Rajasthan New CM: BJP के संकटमोचक बने राजनाथ सिंह, राजस्थान से पहले बिहार में लगाई थी नैया पार
पांच राज्यों के विधानसभा में से तीन राज्यों में जीत दर्ज करने वाली भाजपा में सीएम की कुर्सी के लिए 3 दिसंबर से ही रस्साकसी चल रही थी। लगातार तीसरे दिन छत्तीसगढ़ मध्यप्रदेश के बाद आखिरकार राजस्थान को भी आज नया सीएम मिल गया। पहली बार विधायक का चुनाव लड़ने वाले भजनलाल शर्मा को राजस्थान में विधायक दल का नेता चुना गया।

डिजिटल डेस्क, पटना। पांच राज्यों के विधानसभा में से तीन राज्यों में जीत दर्ज करने वाली भाजपा में सीएम की कुर्सी के लिए 3 दिसंबर से ही रस्साकसी चल रही थी। लगातार तीसरे दिन छत्तीसगढ़, मध्यप्रदेश के बाद आखिरकार राजस्थान को भी आज नया सीएम मिल गया।
पहली बार विधायक का चुनाव लड़ने वाले भजनलाल शर्मा को राजस्थान में विधायक दल का नेता चुना गया। वे सांगानेर विधानसभा सीट से विधायक निर्वाचित हुए हैं। बिहार भाजपा ने एक्स हैंडल पर उन्हें सीएम बनाए जाने पर बधाई दी है।
पार्टी से बड़ा कोई नेता नहीं, भाजपा का तीन राज्यों से संदेश
तीनों ही राज्यों में कद्दावर नेताओं को छोड़कर नए चेहरों को मुख्यमंत्री बनाया गया है। भाजपा ने साफ संदेश देने की काशिश की है कि पार्टी से बढ़कर कोई नहीं। नतीजा यह कि पूर्व मुख्यमंत्रियों से ही नए सीएम का नाम पढ़वाया गया।
लोकसभा चुनाव क मद्देनजर तीनों राज्यों में नए चेहरों को मुख्यमंत्री बनाना भाजपा के लिए आसान काम नहीं था। इसके लिए पार्टी ने सभी जगह पर्यवेक्षक भेजे, जिन्होंने सीएम पद को लेकर महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
राजस्थान में सीएम पद की दावेदारी के बीच भाजपा ने राजनाथ सिंंह को संकटमोचक बनाकर भेजा, जहां सीएम चुनने में उन्हाेंने अहम भूमिका निभाई। इस सब के बीच 2020 में राजनाथ सिंह की बिहार विधानसभा चुनाव में पर्यवेक्षक की भूमिका याद आती है, जब उन्होंने ऐसा खेल किया था कि नीतीश ने दो साल में ही एनडीए से कन्नी काट ली और अलग हो गए। जानिए जदयू के साथ क्या खेला कर गए थे राजनाथ सिंह...
राजनाथ सिंंह ने बिहार में ऐसे बदला गेम
जब नीतीश कुमार ने एनडीए के साथ मिलकर 2020 में विधानसभा का चुनाव लड़ा और जीते तो भाजपा ने पार्टी के हित में समीकरण बैठाने के लिए राजनाथ सिंंह को आगे किया और पर्यवेक्षक बनाकर भेजा। नतीजा यह हुआ कि नीतीश कुमार और सुशील कुमार मोदी की जोड़ी टूट गई।
नीतीश-सुशील की जोड़ी के क्या मायने हैं, इसका अंदाजा आप सुशील मोदी के इन पुराने बयानों से लगा सकते हैं, जब उन्होंने यह कहा था कि नीतीश कुमार में पीएम बनने के सभी गुण हैं। वहीं, दूसरी बार यह कहा था कि बिहार में जब एक मोदी (सुशील मोदी) उपलब्ध हैं तो दूसरे मोदी (नरेंद्र मोदी) की यहां क्या जरूरत है।
हाल ही में सुशील मोदी के पुराने बयान को लेकर जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष ललन सिंंह ने सुशील मोदी के पॉलिटिकल करियर को लेकर बयान दिया था।
सीएम की कुर्सी देकर भी अपने पक्ष में कर लिया फैसला
राजनाथ सिंंह ने ज्यादा सीटें जीतने पर भी सीएम की कुर्सी नीतीश को तो दे दी, लेकिन दो डिप्टी सीएम का फॉर्मूला लाकर पिछड़ी जाति से आने वाले नेता तारकिशोर प्रसाद और रेनू सिंह को पद पर बैठा दिया। इसके दूरगामी परिणाम यह माने जा रहे थे कि जदयू को मिलने वाले पिछड़ों के वोट भाजपा की ओर शिफ्ट हो जाएंगे।साथ ही नीतीश-सुशील की जोड़ी टूट गई।
बहरहाल, नीतीश कुमार 2022 में भाजपा पर जदयू के खिलाफ काम करने का आरोप लगाकर एनडीए से अलग हो गए और राजद व अन्य दलों के साथ मिलकर फिर सीएम की कुर्सी पर आसीन हो गए।
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