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    Bihar Politics: अभी ललक है एक झलक की, वोट की बातें बाद में.. तेजस्वी-राहुल की गाड़ी में कौन चढ़ा और कौन उतरा?

    Updated: Wed, 20 Aug 2025 08:57 PM (IST)

    पटना से राहुल गांधी की वोटर अधिकार यात्रा नवादा से बरबीघा तक जारी है। यात्रा में वे वोटरों को एकजुट करने और वोट चोरी रोकने की बात कर रहे हैं। कांग्रेस कार्यकर्ताओं में उत्साह है लेकिन पार्टी में गुटबाजी भी दिख रही है। राहुल तेजस्वी यादव के साथ मिलकर बिहार में सत्ता में वापसी का दावा कर रहे हैं पर राह आसान नहीं दिखती।

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    अभी ललक है एक झलक की, वोट की बातें बाद में

    विकाश चन्द्र पाण्डेय, पटना। नवादा के भगत सिंह चौक से तीन राहें निकलती हैं, महागठबंधन में साफ दिख रहे तीन फरीकों की तरह। आजू की ओर हाल-फिलहाल राजद में आए पूर्व विधायक कौशल यादव का दबदबा है, जो उचक कर राहुल की जीप में पीछे की ओर लद गए हैं।

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    बाजू का इलाका आरोप-मुक्त होकर जेल से बाहर आए पूर्व विधायक राजबल्लभ यादव का है, जो 'वोटर अधिकार यात्रा' से उदासीन होकर पुण्यतिथि पर अपने दिवंगत पिता का स्मरण कर रहे। तीसरी राह पर आगे बढ़ें तो बरबीघा और पीछे हटें तो हिसुआ की ओर जाएंगे।

    राहुल बहरहाल इसी राह पर हैं। हिसुआ में भाजपा के पूर्व विधायक अनिल सिंह के साथ कांग्रेस विधायक नीतू कुमारी की गुर्रागुर्री को पीछे छोड़ बरबीघा की ओर लपक लिए हैं। पश्चिम की ओर बढ़ते सूरज के जैसे कुछ-कुछ थके हुए से।

    मंगलवार यात्रा का तीसरा दिन है और आगे बढ़ने से पहले राहुल अब एक दिन का विश्राम लेंगे। सोमवार की रात गयाजी के सानिध्य में गुजरी है। इस शहर के बाशिंदों ने अभी रात की आखिरी करवट ही ली थी कि रसलपुर के कैंप में राहुल जाग उठे थे।

    तब से वोटरों के बीच अलख जगा रहे। सरकार को चेताते हुए कि बिहार में वोट की चोरी कतई नहीं होने देंगे। गोलबंद होने की अपील कर रहे, लेकिन गयाजी से लेकर वजीरगंज और उससे आगे बरबीघा तक फांक-फांक बंटे कांग्रेस के नेताओं पर कोई असर नहीं।

    गाजे-बाजे और हार-गुलदस्ते के साथ भीड़ को जुटाने वाले सभी टिकट के दावेदार हैं। गेरे में उत्साही युवा बुलडोजर पर चढ़ आए हैं। वजीरगंज में कांग्रेस का झंडा लिए खड़े लकलक देह वाले लखनलाल का दावा 14 ईंटें सिर पर लाद लगातार सात-आठ घंटे तक चौथी मंजिल पर चढ़ने-उतरने का है।

    बता रहे कि भर पेट पूड़ी-जबेली मिली है और पांच सौ रुपये जेब में। इतने पर सुबह में ढाई-तीन घंटे का करार बुरा नहीं। बाकी के घंटे में दिहाड़ी भी कमाएंगे। मंजवे में मो. सुल्तान इस दिहाड़ी से निश्चिंत हैं। सात औलादें हैं, जो कमा-खिला रहीं। सबके वोट कायम हैं, लेकिन मुद्दा कौम का है, लिहाजा कलफदार कुर्ता-पाजामा पहनकर आ खड़े हुए हैं।

    हालांकि, हिसुआ के मो. सैयद आलम और शकीरा खातून को बुढ़ापे में भी हाड़तोड़ मेहनत का ही आसरा है। उसपर विपदा यह कि पांच बेटियों के वोट कट गए। कागज महज एक का दिखा रहे। शकीरा की मानें तो बाकी में कुछ बेवा हैं। उनका वोट कहीं ससुराल में तो नहीं, इस बात पर वे झेंप जाती हैं।

    महज नजारे के लिए आई ढाई-तीन दर्जन युवाओं की टोली भगत सिंह चौक पर बनी बांस की बैरिकेडिंग पर ऊटंग हो गई है, लिहो-लिहो करते हुए। बोझ से बांस चरमरा रहा है और बोलते-बोलते राहुल की आवाज भर्रा रही।

    मसखरी के अंदाज में यह टोली पूछ रही कि किसका वोट और कौन चोर! राजद का झंडा उठाए नेता टाइप तीन-चार थुलथुल लोग उन्हें हुरपेट दिए हैं। समझदारी के भाव से नंदलाल सिंह कह रहे कि वही वोट, जो श्रीबाबू की तरह कबके सो गए। यह बात दिल को धक्क से लगी है।

    प्रतिकार में आवाज सायास तेज हो गई है। हां-हां..., वे वोट भी जगेंगे और जब जगेंगे तो सैकड़ा-हजार से हार-जीत का 'खेल' खत्म हो जाएगा। इसी 'खेल' के खात्मे के लिए राहुल खाक छान रहे। ठिठोली करते युवा कह रहे कि तनिक महीन से छानेंगे, चलनी थमा दीजिए।

    बांस के टूटते ही यह टोली तितर-बितर हो गई है। उधर सड़क को दो फांक करती लोहे की दीवार टूट पड़ी है। बुर्कानशीं महिलाओं का दबाव बर्दाश्त नहीं कर पाई।

    पार नवादा से आई इन महिलाओं के अगुआ रसूल खान ने आसमान की ओर दोनों हाथ दुआओं में उठा दी है। सामने से राहुल को बोलते हुए पहली बार देखे हैं। गजब यह कि तेजस्वी के साथ में। आंखें जुड़ा गई हैं।

    नवादा में उछाह मार रही भीड़ से निहाल होकर राहुल लुट-पिट रहे वोट को अपनी थाती बताते हैं और इसी बूते बिहार की सत्ता में वापसी का दावा कर रहे। इस दावे के साथ माइक को उन्होंने मुंह से इतना सटा लिया है कि लाउडस्पीकर की आवाज फड़फड़ा रही।

    बोलते-बोलते तेजस्वी हुमक जा रहे हैं। जब-तब जुबान तुम-तड़ाक करती है, तो राजद के झंडे और ऊंचे होने लगते हैं। तब खामोश खड़े लोग कनखियों से इशारा करते हैं। बेचने के लिए बोरी पर आलू-प्याज की ढेर लगाए इंद्रदेव मुसहर समाज से हैं। पर्वत पुरुष दशरथ मांझी इसी समाज से थे।

    उनके पुत्र को कांग्रेस ने घर बनाकर दिया है। यह बताने पर इंद्रदेव कंधे उचका देते हैं। हमें क्या! बगल में पौधे बेच रही करनी देवी अपनी जुबान अड़ा देती हैं। अपनी-अपनी पहुंच है। वोट किसे देंगी? देखा जाएगा। अभी बहुत आएंगे-जाएंगे। सुना है कि गयाजी में मोदी भी आने वाले हैं!