राजेंद्र नगर नेत्र सुपर स्पेशलिटी अस्पताल में 11 महीने से इलाज बंद, जेब ढीली कर इलाज करा रहे मरीज
मोतियाबिंद निवारण के लिए राष्ट्रीय अभियान चल रहा है लेकिन राजधानी के राजेंद्र नगर स्थित नेत्र सुपरस्पेशिलिटी अस्पताल में ऑपरेशन पूरी तरह बंद पड़ा है। अस्पताल का काम भी प्रभावित हो रहा है। यहां पहले हर दिन 10-15 मरीजों का ऑपरेशन होता था।

जागरण संवाददाता, पटना। मोतियाबिंद निवारण के लिए राष्ट्रीय अभियान चल रहा है, लेकिन राजधानी के राजेंद्र नगर स्थित नेत्र सुपरस्पेशिलिटी अस्पताल में ऑपरेशन पूरी तरह बंद पड़ा है। अस्पताल का काम भी प्रभावित हो रहा है। यहां पहले हर दिन 10-15 मरीजों का ऑपरेशन होता था। यहां दूर-दूर से मरीज आंख दिखाने के लिए आते हैं, लेकिन, नया भवन तैयार नहीं होने तथा पुराने भवन के टूटने से अस्पताल अस्त-व्यस्त हो गया है। निदेशक डॉ. एचसी ओझा ने बताया कि पुराने अस्पताल का भवन टूट चुका है। नए भवन के ऑपरेशन थिएटर को अब तक हैंडओवर नहीं किया गया है। पूरी प्रक्रिया के कारण करीब 11 महीने से अस्पताल में ऑपरेशन बंद है। यहां अमूमन हर दिन 10-15 मरीजों के आंख का ऑपरेशन होते थे। इसके अतिरिक्त सामान्य बीमारियों के लिए भी ओपीडी चलते थे। वहीं ओपीडी नियमित रूप से चल रही है।
निजी अस्पतालों में ऑपरेशन में मोटा खर्च
राजेंद्र नगर आंख अस्पताल में ऑपरेशन नहीं होने के कारण मजबूरी में मरीजों को निजी अस्पताल या रेडक्रास, आइजीआइएमएस आदि अस्पतालों की ओर जाना पड़ता है। निजी अस्पतालों में मरीजों को मोटी रकम खर्च करनी पड़ जाती है। जबकि, रेडक्रास, आइजीआइएमएस में निर्धारित राशि चुकाने के बाद ऑपरेशन होता है। इंदिरा गांधी इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंस में न्यूनतम खर्च मोतियाबिंद ऑपरेशन में 5000 हजार रुपये निर्धारित है। यह साधारण लेंस में फेंको विधि से ऑपरेशन के लिए निर्धारित है।
अंधता निवारण योजना भी खटाई में
राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन की ओर से अंधता निवारण योजना चलाई जाती है। यह जिले में अपर मुख्य चिकित्सा पदाधिकारी के अधीन चलती है, लेकिन पटना जिले में यह योजना पीएचसी लेवल पर ही सीमित हो चुकी है। पीएमसीएच के आंख विभाग में कुछ ऑपरेशन हो रहे हैं। राजेंद्र नगर स्थित नेत्र सुपरस्पेशिलिटी अस्पताल में ऑपरेशन बंद होने के कारण मरीजों को काफी नुकसान हो रहा है। अब वे जेब ढीली कर इलाज कराने को मजबूर हो गए हैं।
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