।